Saturday, October 12, 2024
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भारत के किशोर (लड़का-लड़की दोनों) अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा सक्रिय: WHO की रिपोर्ट में खुशखबरी

भारत और बांग्लादेश में क्रिकेट जैसे खेलों के कारण बच्चे मैदान में जाते हैं और गृह कार्यों में हाथ बँटाने के कारण किशोरियाँ भी इसमें अच्छा प्रदर्शन करती हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि...

तकनीक की घुसपैठ आज के समय में सबसे बड़ी चिंता का विषय है। इसके बढ़ते प्रभाव के कारण युवाओं की जीवनशैली प्रभावित होती है, शारीरिक सक्रियता कम होती है और मानसिक स्तर पर भी प्रभाव पड़ता है। हालाँकि, इस विषय की गंभीरता पर विश्व के हर कोने में चिंतन-मनन हो रहा है, लेकिन फिर भी इसका समाधान ढूँढ पाना असंभव ही लगता है। इसी बीच वैश्विक स्तर पर भारत के लिए थोड़ी राहत वाली खबर आई है।

दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक अध्य्यन में सामने आया है कि भारत के किशोर अन्य देशों के किशोरों की तुलना में अधिक सक्रिय हैं। अध्य्यन ने इस निष्कर्ष के पीछे का कारण बताते हुए स्पष्ट किया कि भारत की लड़कियों का घेरलू कामकाज और लड़कों का क्रिकेट जैसे खेलों पर ध्यान केंद्रित होने की वजह से वे शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय रहते हैं। ये अध्ययन लैंसेट चाइल्ड & एडॉलसेंट हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

यहाँ बता दें कि WHO ने वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर 11 से 17 साल के छात्रों को लेकर इस तरह का पहला अध्य्यन किया है। जिसमें उसने पाया कि एक ओर जहाँ स्वस्थ शरीर के लिए विशेषज्ञ रोजाना कम से कम 60 मिनट व्यायाम, खेलकूद जैसी शारीरिक गतिविधियाँ करने की सलाह देते हैं। तो वहीं, विश्व भर में करीब 80 प्रतिशत स्कूल जाने वाले बच्चे प्रतिदिन 60 मिनट से भी कम समय के लिए शारीरिक गतिविधि करते हैं। इस निराशाजनक आँकड़े में 85 % लड़कियाँ और 78% लड़के शामिल हैं।

प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार इस अध्य्यन में पूरे विश्व से 16 लाख बच्चों को शामिल किया गया था। लेकिन निष्कर्षों को देखते हुए WHO को सिफारिश करनी पड़ी कि लोगों को दिन में कम से कम एक घंटा कोई शारीरिक गतिविधि अवश्य ही करनी चाहिए। हालाँकि अध्य्यन की सहलेखिका लिएने रिले ने कहा कि 2001 से 2016 के बीच इस आयु में शारिरिक सक्रियता के मामले में कोई बदलाव नहीं आया। लेकिन आस-पास की स्थिति को देखकर इस तथ्य पर संदेह उत्पन्न होता हैं।

इस अध्य्यन में 2001-16 तक पढ़ाई करने वाले 146 देशों के छात्र-छात्राओं के आँकड़े लिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि टोंगा, समोआ, अफगानिस्तान और जाम्बिया को छोड़कर अन्य देशों में लड़कियाँ लड़कों के मुकाबले कम सक्रिय रहीं।

किशोरों की पर्याप्त सक्रियता के मामले में अमेरिका, बांग्लादेश और भारत का प्रदर्शन बेहतर रहा। अध्ययन के अनुसार भारत और बांग्लादेश में क्रिकेट जैसे खेलों के कारण बच्चे मैदान में जाते हैं और गृह कार्यों में हाथ बँटाने के कारण किशोरियाँ भी इसमें अच्छा प्रदर्शन करती हैं। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘हमारे अध्ययन के अनुसार दोनों देशों में किशोरियों के अपर्याप्त रूप से सक्रिय होने की दर सबसे कम रही। संभवत: इसका कारण सामाजिक कारक हैं, जैसे कि लड़कियों को गृह कार्यों में हाथ बंटाना।”

गौरतलब है कि इस अध्य्यन में फिलीपींस और दक्षिण कोरिया के बच्चे सबसे ज्यादा निष्क्रिय पाए गए। फिलीपींस में 93 फीसदी लड़कों और दक्षिण कोरिया में शोधकर्ताओं को 97 फीसदी लड़कियों में व्यायाम की बेहद कमी दिखाई दी। वहीं उच्च आय वाले यूरोपीय देशों और दक्षिण अफ्रीका के अलावा बड़ी आबादी वाले भारत, अमेरिका और बांग्लादेश में लड़के ज्यादा शारीरिक गतिविधियों वाले मिले। जबकि बांग्लादेश और भारत में लड़कियाँ सबसे ज्यादा सक्रिय दिखीं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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