भारत की विदेश नीति पर अक्सर सवाल खड़े किए जाते रहते हैं। यह सिलसिला पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ा है। इस तथ्य का एक और पहलू है, कि भले कितने भी सवाल उठे हों, लेकिन अंततः मदद भी उस सरकार से ही माँगी जाती है और वही सरकार मदद के लिए आगे आती है। बीते कुछ महीनों में ऐसे कई मामले सामने आए जिनमें नौकरी और अन्य लालच देकर भारत के नागरिकों को दूसरे देशों में भेजा गया। वहाँ उनके साथ शोषण शुरू हो गया, जिसके बाद उन्हें सरकार से मदद की गुहार लगानी पड़ी।
आज ही एक ऐसा मामला सामने आया, हैदराबाद की एक महिला ने भारत सरकार से गुहार लगाई है कि यूएई स्थित ओमान से उनकी बेटी को वापस लाया जाए।
Telangana: A woman in Hyderabad urges government to help in bringing her daughter back who married a man in Oman, UAE
— ANI (@ANI) January 8, 2021
“I got to know that he’s mentally unstable and is torturing my daughter. She is not given food. I’m seeking govt’s help to bring my daughter back,” says mother pic.twitter.com/swpTxBYY30
दरअसल, महिला की बेटी का निकाह ओमान के एक युवक से किया गया था। कुछ समय बाद महिला को पता चला कि उसका दामाद मानसिक रूप से अस्वथ्य है। वह उनकी बेटी के साथ मारपीट और शोषण करता है, खाना तक नहीं देता है। इस बात की जानकारी होने के बाद उन्होंने अपनी बेटी को वहाँ से वापस लाने का भारत सरकार से निवेदन किया है।
यह तो सिर्फ आज की घटना है। ऐसी कई घटनाएँ हैं जिनमें विदेश में मौजूद भारतीय नागरिकों के साथ शोषण हुआ। इसी तरह नफ़ीसा (परिवर्तित नाम) नाम की युवती को शफी नाम के ट्रैवल एजेंट ने नौकरी का झाँसा देकर दुबई भेज दिया। वहाँ उसे भयावह प्रताड़ना का सामना करना पड़ा, उसकी पूरी ज़िंदगी जहन्नुम में तब्दील हो गई। ऐसा सिर्फ उसके साथ ही नहीं बल्कि कई अन्य महिलाओं के साथ भी हुआ।
2020 के दिसंबर महीने में भी ऐसा ही मामला सामने आया था। आरोपित शफी ने हैदराबाद की 5 महिलाओं को नौकरी दिलाने के बहाने दुबई भेजा और वहाँ उनके साथ तमाम तरह का अत्याचार शुरू हो गया। महिलाओं को वेतन मिलना तो दूर उनसे 15 घंटे काम कराया जाता था और उन्हें खाना तक नहीं दिया जाता था। इन सभी के लिए उम्मीद की इकलौती किरण थी भारत सरकार और सरकार ने अपने हिस्से की ज़िम्मेदारी बखूबी निभाई।
ऐसे में 2020 के उस वक्त का ज़िक्र ज़रूरी हो जाता है जब कोरोना वायरस से घिरे वुहान शहर से भारतीय छात्रों को वापस बुलाया जा रहा था। केंद्र सरकार के विदेश मंत्रालय की इस कार्रवाई की पृष्ठभूमि में अहम नाम शामिल था, दिवंगत सुषमा स्वराज का। ऐसी नेता जिन्हें अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए ‘सुपर मॉम’ का दर्जा दिया गया था।
विदेश मंत्री रहते उन्होंने कहा था कि अग़र आप मंगल ग्रह पर भी फँस गए तो भी भारतीय दूतावास आपकी मदद करेगा। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्री रहीं सुषमा ने दूर-दराज देशों में फँसे अपने लोगों को वापसी करवाने में अहम भूमिका निभाई थी। चाहे वह पाकिस्तान से गीता की वापसी हो या फिर युद्धग्रस्त यमन से भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए भी वे लोगों की मदद के लिए तत्पर रहती थीं। इसी सक्रियता के कारण ही वाशिंगटन पोस्ट ने उन्हें ‘सुपरमॉम’ के नाम से नवाजा था। भारत सरकार ने प्रवासी भारतीय केंद्र और विदेशी सेवा संस्थान का नाम बदलकर दिवंगत सुषमा स्वराज के नाम पर रखने की घोषणा की थी।
पिछले कुछ समय में इस तरह कई मामले सामने आए हैं, जिनमें भारत के नागरिकों को झाँसा देकर अन्य देशों भेजा गया। इसके बाद वहाँ पर उन्हें अनेक प्रकार का अत्याचार और शोषण का सामना करना पड़ा। मुश्किल हालातों का सामना करने के बाद लोगों ने ‘भारत सरकार’ से मदद माँगी और सरकार ने अपने लोगों की आशाओं पर खरा उतरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन घटनाओं के आधार पर ऐसा कहा जा सकता है कि आने वाले समय में भारत सरकार अपने नागरिकों पर मुसीबत आने की सूरत में सशक्त भूमिका निभाएगी।