ऑक्सफैम इंडिया की तरफ से 15 जनवरी, 2023 को एक रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में वस्तु एवं सेवा कर (Goods and services Tax) को लेकर ऐसे अजीबोगरीब दावे किए गए जो व्यवहारिक रूप से संभव नजर नहीं आते। ऑक्सफैम इंडिया ने दावा किया है कि अमीरों की तुलना में गरीब और मध्यम वर्गीय लोग अप्रत्यक्ष करों का अधिक भुगतान कर रहे हैं। कर सही अनुपात में नहीं लिए जा रहे हैं।
ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार वसूली गई कुल जीएसटी में से अमीरी के आधार पर टॉप के 10 प्रतिशत लोग सिर्फ 3 प्रतिशत का योगदान देते हैं। बीच की 40 प्रतिशत आबादी 33 फीसद जीएसटी भर रही है जबकि बची हुई 50 प्रतिशत आबादी लगभग 64 प्रतिशत जीएसटी भर रही है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 10 प्रतिशत अमीर लोगों की तुलना में 50 प्रतिशत गरीब 6 गुना ज्यादा टैक्स भरते हैं। अमीरों की तुलना में भारत में गरीबों पर अधिक कर (TAX) लगाया जाता है। करों में छूट देकर अमीरों को लाभ पहुँचाया जाता है जबकि गरीबों से टैक्स वसूल लिया जाता है।
आर्थिक मामलों की जानकार दिवा जैन ने ट्विटर पर थ्रेड के जरिए इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “ऑक्सफैम की 50 प्रतिशत भारतीयों के 63 प्रतिशत जीएसटी भुगतान वाली रिपोर्ट सामने आने के बाद हो हल्ला मचाया जा सकता है। ऑक्सफैम के इस विश्लेषण में तथ्य कम हैं। शब्दों व आँकड़ों के जरिए ऐसा प्रपंच परोसा गया है कि एक बार को गोल्डमैन सैक्स (इनवेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी) के बैंकर भी शर्मा जाएँ।”
First examine the above claim mathematically.
— Diva Jain (@DivaJain2) January 17, 2023
OXFAM says that the bottom 50% of Indians pay 6.7% of their income as GST. It is being reported that this translates to 64.3% of all GST revenue. Something OXFAM also highlights as indicative inference (see report below). 2/n pic.twitter.com/f2MdwYqHHs
दिवा जैन के अनुसार ऑक्सफैम को अपने 50% भारतीयों द्वारा 63.4 प्रतिशत जीएसटी भरने के दावे पर ही पूरी तरह से यकीन नहीं है। इसलिए यह दावा करते हुए रिपोर्ट में सांकेतिक अनुमान जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। दिवा जैन ने समझाया कि वित्त वर्ष 2022 में औसत मासिक जीएसटी राजस्व ₹1,23,585 करोड़ था। यदि उपरोक्त दावा सही है तो 1,23,585 करोड़ का 64.3% यानि ₹79465 करोड़ नीचे के 50% भारतीयों की कुल मासिक आय के 6.7% के बराबर होना चाहिए।
इस 50 प्रतिशत गरीब आबादी को 70 करोड़ मान कर ( भारत की कुल आबादी 140 करोड़ के आधार पर) दिवा जैन ने ऑक्सफैम इंडिया द्वारा उपलब्ध कराए गए आँकड़ों का उपयोग करके उनकी मासिक आमदनी की गणना की। 70 करोड़ लोगों की आमदनी 16,943 रुपए प्रति माह या 2,03,322 रुपए सालाना निकली। दिलचस्प बात यह है कि भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी (देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य/कुल जनसंख्या) लगभग ₹1,72,913 है।
But instead of clearly specifying this and the goods that it has studied, it buries the details in a footnote at the end of the report.
— Diva Jain (@DivaJain2) January 17, 2023
Nor does it reveal the source from where it got the contribution of individual goods to GST revenue, something central to its analysis. 7/n pic.twitter.com/KrtefMIjfO
बकौल दिवा जैन, ऑक्सफैम के रिपोर्ट के दावे को सही माना जाए तो इसका अर्थ होगा कि 50% भारतीयों की वार्षिक आमदनी भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी /जीएनपी से अधिक है जो कि गणितीय रूप से असंभव है। जैन ने बताया कि कैसे शब्दों और आँकड़ों में उलझा कर ऑक्सफैम इंडिया लोगों को गुमराह कर रहा है। उन्होंने कहा, “ऑक्सफैम यह नहीं कहता कि उसके दावे सभी जीएसटी राजस्व के लिए सही है। बल्कि यह केवल उन जीएसटी राजस्व के लिए सही है जिन वस्तुओं से वसूले गए जीएसटी का अध्ययन किया गया है। लेकिन रिपोर्ट में इसे स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट करने के बजाय इस विवरण को रिपोर्ट के अंत में एक फुटनोट में दबा दिया गया है।
दिवा जैन ने अपने एजेंडे के तहत प्रकाशित रिपोर्ट के लिए ऑक्सफैम की आलोचना की। उन्होंने कहा,”जीएसटी स्लैब को लेकर सवाल उठाने में कोई बुराई नहीं है लेकिन आँकड़ों को गलत तरीके से पेश कर लोगों को गुमराह करने के लिए सनसनी फैलाना गलत है। इससे संगठन और इसकी क्षमताओं पर सवाल खड़ा होता है।”
This also substantiates the hypothesis that OXFAM India is bad faith actor that uses dodgy statistics to push its narrow agenda, not very different from the usual tribe of NRI journalists/economists/think tankers 🙂 END
— Diva Jain (@DivaJain2) January 17, 2023
आपको बता दें कि इससे पहले जुलाई 2019 में ऑक्सफैम इंडिया के तत्कालीन सीईओ अमिताभ बेहर ने अपने एक लेख में कॉन्ग्रेस पार्टी की जमकर तारीफ की थी। अपने लेख में बेहर ने देश को लेकर कॉन्ग्रेस के विचारों की प्रशंसा की थी। उनके लेख में साफ तौर पर कॉन्ग्रेस को लेकर झुकाव देखा जा सकता था। उन्होंने अपने लेख में कॉन्ग्रेस की विचारधारा को आइडिया ऑफ इंडिया करार दिया था। कुछ ऐसा ही ऑक्सफैम के कामकाज में भी शामिल हो गया है।
उल्लेखनीय है कि ऑक्सफैम का दावा है कि वह दुनिया भर में आपदा राहत और गरीबी उन्मूलन का काम कर रहा है। दुनियाभर के अलग अलग देशों में कुल 20 ऑक्सफैम बने हुए हैं। ऑक्सफैम अमेरिका, ऑक्सफैम ऑस्ट्रेलिया आदि की तरह भारत में ऑक्सफैम इंडिया बनी हुई है।