देश की आर्थिक स्थिति का लेखाजोखा बताने वाला आर्थिक सर्वे पेश कर दिया गया है। आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 में देश की अर्थव्यवस्था ने 8.2% की रफ़्तार पकड़ी है और अब 2024-25 में 6.5%-7% की रफ्तार बनाए रखेगा। आर्थिक सर्वे में देश में पिछले वर्ष के मुकाबले महंगाई भी कम हुई है।
सरकार द्वार दी गई जानकारी के अनुसार, देश में 2022-23 के दौरान महंगाई का स्तर 6.7% रहा था, यह 2023-24 में 5.4% रहा। हालाँकि, कुछ खाने पीने की चीजों के दाम ऊपर रहे हैं लेकिन उनको भी नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है।
सरकार का अनुमान है कि 2024-25 में महंगाई का स्तर 4.5% रहेगा। आर्थिक सर्वे में बताया गया है कि बीते वर्ष के दौरान देश के व्यापार घाटे में भी भारी कमी आई है। वित्त वर्ष 2022-23 में यह 121 बिलियन डॉलर (लगभग ₹10 लाख करोड़) था जोकि 2023-24 में आकर मात्र 78 बिलियन डॉलर (लगभग ₹6 लाख करोड़) रह गया।
इसके अलावा भारत का चालू खाता घाटा भी कम हो गया है। यानी देश से अब बाहर को कम पैसा जा रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 में देश का चालू खाता घाटा GDP के 2% से घट कर 0.7% पर आ गया। इसमें विदेशों में रहने वाले भारतीयों का बड़ा योगदान है।
आर्थिक सर्वे के अनुसार, विदेशों में रहने वाले भारतीयों ने 2023-24 के दौरान 120 बिलियन डॉलर से अधिक की रकम अपने देश भेजी। इस दौरान भारत विश्व का सबसे अधिक रेमिटेंस (प्रवासियों द्वारा भेजे जाना वाला धन) पाने वाला देश बन गया।
आर्थिक सर्वे में आयात निर्यात और और आर्थिक तरक्की के साथ ही रोजगार के मुद्दे पर भी कई महत्वपूर्ण जानकारी दी है। आर्थिक सर्वे में बताया गया है कि वर्तमान में स्नातक करने वाले 49% युवा काम करने के लिए फिट नहीं हैं क्योंकि उनमें कौशल की कमी है। हालाँकि, यह स्थिति लगातार सुधर रही है क्योंकि पहले यह आँकड़ा मात्र 34% था।
आर्थिक सर्वे में बताया गया है कि देश में बीते कुछ वर्षों में बेरोजगारी में कमी आई है लेकिन आगामी समय में रोजगार पैदा करने के लिए और भी प्रयास करने होंगे। आर्थिक सर्वे में देश की माली हालत के बारे में भी बात की गई है।
इसमें बताया गया है कि 2023-24 में देश का बाहरी कर्जा उसकी GDP के 18.7% पर आ गया है जो कि पहले 19% था। इसके अलावा अब सरकार का राजकोषीय घाटा 4.5% के नीचे आने की उम्मीद है। यह 2022-23 में 6% के ऊपर था लेकिन बेहतर प्रबन्धन के कारण 2023-24 में 5.6% पर आ गया।