Friday, November 15, 2024
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‘द कश्मीर फाइल्स के ट्रेलर से आहत हुईं मुस्लिमों की भावनाएँ’: विवेक अग्निहोत्री की फिल्म के खिलाफ बॉम्बे HC में PIL, इंतज़ार हुसैन ने की रिलीज रोकने की माँग

"उत्तर प्रदेश के रहने वाले इंतजार हुसैन सईद नाम के एक शख्स ने कोर्ट में पीआईएल दायर की है। जिसमें उसने विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्देशित द कश्मीर फाइल्स (KashmirFiles) की रिलीज़ को रोकने की माँग की है।

1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के साथ हुई बर्बरता की कहानी और उनके विस्थापन पर आधारित विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ (KashmirFiles) लगातार कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। इसके लिए उन्हें कट्टरपंथियों की ओर से धमकियाँ तो मिल ही रही थीं। अब उनकी फिल्म के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें इस फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की माँग की गई है।

‘लॉ बीट’ रिपोर्ट के मुताबिक, “उत्तर प्रदेश के रहने वाले इंतजार हुसैन सईद नाम के एक शख्स ने कोर्ट में पीआईएल दायर की है। जिसमें उसने विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्देशित द कश्मीर फाइल्स (KashmirFiles) की रिलीज़ को रोकने की माँग की है। हुसैन ने बॉम्बे हाई कोर्ट में कहा कि इस फिल्म के ट्रेलर से मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचती है। इसके भड़काऊ दृश्य साम्प्रदायिक हिंसा का कारण बन सकते हैं।”

सईद का तर्क है कि द कश्मीर फाइल्स की रिलीज़ को रोक दिया जाना चाहिए, क्योंकि #TheKashmirFilesTrailer में ‘नस्लीय और भेदभावपूर्ण टिप्पणी’ की गई है और इसमें कश्मीरी पंडितों की हत्याओं का लेखा-जोखा है, जो ‘घटना’ का केवल एकतरफा चित्रण करता है। इससे मुस्लिमों की धार्मिक भावनाएँ आहत होती हैं।

जनहित याचिका में कहा गया है, “#TheKashmirFilesTrailer में ‘मुसलमानों जागो काफिरों भागों’ शब्द दीवार पर लिखा हुआ देखा जा सकता है, जो हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच साम्प्रदायिक असंतुलन पैदा करने की क्षमता के साथ फिल्म के नैरेटिव को आगे बढ़ाता है। याचिका में #KashmirFiles की 11 मार्च की रिलीज को रोकने की माँग की गई है।”

याचिकाकर्ता इंतजार हुसैन सईद ने बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की द कश्मीर फाइल्स फिल्म केवल दुष्प्रचार का पीस है। ये भड़काऊ और आग लगाने वाला काम है। ये रचनात्मक अभिव्यक्ति नहीं है। #KashmirFiles संविधान के अनुच्छेद 19 (2) के प्रतिबंधों के तहत आता है क्योंकि ‘व्यक्ति दूसरे के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हुए बुनियादी मौलिक अधिकार का प्रयोग नहीं कर सकता।

इस मसले पर विवेक अग्निहोत्री ने ट्विटर के जरिए कहा, “एक छोटी सी फिल्म से इतना डर! अब मुझे बताओ मैं क्या करूँ।”

इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मैं किसी भी अदालत या उनकी पसंद के किसी भी मंच में साबित कर सकता हूँ कि मेरी फिल्म का हर फ्रेम, हर शब्द सच है। सच्चाई के सिवा कुछ नहीं। वे जितनी चाहें, उतनी बाधाएँ खड़ी कर सकते हैं लेकिन मुझे चुप नहीं कराया जा सकता।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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