Monday, November 11, 2024
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मेनस्ट्रीम मीडिया का प्रपंच बनाम ऑपइंडिया हिंदी के 4 साल: हम जानते हैं हमले और तेज होंगे, लेकिन हम भी लक्ष्य साधना को अडिग

आपके साथ ने हमें सशक्त बनाया है। आपके ही समर्थन से खबरों में बिना प्रोपेगेंडा घुसाए हमने वो लिखा-दिखाया, जो सच था। आज ऑपइंडिया हिंदी पाँचवें साल में प्रवेश कर गया है।

क्‍या हार में क्‍या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही।

ऊपर कविता का एक अंश है। पूरी कविता नहीं। शिवमंगल सिंह सुमन की यह कविता भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी अक्सर सभाओं में सुनाया करते थे। कुछ लोग तो इसे वाजपेयी की ही कविता मान लेते हैं। खैर! इस कविता-अंश की आखिरी पंक्ति जो मैंने जानबूझकर नहीं लिखी, वो है- “वरदान माँगूँगा नहीं।”

हार और जीत में इंसान अपने स्वभाव से डिग जाए, यह आदर्श नहीं कहा जा सकता। वामपंथी मीडिया गिरोह के बीच काम, बहुराष्ट्रीय टेक कंपनियों के तथाकथित ‘लिबरल’ रवैयों के कारण हर दिन ही अपनेआप में एक संघर्ष है। फिर भयभीत क्यों होना? खुद से खींची लकीर और चुने रास्ते से विचलित क्यों हो जाऊँ? वरदान माँगूँगा नहीं – यह कैसे लिख दूँ? लेकिन ऑपइंडिया हिंदी का संपादक होने के नाते पाठकों से संवाद करते वक्त वरदान न माँगें तो और क्या माँगें? 2019 से आपके साथ मात्र ने ही तो रास्ते दिखाए हैं। आपका संबल ही हमारा मनोबल है।

2019 में स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन पर हमने ऑपइंडिया की हिंदी वेबसाइट को आप पाठकों के लिए सार्वजनिक किया था। संपादकीय और तकनीकी काम हालाँकि पहले से चल रहे थे। तब से अब तक गिरते-पड़ते, गलतियों को स्वीकारते-सुधारते, अपनी आकांक्षाओं को पाठकों की अपेक्षाओं से जोड़ते हुए 4 साल का सफर तय कर लिया गया। इस दौरान वामपंथियों के विरोधों को भी झेला, कई उपनाम और गाली-जड़ित तमगे मिले। बिग-टेक कंपनियों की वामपंथी विचारधारा के कारण प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष बैन भी कई बार रोड़े बने। हार के बजाय हालाँकि हर बार हम और मजबूत होते गए। उनके ही बनाए दाँव-पेंच सीख हमने उनके ही खेमे में उन्हें पटखनी दी।

आपके साथ ने हमें सशक्त बनाया है। आपके ही समर्थन से खबरों में बिना प्रोपेगेंडा घुसाए हमने वो लिखा-दिखाया, जो सच था। आज ऑपइंडिया हिंदी पाँचवें साल में प्रवेश कर गया है। मतलब स्कूल जाने की उम्र। यहाँ से अब इसकी रफ्तार साल-दर-साल तेज होती जाएगी। इस कारण अब हम पर हमले और तेज होंगे, यह निश्चित है। कभी मास-रिपोर्टिंग होगी, कभी बैन तो कभी शैडो-बैन। हम टिके रहेंगे लेकिन। क्योंकि आप हमारे साथ हैं। खबरों को लेकर आपकी समझ को अब मीडिया-गिरोह भी भली-भाँति समझ चुका है। सोशल मीडिया में जिस तरह की प्रतिक्रियाएँ आती हैं, यह भी निश्चित है कि पाठकों को नीच दिखाने का खेल अब मीडिया-गिरोह उसी तरह खेलेगा, जैसा लोकतंत्र में किसी एक पार्टी की जीत को भीड़ की जीत बता कर खारिज करने का प्रोपेगेंडा रचा जाता है। हमें इसके लिए तैयार रहना होगा।

ऑपइंडिया आपका प्लेटफॉर्म है। आपके सहयोग से ही हम यहाँ हैं। आपके साथ ही आगे बढ़ना है। ऐसे में किसी खबर को लेकर शिकायत, किसी मुद्दे पर आपके सुझाव आदि का हमेशा स्वागत रहेगा। आप बेझिझक [email protected] पर मेल कर संवाद कर सकते हैं। हमारे सार्थक प्रयास के लिए आप इस लिंक पर जाकर सहयोग भी कर सकते हैं।

आशा करते हैं कि आपका साथ और भी मजबूत होता जाएगा। ऑपइंडिया की ओर से संपादकीय प्रयास यह होगा कि हम आपकी अपेक्षाओं पर खरे उतरें। जिस काम को लेकर चले हैं, जो लक्ष्य साधना है, उससे अडिग न हों। अब तक आप लोगों से मिले स्नेह, प्यार, समर्थन के लिए बहुत-बहुत आभार, तहे-दिल से शुक्रिया।

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चंदन कुमार
चंदन कुमारhttps://hindi.opindia.com/
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