क्या आपने किसी फिल्म में किसी मौलवी को कॉमेडी करते हुए देखा है? या फिर लोगों को किसी पादरी का अपमान करते हुए? क्या किसी फिल्म या वेब सीरीज में आपने देखा है कि किसी गुरुद्वारा का ग्रंथी गंदी-गंदी गालियाँ बक रहा हो? लेकिन हाँ, ब्राह्मणों को ऐसे करते हुए अनगिनत फिल्मों में दिखाया गया है। आने वाली फिल्म ‘भूल भुलैया 2’ में भी दिखाया जाएगा, ‘छोटे पंडित’ के जरिए। तभी तो कुछ नेता ‘चोटीवाला राक्षस’ जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं।
आपको ‘भूल भुलैया’ का ‘छोटे पंडित’ याद है? हाँ वही किरदार, जिसे राजपाल यादव ने निभाया था। एक ब्राह्मण, जिसका दिमाग हिला हुआ रहता है और वो अजीबोगरीब हरकतें कर भूत भगाने की चेष्टा करता है। फिर डर के मारे उसका लोटा नीचे जा गिरता है। इसके बाद ‘छोटे पंडित’ पागलों की तरह अजीबोगरीब बातें करता है। साइकिल को गधा कहता है। पानी से डरता है। उछलता-कूदता है।
‘छोटे पंडित’ के किरदार और वेशभूषा को देखिए। वो पूजा-पाठ कराने वाले ब्राह्मण की वेशभूषा में रहता है। शरीर के ऊपरी भाग में कोई कपड़ा नहीं, लेकिन तरह-तरह की मालाएँ लटकी हुई होती हैं। अपने बाल में ही उसने अगरबत्ती का निचला सिरा खोंसा होता है। अगरबत्ती जल रही होती है और उससे धुआँ निकल रहा होता है। शरीर के निचले हिस्से में धोती होती है। धोती को ऊपर उठा कर वो कॉमेडी करता है।
लेकिन, सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात है ‘छोटे पंडित’ की शिखा। उसके बालों के ऊपर से ऊँची उठी हुई शिखा को दिखाया गया है। जाहिर है, उसे कॉमेडी के लिए ही ऐसा डिजाइन किया गया था, क्योंकि बॉलीवुड के लिए शिखा हँसी-मजाक की चीज है, हास्यास्पद विषय-वस्तु है। फिल्म के पहले हिस्से में तो वो रामनामी गमछा डाले हुए भी दिखता है। बाद में उसे एकदम पागल और ‘हिला हुआ’ ही दिखाया गया है।
अब ‘भूल भूलैया 2’ आ रहा है। समय के साथ चीजें बदलती हैं, लेकिन ब्राह्मणों और हिन्दुओं के प्रति बॉलीवुड का भाव वही है। इसमें अक्षय कुमार की जगह युवा कार्तिक आर्यन मुख्य किरदार में हैं। पोस्टर में उन्हें भी हिन्दू साधु की ‘कॉमिक’ वेशभूषा में दिखाया गया था। अब उन्होंने इसी फिल्म से राजपाल यादव का लुक पोस्ट किया। इसमें कपड़े भले ही भगवा से सफ़ेद हो गए हों, लेकिन तिलक और शिखा ज़रूर है कॉमेडी के लिए।
साथ ही इस बार बाहों और गले में रुद्राक्ष की मालाएँ दिख रही हैं। कॉमेडी के लिए इन चीजों का मिश्रण बॉलीवुड वालों के लिए काफी अच्छा होता है। कार्तिक आर्यन ने होली के दिन इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा था, “छोटे पंडित और मेरी तरफ से हैप्पी होली। पानी से बच कर रहना इस साल।” ‘भूल भुलैया’ में ‘छोटे पंडित’ को बताया जाता है कि पानी ठीक नहीं है उसके लिए, इसीलिए वो पानी से डरता है।
Chote Pandit aur Meri taraf se #HappyHoli 🙏🏽
— Kartik Aaryan (@TheAaryanKartik) March 29, 2021
Pani se bachke rehna iss saal #BhoolBhulaiyaa2 👻 pic.twitter.com/6YOhvihhN0
जैसा कि स्पष्ट है, बॉलीवुड का कोई अभिनेता किसी मौलवी की वेशभूषा वाले व्यक्ति के साथ तस्वीर पोस्ट कर के ईद पर माँस से बच के रहने को नहीं लिखेगा। किसी पादरी की वेशभूषा में एक्टर के साथ तस्वीर पोस्ट कर के क्रिसमस पर कैन्डल से दूर रहने का ज्ञान भी नहीं देगा। होली पर पानी बचाने से लेकर रंगों का उपयोग न करने तक, ज्ञान ही ज्ञान दिया जाता है। वो भी एक ऐसे फिल्म के सेट से, जिसमें हिन्दू क्रियाकर्म और ब्राह्मणों का मजाक बनाया जाना है।
अभी आशुतोष राणा और सान्या मल्होत्रा की वेब सीरीज ‘Pagglait (पगलैट)’ भी आई है। उसमें आशुतोष राणा अपने बेटे की अस्थि लेकर अंतिम क्रियाकर्म के लिए किसी मंदिर में जाते हैं और पंडितों से डिस्काउंट की बात करते हैं। उसमें ब्राह्मणों को उनके कार के आसपास बड़ी संख्या में आकर उनसे क्रियाकर्म करवाने के लिए हंगामा करते हुए दिखाया गया है। ये सब तो बस ताज़ा उदाहरण हैं।
बस यहीं से ‘चोटीवाला राक्षस’ सेंटीमेंट जन्म लेता है। शिखा रखने वाले भाजपाई, विरोधी नेताओं के लिए राक्षस इसीलिए हो जाता है, क्योंकि बॉलीवुड में उसे चुगलखोर, धोखेबाज और जोकर बना कर ही दिखाया गया है। उसे राक्षस कह देने पर किसी की भावनाएँ आहत नहीं होंगी, ऐसा ग्रांटेड मान कर चला जाता है। तभी TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने भी कह दिया कि ‘चोटीवाला राक्षस गोत्र’ से बेहतर है कि रोहिंग्या ही हो।
Hindu Pandits, You are so shameless. When someone dies, it is business for you.
— Gems of Bollywood (@GemsOfBollywood) April 1, 2021
Urduwood once again exposes the Brahminical patriarchy. And proves how good is Nazia.
Critically and commercially acclaimed #Paglait streaming on @NetflixIndia pic.twitter.com/uQtqXLIJVW
फराह खान, भारती सिंह और रवीना टंडन जैसी हस्तियों को बाइबिल के एक शब्द को लेकर कॉमेडी करने के बाद कई बार माफ़ी माँगनी पड़ी थी। सोशल मीडिया की माफी से काम नहीं चला तो सबने वेटिकन के पादरी के पास जाकर हस्तलिखित माफ़ी माँगी थी। इस्लाम पर टिप्पणियों से भारत में कमलेश तिवारी और फ़्रांस में सैमुअल पैटी जैसा हाल किया जाता है। ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं। अब तो खालिस्तानी भी खासा डर का माहौल क्रिएट कर रहे हैं।
क्या ये ज़रूरी है कि अगर कोई धर्म सहिष्णु है, गाली सह कर भी चुप है और अपने देवी-देवताओं पर गलत टिप्पणियों के कारण आहत होकर भी उग्र नहीं होता है तो सब खुल कर यही सब करने लगें? ऐसी चीजों का आज कड़ा विरोध नहीं हुआ तो कल को ‘भूल भुलैया 3’ में भी शिखा-तिलक से कॉमेडी होगी और कोई नेता बाह्मणों को फिर से ‘राक्षस’ कहेगा।