राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बुधवार (मई 26, 2021) को महाराष्ट्र के गृह सचिव और मुंबई पुलिस आयुक्त को एक पत्र लिखा, जिसमें उन पर विवादास्पद नेटफ्लिक्स सीरीज ‘बॉम्बे बेगम’ के निर्माताओं के खिलाफ जानबूझकर कार्रवाई में देरी करने का आरोप लगाया और उनसे मामले में जल्द FIR दर्ज करने को कहा।
महाराष्ट्र के गृह सचिव और मुंबई पुलिस को अलग-अलग पत्रों में, एनसीपीसीआर ने उल्लेख किया कि उन्हें इस साल मार्च में विवादास्पद नेटफ्लिक्स सीरीज ‘बॉम्बे बेगम’ के खिलाफ शिकायत मिली थी, जिसमें निर्माताओं पर आपत्तिजनक सामग्री दिखाने का आरोप लगाया गया था। एनसीपीसीआर ने कहा कि शिकायतकर्ताओं ने निर्माताओं पर बच्चों को ड्रग्स का सेवन करने और कक्षा में अश्लील तस्वीरें और सेल्फी लेते हुए दिखाने का आरोप लगाया है।
चूँकि बच्चों द्वारा इन कृत्यों को चित्रित करना और उनका महिमामंडन करना और उन्हें देश में प्रकाशित करना बच्चों की सुरक्षा और कल्याण के लिए बनाए गए कानूनों की भावना के खिलाफ था, इसलिए उपरोक्त प्रकृति के किसी भी कार्य को एनसीपीसीआर ने शो की सामग्री को आपत्तिजनक माना और स्ट्रीमिंग सेवा से इस तरह के कंटेंट को रोकने के लिए कहा।
इस साल मार्च में, आयोग ने नेटफ्लिक्स को 24 घंटे के भीतर एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए भी कहा था, जिसमें विफल होने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। शीर्ष बाल अधिकार संस्था ने गुरुवार (11 मार्च 2021) को वेब सीरिज में बच्चों के अनुचित चित्रण का हवाला देते हुए नेटफ्लिक्स से इसकी स्ट्रीमिंग तुरंत बंद करने को कहा। साथ ही 24 घंटे के भीतर एक विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट भी पेश करने को कहा था।
NCPCR ने कहा था कि यदि ओटीटी प्लेटफॉर्म ऐसा नहीं करती है तो वह कानूनी कार्रवाई को विवश होगी। हालाँकि, NCPCR के अनुसार, नेटफ्लिक्स ने आयोग की शिकायत पर कार्रवाई नहीं की, बल्कि आयोग द्वारा हाइलाइट की गई सीरीज के सभी आपत्तिजनक दृश्यों के लिए सिर्फ जस्टिफिकेशन दिया।
मुंबई पुलिस ‘बॉम्बे बेगम’ के निर्माताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने में विफल
एनसीपीसीआर ने नोटिस में कहा था कि नाबालिगों के कैजुअल सेक्स को सामान्य बताने के बाद अब वेब सीरिज बच्चों के बीच ड्रग्स के सेवन को सामान्य दिखा रही है। आयोग ने कहा कि वह बच्चों का इस तरह से चित्रण करने की अनुमति नहीं दे सकती। नोटिस में कहा गया था, “इस प्रकार की सामग्री के साथ सीरीज न केवल बच्चों के युवा दिमाग को दूषित करेगी, बल्कि इसका परिणाम अपराधियों के हाथों बच्चों के साथ दुर्व्यवहार और शोषण भी हो सकता है।”
महाराष्ट्र सरकार को लिखे अपने पत्र में आयोग ने कहा कि निर्माताओं ने किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 77 का उल्लंघन किया है। तब आयोग ने मुंबई के पुलिस आयुक्त को इस मामले की जाँच करने के लिए कहा था। आयोग ने कहा कि उन्होंने 12 अप्रैल को डीसीपी प्रवर्तन, मुंबई से अनुरोध किया था कि वह किशोर न्याय अधिनियम, 2015 और पॉक्सो के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीमिंग श्रृंखला ‘बॉम्बे बेगम’ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करें।
हालाँकि, आयोग के निर्देशों के बावजूद, मुंबई पुलिस ने विवादास्पद सीरीज के निर्माताओं के खिलाफ यह कहते हुए कोई शिकायत दर्ज नहीं की कि उन्हें ‘उच्च अधिकारियों से अनुमति’ की आवश्यकता है क्योंकि यह मामला ग्रे क्षेत्र में आता है और उच्च अधिकारियों के अनुमोदन के बिना, वे मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं कर सकते।
एनसीपीसीआर ने अपर मुख्य सचिव मनु कुमार श्रीवास्तव को लिखे पत्र में कहा, “आयोग यह समझने में विफल है कि कैसे एक संज्ञेय अपराध U/sec किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 77 ग्रे क्षेत्र में आती है और संज्ञेय अपराध होने के बावजूद मुंबई पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने को तैयार क्यों नहीं है।”
पत्र में, एनसीपीसीआर ने मुंबई पुलिस पर ‘बॉम्बे बेगम’ के निर्माताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने में देरी करने और यहाँ तक कि आयोग के लिखित अनुरोध पर कोई ध्यान नहीं देने का आरोप लगाया।
एनसीपीसीआर प्रमुख ने महाराष्ट्र सरकार को लिखे पत्र में कहा, “चूँकि, यह एक गंभीर मुद्दा है जहाँ पुलिस निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं कर रही है। इसलिए आपसे अनुरोध है कि इस मामले को देखें और सुनिश्चित करें कि इस मामले में आगे कोई बाल अधिकार और कानून का उल्लंघन न हो।” एनसीपीसीआर ने यह भी अनुरोध किया है कि की गई कार्रवाई की रिपोर्ट अगले तीन दिनों के भीतर आयोग को प्रस्तुत की जाए।
बता दें कि ‘बॉम्बे बेगम्स’ की स्क्रिप्ट अलंकृता श्रीवास्तव ने लिखी है और पूजा भट्ट मुख्य भूमिका में है। यह सीरीज मुंबई में विभिन्न क्षेत्रों की 5 महिलाओं के जीवन पर आधारित है। यूजर्स ने सीरिज के हिंदूफोबिक कंटेट को लेकर भी नाराजगी जताई है। गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब कोई वेब सीरीज अपने कंटेंट को लेकर विवादों में है। कुछ दिनों पहले अमेजन प्राइम वीडियो की वेब सीरीज ‘तांडव’ हिंदूफोबिक कंटेट को लेकर विवादों में थी। इससे जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ओटीटी (OTT) प्लेटफॉर्म पर रिलीज से पहले कंटेंट की स्क्रीनिंग पर जोर दिया था।