Friday, November 15, 2024
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जिस महाराष्ट्र में हनुमान मंदिरों से हुई स्वराज्य की स्थापना, आज वहीं हनुमान चालीसा ‘देशद्रोह’: समर्थ गुरु रामदास और छत्रपति शिवाजी को याद करे शिवसेना

मुग़ल आक्रांताओं के खिलाफ युवकों को तैयार करने में इन छोटे-बड़े हनुमान मंदिरों ने बड़ी भूमिका निभाई। 'स्वराज्य' के लिए ये मंदिर एक तरह के 'फिटनेस केंद्र' का काम भी करते थे, जहाँ युवक व्यायाम और योग-प्राणायाम के अलावा हथियारों का अभ्यास भी करते थे।

महाराष्ट्र में आज हनुमान चालीसा पर विवाद चल रहा है। अमरावती की सांसद नवनीत राणा और उनके पति बडनेरा के विधायक रवि राणा को सिर्फ इसीलिए गिरफ्तार कर लिया गया, क्योंकि उन्होंने हनुमान चालीसा पढ़ने का ऐलान किया था। देशद्रोह का मुकदमा भी ठोक दिया गया। महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा बजाने पर लाउडस्पीकर उतार दिए जाते हैं। लेकिन, क्या आपको पता है कि मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी के मार्गदर्शक समर्थ गुरु रामदास भगवान हनुमान के अनन्य भक्त थे।

समर्थ गुरु रामदास ने बनवाए थे 400 हनुमान मंदिर, ‘स्वराज्य’ में था योगदान

समर्थ गुरु रामदास ने 400 से भी अधिक हनुमान मंदिरों का निर्माण कराया था। इसके पीछे न सिर्फ भगवान राम और हनुमान में उनकी अपार श्रद्धा थी, बल्कि मातृभूमि के प्रति प्रेम भी था। मुग़ल आक्रांताओं के खिलाफ युवकों को तैयार करने में इन छोटे-बड़े हनुमान मंदिरों ने बड़ी भूमिका निभाई। ‘स्वराज्य’ के लिए ये मंदिर एक तरह के ‘फिटनेस केंद्र’ का काम भी करते थे, जहाँ युवक व्यायाम और योग-प्राणायाम के अलावा हथियारों का अभ्यास भी करते थे।

आज भी आप महाराष्ट्र में देखेंगे तो हर छोटे-बड़े शहरों और गाँवों में छोटे-छोटे हनुमान मंदिर मिल जाएँगे। ये मंदिर धीरे-धीरे कर के राज्य की भौगोलिक स्थिति का एक परिचायक बन गए। की क्षेत्रों में तो ये मंदिर लैंडमार्क का काम करते हैं, जिससे इनकी महत्ता समझी जा सकती है। इसी तरह नासिक से लगे तकली गाँव में एक प्राचीन गोमाया हनुमान मंदिर है, जहाँ प्रतिमा की स्थापना खुद समर्थ गुरु रामदास ने अपने हाथों से की थी।

सन् 1632 में नशरदी, जिसे नशरदी नुल्ला भी कहते हैं, उसके किनारे पर इसकी स्थापना की गई थी। इसने मराठा साम्राज्य से लेकर महाराष्ट्र के इतिहास में कई मोड़ देखे हैं और इतिहास -बिगड़ते देखा है। समर्थ रामदास ने हनुमान मंदिरों की स्थापना का कार्य यहीं से शुरू किया था। बाद में जाकर इसने एक अभियान का रूप ले लिया। उन्होंने इन मंदिरों के जरिए तब के युवाओं की जुझारू प्रवृत्ति को जागृत किया। इस गाँव में वो 12 वर्षों तक रहे थे।

दिलचस्प है समर्थ गुरु रामदास और छत्रपति शिवाजी महाराज की मुलाकात

समर्थ रामदास और शिवाजी के मुलाकात की कहानी भी दिलचस्प है। जब रामभक्त रामदास ने हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना कर धार्मिक स्वतंत्रता की ओर कदम बढ़ाया था, उसी काल में तोरण दुर्ग जीत कर शिवाजी ने औरंगजेब के खिलाफ स्वतंत्रता का बिगुल बजाया था। शिवाजी को जब समर्थ रामदास के बारे में पता चला तो उन्होंने उन्हें मिलने के लिए पत्र भेजा। संदेश मिलते ही संत रामदास ने अपना प्रत्युत्तर भेजा।

इस पत्र में भारतवर्ष के महान संत ने लिखा कि उन्होंने देशाटन के समय कई राजा देखे हैं, लेकिन दिल्ली के मुग़ल दरबार के सामने सब भीगी बिल्ली बने रहते हैं। समर्थ रामदास ने स्पष्ट कर दिया कि उन्हें शिवाजी में शक्ति और युक्ति से सज्जित एक धर्म रक्षक की छवि दिखती है, जबकि उत्तर के कई राजाओं को धर्म की चिंता नहीं। उन्होंने धर्म स्थापना के पुनीत कार्य में शिवाजी का सहयोग माँगा। ये पढ़ कर शिवाजी आह्वादित हो गए।

कहते हैं कि उन्होंने फिर से इसके प्रत्युत्तर में पत्र तो लिखा लेकिन समर्थ रामदास से मिलने के लिए इतने अधीर हो उठे कि खुद ही पत्र लेकर चाफल के श्रीराम मंदिर के नीचे की पहाड़ी पर शिंगणवाडी के जंगलों में पहुँच गए। इसके बाद समर्थ रामदास जैसे शिवाजी के आध्यात्मिक ही नहीं बल्कि राजनीतिक दिशा-निर्देशक बन गए। उन्होंने भगवान श्रीराम का नाम लेकर छत्रपति को उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति का आशीर्वाद दिया था।

आज उसी महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा पढ़ना ‘देशद्रोह’

हाल ही में महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार में मंत्री एवं कॉन्ग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कह दिया कि सीएम उद्धव ठाकरे से हनुमान चालीसा के पाठ की माँग करने वाले ‘नीच’ और ‘हर*मी’ हैं। राणा दंपति की गिरफ़्तारी के बाद शिवसेना के प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद संजय राउत ने हनुमान चालीसा पढ़े जाने को राज्य को अस्थिर करने की साजिश बताते हुए तंज कसा कि अब राणा दंपति जेल में ही हनुमान चालीसा पढ़ें।

राणा दंपति पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का इल्जाम मढ़ते हुए उनकी गिरफ्तारी हुई और इस केस की एफआईआर सामने आने के बाद पता चला कि राणा दंपति के ऊपर धारा 124-ए के तहत कार्रवाई की गई है, जो कि देशद्रोह की धारा है। इसके अलावा अधिकारियों ने बताया कि दोनों के ऊपर आईपीसी की धाराओं 153 (ए) और 353 तथा मुंबई पुलिस अधिनियम (पुलिस की निषेधाज्ञा उल्लंघन) की धारा 135 के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।

शिवसेना के एक मुस्लिम नेता ने एक वीडियो जारी कर के कहा, “हम यहाँ रवि राणा की पत्नी व सांसद नवनीत राणा द्वारा 500 लोगों के साथ मातोश्री के बाहर हनुमान का चालीसा पाठ करने के ऐलान के बाद एकत्रित हुए हैं। वो यहाँ 500 क्या 5000 लोगों के साथ भी आ जाएँ तो भी इंशा अल्लाह कुछ नहीं होने वाला है, क्योंकि यहाँ बालासाहेब ठाकरे के कट्टर शिवसैनिक मौजूद हैं।” आज ये सब उसी महाराष्ट्र में हो रहा है, जहाँ स्वराज्य की स्थापना ही हनुमान मंदिरों के जरिए हुई थी।

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अनुपम कुमार सिंह
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भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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