रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी को ब्रिटेन की अदालत से झटका मिला है। उन्हें 21 दिन के भीतर चीन के तीन बैंकों को 717 मिलियन डॉलर (करीब 5448 करोड़ रुपए) देने का आदेश दिया है। लंदन के हाईकोर्ट ऑफ इंग्लैंड ऐंड वेल्स के कमर्शल डिविजन के जस्टिस नीगेल टीयरे की अदालत ने कहा कि अनिल अंबानी ने पर्सनल गारंटी दी थी। लिहाजा उन्हें यह पैसा चुकाना होगा।
अंबानी के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस मामले में कानूनी सलाह ली जा रही। साथ ही एक बयान में कहा गया है, “जहाँ तक ब्रिटेन की अदालत के फैसले का सवाल है, निकट भविष्य में भारत में इसके प्रवर्तन की कोई संभावना नहीं है।” कहा कि यूके के आदेश का रिलायंस समूह की अन्य कंपनियों, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस पावर और रिलायंस कैपिटल के परिचालन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
हालाँकि कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि अगर अंबानी अगले 21 दिनों में भुगतान नहीं करते हैं, तो ऋणदाताओं के पास इस आदेश के प्रवर्तन के लिए सभी उपलब्ध विकल्पों को आगे बढ़ाने का विकल्प होगा।
बता दे इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ़ चाइना लिमिटेड, चाइना डेवलपमेंट बैंक और एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ़ चाइना ने अंबानी पर ब्याज सहित 708 मिलियन डॉलर का ऋण चुकाने में विफल होने के लिए मुकदमा दायर किया था। यह ऋण उनकी कंपनी, Reliance Communications द्वारा लिया गया था। बैंकों के अनुसार ऋण के लिए उन्होंने पर्सनल गारंटी दी थी।
फरवरी में इन बैंकों के समर्थन में सशर्त आदेश जारी किया गया था। ब्रिटेन की अदालत ने अंबानी को छह सप्ताह में $ 100 मिलियन का भुगतान करने का निर्देश दिया था। तब अनिल अंबानी ने कोर्ट से कहा था कि इस समय उनकी नेटवर्थ जीरो हो चुकी है और परिवार उनकी मदद नहीं कर रहा है। ऐसे में वह 100 मिलियन डॉलर का भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं।
एनबीटी ने अनिल अंबानी के प्रवक्ता के हवाले से बताया है कि यह मामला रिलायंस कम्युनिकेशन लिमिटेड द्वारा 2012 में कॉर्पोरेट लोन से जुड़ा है। हालॉंकि बयान में कहा गया है कि लोन अनिल अंबानी ने व्यक्तिगत रूप से नहीं ली थी।