निर्मला सीतारमण के वित्त मंत्री बनते ही मंत्रालय ने कड़े फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। सोमवार को सरकार ने 12 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति (Compulsary Retirement) दे दी। ‘डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स’ के नियम 56 के तहत निर्णय लेते हुए वित्त मंत्रालय ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया। ये सभी अधिकारीगण इनकम टैक्स विभाग में चीफ कमिश्नर, प्रिंसिपल कमिश्नर्स और कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट जैसे महत्वपूर्ण और बड़े पदों पर तैनात थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन अधिकारियों में से कई पर भ्रष्टाचार, बेहिसाब संपत्ति का अर्जन और यौन शोषण जैसे आरोप लगे हुए थे।
#BREAKING
— Times of India (@timesofindia) June 10, 2019
Centre dismisses 12 senior I-T officers for corruption, misconduct
READ: https://t.co/Lj2WqaB5Bh
The list is topped by a Joint Commissioner-rank officer against whom there are serious complaints of corruption and extortion
रिटायर किए गए 12 अधिकारियों के नाम हैं- अशोक अग्रवाल (आईआरएस 1985), एसके श्रीवास्तव (आईआरएस 1989), होमी राजवंश (आईआरएस 1985), बीबी राजेंद्र प्रसाद, अजॉय कुमार सिंह, बी अरुलप्पा, आलोक कुमार मित्रा, चांदर सेन भारती, अंडासु रवींद्र, विवेक बत्रा, स्वेताभ सुमन और राम कुमार भार्गव। ब्यूरोक्रेसी को स्वच्छ बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के तहत यह किया गया है। मंत्रालय की अगले कुछ महीनों में ऐसे कई सुस्त और भ्रष्टाचार आरोपित अधिकारियों को रिटायर करने की योजना है, जिनके कारण शीर्ष स्तर पर कामकाज धीमा पड़ा हुआ है या सही से नहीं चल रहा।
In the interests of public, @FinMinIndia @nsitharaman – Govt invokes Rule 56J Of Central Govt services 2compulsorily retire 12 senior officers of ranks of Chief Commissioner, Principal Commissioners & Commissioner of IT deptt. All such retired officers As per Sources r tainted pic.twitter.com/QNvoI0KQUN
— Meenakshi.B (@minakshibhanja1) June 10, 2019
उपर्युक्त नियम के तहत ऐसे अधिकारियों को रिटायर किया जा सकता है, जिनकी उम्र 50 से 55 वर्ष हो चुकी हो या फिर उन्होंने 30 वर्ष की सेवा अवधि पूरी कर ली हो। हालाँकि, यह नियम कई दशकों से है लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार ने इसका प्रयोग कर एक उदाहरण स्थापित किया है। सरकार ने ख़राब परफॉरमेंस वाले अधिकारियों की एक सूची तैयार की है, जिससे ऐसे अधिकारियों को अनिवार्य रिटायरमेंट दिया जा सके। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि इससे रोज़गार के अवसर भी बढ़ेंगे क्योंकि पद खाली होने से नई रिक्तियाँ निकलेंगी।