फिल्म अभिनेता विवेक अग्निहोत्री ने अपनी फिल्मों के जरिए अनसुलझे संजीदा विषयों को उठाने का अभियान छेड़ रखा है। ताशकंद और कश्मीर के बाद अब उनकी अगली फिल्म है – ‘The Delhi Files’, जिसका फर्स्ट लुक पोस्टर उन्होंने सोमवार (13 सितंबर, 2021) को जारी किया। इससे पहले ‘The Tashkent Files‘ में वो पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की असामयिक संदिग्ध मौत का मुद्दा उठा चुके हैं।
इसी तरह वो ‘The Kashmir Files‘ नामक फिल्म भी बना रहे हैं, जिसमें इस्लामी आतंकवाद का असली चेहरा सामने आएगा। सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात रखने के लिए जाने जाने वाले विवेक अग्निहोत्री इससे पहले चॉकलेट (2005), दन दना दन गोल (2007), हेट स्टोरी (2012), बुद्धा इन अ ट्रैफिक जाम (2016) और जुनूनीयत (2016) जैसी फिल्मों का निर्देशन भी कर चुके हैं।
साथ ही उन्होंने ‘Urban Naxals: The Making of Buddha in a Traffic Jam’ और ‘Who Killed Shastri?: The Tashkent Files’ नामक पुस्तकें भी लिखी हैं। वो अक्सर यूट्यूब पर ‘VRA TV’ के जरिए लोगों से संवाद करते रहते हैं। विज्ञापन एजेंसियों के साथ अपने करियर की शुरुआत करने वाले विवेक अग्निहोत्री ने 90 के दशक में कुछ सीरियलों का भी निर्देशन किया। ‘मोहम्मद एंड उर्वशी’ नामक शॉर्ट फिल्म को लेकर उन्हें इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा जान से मार डालने की धमकी भी मिल चुकी है।
उनकी नई फिल्म की पोस्टर की बात करें तो उसमें पीछे लाल रंग में हमारा राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न बना हुआ है, जिसे हम अक्सर ‘अशोक स्तंभ’ पर देखते हैं। सामने एक पंजाबी बच्चे की तस्वीर है। पोस्टर डार्क थीम में है। भारत की अनसुनी कहानियों को खँगालने के बीड़ा उठाए विवेक रंजन अग्निहोत्री का कहना है कि ये सबसे बोल्ड ट्राइलॉजी है। हमने विवेक अग्निहोत्री से बात की और जाना कि उनकी अगली फिल्म ‘The Delhi Files’ में क्या होगा।
Few years back, I started telling untold stories of independent India.
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) September 13, 2021
1. #TheTashkentFiles – Right To Truth.
2. #TheKashmirFiles – Right To Justice (releasing soon)
Happy to announce the last & the boldest of the trilogy:
3. #TheDelhiFiles – Right To Life.
Pl bless us. pic.twitter.com/gBJtX4ilZR
सवाल: आपकी नई फिल्म का थीम क्या है? एक निर्देशक के रूप में आप कौन सी कहानी कहना चाह रहे हैं? कश्मीर और ताशकंद का तो स्पष्ट था, इस बार कहानी क्या होगी?
मैं इस बार थीम बहुत ज़्यादा स्पष्ट करना भी नहीं चाह रहा था क्योंकि कोरोना का समय है। ऊपर से माहौल आजकल ऐसा है कि ज़रा सा कुछ करो तो लोग आपके ऊपर तलवारें-बंदूकें लेकर चढ़ने लगते हैं। मुख्य रूप से मैं प्रजातंत्र को लेकर कुछ कहना चाह रहा हूँ, जहाँ ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ और स्वतंत्रता की बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं। देखा जाए तो ये चीजें 70 वर्षों में कभी ठीक से रही ही नहीं। ‘द ताशकंद फाइल्स’ में मेरा मुख्य उद्देश्य था ‘Right To Truth’, अर्थात जब मैंने पता लगाना चाहा कि इस देश के लोगों को सत्य जानने का अधिकार है कि नहीं तो पता चला कि नहीं है। इसी तरह ‘द कश्मीर फाइल्स’ जो है वो ‘Right To Justice’, अर्थात न्याय के अधिकार पर आधारित है। कश्मीर एक मुद्दा है, लेकिन ऐसे कई मुद्दे हैं। हाल ही में पश्चिम बंगाल में हिंसा हुई, मोपला नरसंहार को ले लीजिए – क्या उन लोगों को न्याय मिला ये मिलेगा? भारत में एक बहुत बड़ी चीज है कि यहाँ जान की कोई कीमत नहीं है। ‘Right To Life’, मतलब क्या लोकतंत्र लोगों के जीवन की रक्षा करता है? यहाँ हजारों लोग मर जाएँ तो भी किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। मेरे लिए लोकतंत्र में तीन बड़े मुद्दे हैं – सत्य, न्याय और जीवन। ये उसकी अंतिम कड़ी है। इसमें बताया जाएगा कि किस तरह हमारी सरकारों ने हमारे जीवन के अधिकार को ख़त्म कर दिया है – हमारे संविधान में, शासन में।
सवाल: क्या आप 2020 दिल्ली में हुए हिन्दू विरोधी दंगे को छू रहे हैं या 1984 का सिख नरसंहार पर मुख्य फोकस होगा?
दिल्ली दंगा तो इस पूरी कहानी में एक छोटा सा हिस्सा है। पूरी कहानी ये है कि किस तरह हमने लोगों की जान को आँकड़ों व संख्याओं में कैद कर दिया है। लोगों के जीवन की प्रतिष्ठा का क्या। पंजाब को लेकर भी अब तक जो नैरेटिव रहा हो, वो गलत रहा है। हाँ, जब निकलेगा तो सिख नरसंहार की बात आएगी ही।
सवाल: मान लीजिए अभी यूपीए की सरकार आगे आ जाती है तो क्या होगा? फिल्म बन पाएगी? सज्जन सिंह और जगदीश टाइटलर जैसे कॉन्ग्रेस नेता सिख दंगों के मुख्य आरोपित रहे हैं। क्या आपको ये डर नहीं है कि फिल्म बंद हो जाएगी?
डर क्या… अब तो ऐसा हो गया है कि हमें खतरों से खेलने का शौक सा हो गया है। अभी जम्मू कश्मीर गया तो तो मेरे खिलाफ फतवे जारी कर दिए गए। मीडिया में भी चला था। असल में बात कुछ यूँ था कि मैं शूटिंग कर रहा था, फिर नौबत ऐसी आ गई कि भारतीय सेना और CRPF के लोगों को हमें घेर कर चलना पड़ा। हुआ कुछ यूँ कि मैं वहाँ के कुछ युवा लड़के-लड़कियों के साथ भोजन कर रहा था, जिसमें वहाँ की एक RJ भी हैं। मैं शाकाहारी हूँ। मैंने सोशल मीडिया के जरिए लिखा था कि अब कश्मीर और भारत एक हो गए हैं तो सिर्फ कश्मीरी ही नहीं, शाकाहारी भोजन भी मिलने चाहिए। मैंने लिखा था कि अब मैं आ गया हूँ तो कुछ बदलाव लाता हूँ। इस पर मुझे उनके भोजन के ऊपर टिप्पणी करने के आरोप लगाए गए और अजीबोगरीब बातें कर के फतवा जारी कर दिए। कॉन्ग्रेस वालों ने ट्वीट्स किए। इसी डर से लोग फ़िल्में नहीं बनाते। जिन मुद्दों पर बातें की जानी चाहिए, उन पर इसी डर से क्रिएटिव लोग फ़िल्में नहीं बनाते। अगर मैं भी ये कहानियाँ नहीं कहूँगा तो कोई और करेगा ही नहीं। इसीलिए, ये बहुत ज़रूरी है।
सवाल: OTT को लेकर आपका क्या कहना है? वहाँ अक्सर वामपंथियों की फ़िल्में/सीरीज आ जाते हैं। लेकिन, आप जैसे राष्ट्रवादी निर्देशकों के कंटेंट वहाँ नहीं दिखते। इसका कारण क्या है?
इसका कारण बड़ा स्पष्ट है। तीन कंपनियाँ आज पूरे भारत में मनोरंजन के कंटेंट पर अपना राज चलाती हैं – डिज्नी हॉटस्टार, अमेज़ॉन और नेटफ्लिक्स। ये तीनों अमेरिका में खुद को ‘सामाजिक न्याय का योद्धा’ बताती हैं। इनके जो पदाधिकारी हैं, वो पूरे के पूरे वामपंथी सोच वाले हैं। अमेज़ॉन का संचालन करने वाले तो कार्ड होल्डर कम्युनिस्ट्स हैं। जब वहाँ इन्हीं लोगों की सत्ता है तो वो क्यों राष्ट्रवादियों को मौका देंगे। ‘The Kashmir Files’ के सम्बन्ध में डील करने के लिए एक OTT संस्था ने मुझे बुलाया था। उन्होंने कहा कि एक समस्या ये है कि आपको इस फिल्म में ‘इस्लामी आतंकवाद’ का नाम नहीं लेना होगा। मैंने पूछा कि इस शब्द का प्रयोग क्यों नहीं कर सकते, क्योंकि इन्हीं लोगों ने तो हिन्दुओं को वहाँ से भगाया है। इस पर वो अपनी अंतरराष्ट्रीय नीति की बात करने लगे। मैंने पूछा कि अगर मैं यहूदियों की कहानी बनाता हूँ और दूसरे विश्व युद्ध की घटनाओं के बारे में बताता हूँ तो क्या मैं नाजी शब्द का प्रयोग नहीं करूँगा, जिन्होंने यहूदियों का नरसंहार किया? इस पर वो कहने लगे कि ये अलग बात है। मैंने पूछा कि वो अलग बात और ये अलग बात कैसे हो गई? दोनों जगह लोग मरे। पीड़ितों को मारने वालों के बारे में क्यों नहीं बोल सकते? वो कहने लगे कि आपको ये भी कहना पड़ेगा कि मुस्लिमों को भी मारा गया, ये भी कहना पड़ेगा। मैंने कहा कि माफ़ कीजिए, मैं फिल्म बना लूँगा। एक-डेढ़ साल हमें संघर्ष करना पड़ा, लेकिन किसी तरह फिल्म बन गई।
सवाल: ‘The Kashmir Files’ कितनी बन गई है?
इस फिल्म का निर्माण पूरा हो गया है। हम सिर्फ थिएटर्स खुलने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि इसे रिलीज किया जाए। थिएटर खुलने इसीलिए भी काफी आवश्यक हैं, क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो भारत का कोई भी कंटेंट भारत में रहेगा ही नहीं और तीन कंपनियाँ उनकी मालिक हो जाएँगी – डिज्नी, नेटफ्लिक्स और अमेज़ॉन। भारत सरकार से इस सम्बन्ध में मैंने गहन बातचीत की। केंद्र सरकार ने बताया कि उन्होंने राज्यों को अनुमति दे दी है थिएटर्स खोलने की, लेकिन महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार इसीलिए नहीं खोल रही है क्योंकि 60% फिल्मों का कारोबार मुंबई व महाराष्ट्र से आता है। जैसे ही खुलेगी, मैं फिल्म रिलीज कर दूँगा। फिल्मों से कमा कर हजारों करोड़ रुपयों की संपत्ति बनाने वाले ‘बॉलीवुड के नेताओं’ के मुँह पर ताले जमे हुए हैं,’क्योंकि वो अंग्रेजों को अपनी फ़िल्में बेचने में खुश हैं। इसीलिए, मैं इसके खिलाफ अभियान चला रहा हूँ। कोई आवाज़ उठाने को तैयार नहीं है। बॉलीवुड का मतलब सिर्फ 10 स्टार्स नहीं हैं, 30-40 लाख झुग्गी-झोपड़ी वालों को खाने के लाने पड़ गए हैं। सिंगल स्क्रीन्स के बाहर पार्किंग वालों से लेकर पान-समोसे बेचने वाले तक – उन सभी की दुकानें बंद हैं। बॉलीवुड में फिल्मों में काम करने वाले घर पर बैठे हैं। 50-100 रुपयों में मनोरंजन चाहने वालों को तो परेशानी है।
सवाल: महाराष्ट्र सरकार आपको अब भी परेशान कर रही है क्या? आपको एक बार खासा परेशान किया गया था।
ये वो समय था जब पालघर में साधुओं की मॉब लिंचिंग हुई थी और मैंने इसके खिलाफ खासी आवाज़ उठाई थी। इसके बाद मेरे ससुराल में फोन कॉल किया पुलिस ने। अप्रैल की बात है, जब कोरोना चालू ही हुआ था। मेरे घर पुलिस आ गई थी। मैं और मेरी पत्नी काफी देर तक सड़क पर बैठे रहे। उन्होंने कहा कि मुझे इस बारे में कुछ नहीं लिखना है। मैंने ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ की बात की तो उन्होंने कई धमकियाँ दी। पुलिस अधिकारी ने कहा कि मैं खुद आपका लिखा पसंद करता हूँ, लेकिन अनिल देशमुख (महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री, अभी फरार) का आदेश है कि आपको रोका जाए। उन्होंने इसीलिए ऐसा आदेश दिया था, क्योंकि सोनाक्षी सिन्हा ने ट्वीट कर दिया था कि विवेक अग्निहोत्री ने मेरे बारे में कुछ कहा है तो उन पर कार्रवाई की जाए। मेरे खिलाफ आधी रात में कार्रवाई का आदेश दिया गया। जब कुछ नहीं मिला तो कहा गया कि मेरे सोशल मीडिया हैंडल्स में गड़बड़ी है, इसीलिए सभी ट्वीट्स हटाए जाएँ। मुझे सबको अनफॉलो करना पड़ा। कोरोना का समय था, हमने सोचा कि इसके खिलाफ कैसे लड़ाई लड़ें। मैं बॉलीवुड में अकेला ही हूँ, जो उद्धव ठाकरे सरकार के खिलाफ बोलता हूँ। मुझे कहा गया कि आप कश्मीर पर फिल्म बना रहे हैं, आपको जान का खतरा है इसलिए सिक्योरिटी लेनी पड़ेगी। सिक्योरिटी का अर्थ है कि पुलिसवाले मेरी हर गतिविधि पर नजर रखेंगे। मैंने कह दिया कि आप बिल्डिंग के बाहर सुरक्षा लगा दीजिए, मुझे सिक्योरिटी नहीं चाहिए। मुझे थाने में हाजिरी देने को कहा गया। मुझसे पत्र लिखवाया गया कि क्यों सुरक्षा नहीं चाहिए। मुझे तंग किया जाता रहा है उनके स्तर से। लेकिन ये भी एक दौर है, जो गुजर जाएगा।
सवाल: फिल्म ‘The Delhi Files’ में आज़ादी के बाद की घटनाएँ होंगी या आप मुगलों द्वारा किए गए नरसंहारों को भी छुएँगे?
नहीं, मैं सिर्फ आज़ाद भारत की घटनाएँ उठाऊँगा। उससे पहले तो हमारे हाथ में कुछ नहीं था, लेकिन भारत जब स्वतंत्र हुआ तो उसके बाद से तो हमारी सरकार है। भारतीय लोग ही तब से शासन चला रहे हैं। मैं तो उन लोगों को गुनहगार मानता हूँ, जिन्होंने भारत की सरकार आज़ाद भारत में चलाई। इसी के ऊपर ये फिल्म है। मेरी कहानी भारत के विभाजन से लेकर आज तक की है। विभाजन के समय का कत्लेआम भी बिलकुल रहेगा।