Thursday, November 7, 2024
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बेटी हुई तो भी छोड़ा, बेटा के बाद भी छोड़ा… फिर तलाक भी फाइल किया: वाजिद खान की पारसी बीवी का दर्द

मुस्लिम रीति-रिवाजों से निकाह न होने के कारण मेरे बच्चों को नाजायज बताया गया। वाजिद ने बच्चों के प्रति जिम्मेदारी निभाने के लिए भी कभी हॉस्पिटल तक विजिट नहीं किया। अब उसके घर वाले मेरे बच्चों से उनकी संपत्ति छीन कर...

मशहूर संगीतकार वाजिद खान की पत्नी का पोस्ट सोशल मीडिया पर नजर आने के बाद धर्मांतरण के मुद्दे ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में कई बातों का खुलासा किया। अपने शुरुआती रिश्ते की बातें बताते हुए कमलरुख ने कॉलेज दिनों को याद किया और बताया कि जब उन्होंने शादी करने का फैसला किया, उस समय मजहब परिवर्तन की बात उठी थी।

कमलरुख के मुताबिक, वाजिद एक ऐसे परिवार से आते थे, जिनका मानना था कि यदि कमलरुख को उनके परिवार में शादी करनी है, तो धर्मांतरण जरूरी होगा। हालाँकि वह इस बात से नाखुश थीं और वाजिद को ये सब चीजें अपनी शादी में बाधा लग रही थी।

साक्षात्कार के मुताबिक, दोनों ने इस मसले को सुलझाने के लिए एक माह का समय लिया और बाद में वाजिद खान ने कमलरुख की इच्छा का सम्मान करते हुए उन्हें बिना धर्म परिवर्तन के स्वीकार लिया। मगर, बाद में मजहब ने प्रेम को खत्म कर दिया।

वाजिद का परिवार खुश नहीं था। कई महीनों तक उन्होंने कमलरुख से बात भी कम की। लेकिन कुछ टाइम बाद धर्म परिवर्तन का दबाव बढ़ गया। खासकर बच्चों के जन्म के बाद ये प्रेशर कुछ ज्यादा हो गया। वाजिद की माँ उन पर दबाव बनाती। धीरे-धीरे यह सब अलग स्तर पर पहुँच गया और कमलरुख व वाजिद के रिश्तों में दरार पड़नी शुरू हो गई।

वाजिद खान की पत्नी के अनुसार, उनकी शादी के समय उनके परिवार की ओर से अड़ंगे बहुत कम थे। कमलरुख के परिवार के लोग तो दोनों मजहब की परंपराओं के हिसाब से शादी करने को तैयार थे लेकिन वाजिद के घर वालों ने इन सबसे साफ मना कर दिया। शादी के बाद चीजें और बदतर हुईं। कमलरुख कहती हैं:

“वाजिद दो हिस्सों में बँट गए थे और कन्फ्यूज हो गए थे। उनका परिवार उन पर और मुझ पर अपनी रूढ़िवादी सोच थोपता था। जब मैं नहीं सुनती थी तो मेरा एक प्रकार से बहिष्कार होता था। वह हमारे लिए एक अनुपस्थित पिता और पति बन गए थे।”

यहाँ याद दिला दें कि इन्हीं सब पीड़ा से गुजरते हुए कमलरुख ने अपने पोस्ट में धर्म परिवर्तन के खिलाफ बने कानून का समर्थन करते हुए कहा था, “मेरे बच्चे और मैं उन्हें बहुत याद करते हैं और हम चाहते हैं कि वह बिना धार्मिक पूर्वग्रहों के एक परिवार के रूप में हमारे लिए अधिक समय दें।”

उन्होंने इंटरव्यू में बताया कि शादी का निर्णय लेने से पहले जब दोनों में धर्म परिवर्तन को लेकर बात हुई तो वाजिद के सामने उनकी ओर से आपत्ति जताई गई। इसके बाद उन्होंने स्पेशल मैरेज एक्ट के तहत शादी करने का निर्णय लिया। उनका मानना है, “अगर वाजिद के लिए मजहब इतना महत्वपूर्ण होता तो वह पारसी से शादी नहीं करते। वह मेरे खुले विचारों से अवगत थे और मेरी इच्छाओं का सम्मान करते थे, मगर बाद में उनकी माँ के दबाव के कारण वह परेशान रहने लगे।”

कमलरुख खान के अनुसार, मुस्लिम रीति रिवाजों से निकाह न होने के कारण उनके बच्चों को नाजायज बताया गया। प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष कोशिशें की गईं कि वह धर्म परिवर्तित कर लें। वाजिद के परिवार के लिए स्पेशल मैरेज एक्ट कुछ नहीं था। वह बताती हैं:

“मैंने बिना रोए, हल्ला मचाए कभी कोई पारसी त्योहार नहीं मनाया। उन्होंने मेरे पारसी परिवार के किसी फंक्शन आदि में आना बंद कर दिया था। उनकी माँ खुलेआम उनसे दोबारा शादी करने को कहती थी, जो जाहिर है उन्होंने नहीं सुना। उनके परिवार का रवैया मेरे प्रति अपमानजनक था।”

वह कहती हैं कि लगातार हस्तक्षेप और प्रभाव के कारण वाजिद के परिवार वालों ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि उनका पति कभी उनके पक्ष में खड़ा नहीं हुआ। इसके अलावा तलाक की धमकी देने जैसे हथकंडे भी आजमाए गए। लेकिन बाद में तलाक नहीं हुआ क्योंकि वाजिद को अपनी गलती का एहसास हो गया था।

कमलरुख के अनुसार, वाजिद की माँ के दबाव का असर उनके रिश्ते पर ऐसा पड़ा कि आर्शी (उनकी बेटी) जब ढाई-तीन साल की थी, तब वाजिद घर छोड़ गए और तीन साल बाद लौटे। इसके बाद उन्हें बेटा रेहान हुआ और दोबारा वही चीजें हावी हो गईं। नतीजन साल 2014 में दोबारा वाजिद उन्हें छोड़ कर गए और डिवोर्स फाइल कर दिया।

ये आना-जाना लगातार चलता रहा। बच्चों के प्रति जिम्मेदारी निभाने के लिए वाजिद ने कभी हॉस्पिटल तक विजिट नहीं किया। हर काम कमलरुख अकेले संभालती रहीं। ऐसे में जब डिवोर्स फाइल हुआ तो उन्हें बहुत बुरा महसूस हुआ, मगर अपने बच्चों के लिए उन्होंने कभी कुछ नहीं कहा। 

वह कहती हैं,

“हम एक साथ यात्रा करते थे। खाना खाने जाते थे। मूवी देखते थे। बिलकुल एक आम परिवार की तरह। अपने जाने से एक-डेढ़ साल पहले, उन्होंने हमारे पास आकर हमें छोड़ कर जाने के लिए माफी माँगी थी। लेकिन उनमें अपनी माँ के ख़िलाफ़ जाने की हिम्मत नहीं थी और न ही हमारे पास लौटने की। ”

वह बताती हैं कि अंतिम समय में वाजिद लगातार उनके संपर्क में थे और लॉकडाउन के दौरान भी कई बार उनसे बात की थी। उनके अनुसार वाजिद के जाने के बाद उन्होंने इन सब पर इसलिए बात की है क्योंकि अब उन्हें उनके बच्चों की चिंता हैं। उनकी बेटी 16 साल की है और बेटा 9 साल का। वाजिद के घर वालों ने उनकी संपत्ति उनसे छीन ली है। अकेले कमलरुख को हर चीज के लिए भुगतान करना पड़ता है।

वो एक हिप्नोथेरेपिस्ट के रूप में काम करती हैं और कहती हैं, “हमारी कमाई का प्राथमिक स्रोत वाजिद का वैवाहिक समर्थन रहा है। अगर वह भी छीन लिया जा रहा है (उन लोगों द्वारा जो पिछले 7-8 वर्षों से मेरे या मेरे बच्चों के संपर्क में रहने के लिए परेशान नहीं हुए, वो भी ऐसे अनुचित आधारों पर) तो मुझे हर मोर्चे पर वापस लड़ने की जरूरत है।”

इसके अलावा कमलरुख के मुताबिक उन्होंने इसलिए भी बोलना जरूरी समझा क्योंकि वो नहीं चाहती थीं कि पिछले 17 सालों में उन्होंने जो झेला, वो किसी महिला को झेलना पड़े। वह कहती हैं,

“अगर मेरे बच्चों का अधिकार खतरे में हैं और मेरे सम्मान को कीचड़ में घसीटा जा रहा है, तो हमें बोलना होगा। कोई हमें इससे बाहर नहीं कर सकता। कानूनी लड़ाई चलेगी और लोगों को इसके बारे में पता होना चाहिए। अगर मेरी तरह एक शिक्षित, स्वतंत्र महिला सिर्फ इस वजह से गुजर सकती है कि उसने प्यार से शादी की और धर्मपरिवर्तन नहीं किया, तो ये बहुत सी दूसरी महिलाओं के साथ हो सकता है, जो कम सशक्त हैं।”

उनका कहना है कि उन्होंने ये सब इसलिए बताया क्योंकि वो उस पीड़ा को भी उजागर करना चाहती हैं, जिससे वह गुजरीं। उनके मुताबिक, उनका पोस्ट किसी धर्म के खिलाफ नहीं। हर धर्म एक समान होता है। लोग मामलों को बिगाड़ने के लिए विश्वास का इस्तेमाल करते हैं और वह इसी के खिलाफ हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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