धारा 370 और आर्टिकल 35A वह कवच है जिसके कारण जम्मू-कश्मीर में देश के अन्य हिस्सों में लागू कानून मान्य नहीं हैं। चाहे वह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) हो या शहरी भूमि कानून। सो, हालिया सुरक्षा एलर्ट और अतिरिक्त जवानों की तैनाती से कश्मीर के राजनीतिक दलों की घबराहट को समझा जा सकता है। वे धारा 370 और आर्टिकल 35A को खत्म करने के अंदेशे में दुबले हुए जा रहे हैं।
धारा 370 केवल जम्मू-कश्मीर को भारतीय कानूनों से ही आजादी नहीं देता, बल्कि स्पेशल स्टेटस भी प्रदान करता है, जिसकी वजह से उसे केन्द्र सरकार से खूब पैसा मिलता है। केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के आँकड़ों पर गौर करने से पता चलता है कि केन्द्रीय अनुदान का 10 फीसदी हिस्सा जम्मू-कश्मीर को मिलता है, जबकि इस राज्य की जनसंख्या देश की कुल आबादी का केवल 1% ही है। सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य यूपी की केन्द्रीय ग्रांट में हिस्सेदारी केवल 8% है।
वर्ष 2000-2016 के बीच जम्मू-कश्मीर को 1.14 लाख करोड़ रुपए का अनुदान मिला। यह रकम देश के विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को इस दौरान मिले अनुदान के एक चौथाई हिस्से से भी ज्यादा है। अमूमन केन्द्रीय अनुदान में विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को ज्यादा हिस्सेदारी मिलती है, लेकिन आँकड़े बताते हैं कि इन राज्यों में भी जम्मू-कश्मीर को खास तवज्जो मिलती है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार राज्यों को दो तरीके से वित्तीय मदद प्रदान करती है। पहला, अनुदान के जरिए और दूसरा, कर्ज देकर। जम्मू-कश्मीर को केन्द्र से जो पैसा मिलता है उसमें 90 फीसदी अनुदान होता है। अन्य राज्यों को केन्द्र से मिलने वाले पैसे में करीब 70 फीसदी कर्ज होता है। केन्द्र से राज्यों को मिलने वाले पैसे का अगर आबादी के हिसाब से बँटवारा करे तो अन्य राज्य के नागरिकों के मुकाबले कश्मीरी आठ गुना ज्यादा पैसा पाते हैं।
जम्मू-कश्मीर के विशेष अधिकार
- धारा 370 के प्रावधानों के मुताबिक संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में ही कानून बनाने का अधिकार है।
- अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार की सहमति लेनी पड़ती है।
- जम्मू-कश्मीर पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती।
- 1976 का शहरी भूमि कानून भी लागू नहीं होता।
- भारतीय संविधान की धारा 360 यानी देश में वित्तीय आपातकाल लगाने वाला प्रावधान लागू नहीं होता।
- जम्मू-कश्मीर में रणबीर दंड संहिता लागू है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत यहॉं भारतीय दंड संहिता लागू नहीं है।
आर्टिकल 35A कहता है…
- जम्मू-कश्मीर का स्थायी नागरिक वह व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो और उसके पास राज्य में संपत्ति हो।
- भारत के किसी अन्य राज्य के निवासी जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं बन सकते और न वहाँ वोट डाल सकते हैं।
- राज्य के बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते।
- यदि जम्मू-कश्मीर की लड़की राज्य से बाहर के व्यक्ति से शादी करती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं। उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं।
- राज्य सरकार किसी कानून को अपने हिसाब से बदलती है तो उसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है।