Saturday, November 2, 2024
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पाकिस्तान के हिन्दू बेहाल: 24 घंटों में आए बच्चियों के जबरन धर्मान्तरण के दो मामले

13 साल की पूजा कुमार के माँ-बाप की अगर मानें तो हिन्दुओं का अपने बच्चों को, खासकर बेटियों को पाकिस्तान के स्कूलों में भेजना भी खतरे से खाली नहीं है। हमेशा यह खतरा बरकरार है कि......

हिंदुस्तान को अल्पसंख्यकों पर ज्ञान देने वाले पाकिस्तान के हालात कितने खराब हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। और इसके बावजूद वहाँ का समाज और सरकार दोनों ही हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे ज़ुल्मों को बढ़ावा ही देने में लगे हुए हैं। इसका एक और सबूत देखने को मिल रहा है। पाकिस्तान में महज़ एक दिन के भीतर 13-15 साल की दो बच्चियों को जबरन उठा ले जाने के मामले सामने आए हैं।

पायल ठाकुर को बंदूक की नोंक पर उठाया, धर्म परिवर्तन किया

पाकिस्तान में रहने वाली 15-वर्षीया पायल ठाकुर के पिता रिक्शा चलाकर अपना पेट पालते हैं। पिछले शुक्रवार को उनकी बेटी पायल को स्थानीय कट्टरपंथियों ने असलहा (बंदूक) दिखाकर उठा लिया। यही नहीं, जिस लड़के पर पायल को अगवा करने का शक था, उसके घर जब पूजा की बहन और परिवार गया तो उसके बाप ने माना कि उनकी बेटी को उसी के बेटे ने उठाया है। लेकिन उसने पायल को लौटाने से इंकार करते हुए ‘दिलासा’ दिया कि “तीन दिन में” वे उसे लौटा देंगे।

तीन दिन में! भारत में ह्यूमन राइट्स का रोना रोने वाले, लैला सीरियल देखकर “इंडिया में यही होता है, ब्रो” का ज्ञान झाड़ने वाले इस वाक्य को फिर से पढ़ें- और बताएँ हिंदुस्तान में ऐसा किस मोहल्ले के हिन्दुओं में होता है। एक लड़की को उसके पंथ, उसकी आस्था के अल्पसंख्यक होने के कारण उठा लिया जाता है- ज़ाहिर तौर पर बैठा कर टॉम एंड जेरी दिखाने के लिए नहीं, बलात्कार करने के लिए। और बलात्कारी का बाप पीड़िता के परिवार को ‘दिलासा’ देता है कि चिंता मत करो, केवल तुम्हारी बेटी का जिस्म नोचेंगे-खसोटेंगे (क्योंकि तुम पाकिस्तान में काफिरान होने के गुनहगार हो), लेकिन उसके बाद लौटा देंगे। इसकी एक बार कल्पना करिए।

इसका सीधा-सा मतलब है कि पाकिस्तान में हिन्दू कठमुल्लाओं के सेक्स-गुलाम हैं; उनकी लड़कियों के शरीर पर पाकिस्तानियों का तो हक है ही। चिंता तो माँ-बाप को इसकी करनी चाहिए कि लड़की वापिस भी मिलेगी या नहीं, जोकि इस मामले में हुआ भी है। उस दिन के बाद से उस लड़के का बाप भी पीड़ित परिवार को नहीं मिला है, और पुलिस की दबिश भी बेअसर रही है। परिवार वालों का आरोप है कि पायल का धर्मांतरण कर उसे मुस्लिम बना दिया गया है।

“तुसी मुस्लिम हो जाओ, त्वानु बच्ची दे, कुड़ी दे छड़ देंगे”

13 साल की पूजा कुमार के माँ-बाप की अगर मानें तो हिन्दुओं का अपने बच्चों को, खासकर बेटियों को पाकिस्तान के स्कूलों में भेजना भी खतरे से खाली नहीं है। हमेशा यह खतरा बरकरार है कि गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल, खानगढ़ जैसे सरकारी स्कूल का शिक्षक ही इस्लाम स्वीकार करने का दबाव अबोध मन पर डालने लगे। पूजा कुमार का मामला यही है। पहले शिक्षक ने मुस्लिम बनाया, फिर स्कूल वालों ने बेटी को गायब कर दिया।

शिक्षक ने कहा कि तूने अरबी पढ़ ली, अब तो तू मुस्लिम हो गई। अब तू (काफिर माँ-बाप के पास) घर नहीं जा सकती। प्रिंसिपल खुलकर कहता है कि मुस्लिम बन जाओ, बच्ची को छोड़ देंगे। पैसे का लालच भी देता है। बिना बोले भी “अन्यथा नहीं” साफ होता है।

शिरोमणि अकाली दल के नेता के ट्वीट्स

यह मामले भी शायद सामने नहीं आते, अगर शिरोमणि अकाली दल के राजौरी गार्डन (दिल्ली) विधायक मनजिंदर सिरसा इन बेबस माँ-बापों का दर्द सोशल मीडिया पर नहीं रखते। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के हालात कितने खराब हैं, इसकी बानगी इसी से समझी जा सकती है कि हाल ही में अपने माँ-बाप के पास दोबारा पहुँचने वाली रेणु कुमारी का मामला पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी हिन्दू अगवा लड़की के सही-सलामत अपने परिवार से दोबारा जा मिलने का किस्सा है। यह दावा किसी हिंदुस्तानी का नहीं, पाकिस्तान के नागरिक और इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के सांसद रमेश कुमार का है।

यही पाकिस्तान है- जिन्ना का भी, और इमरान खान का भी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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