बीएड द्वितीय वर्ष के वन वीक सीरीज में राजहंस प्रकाशन द्वारा समुदाय विशेष के खिलाफ विवादित और आपत्तिजनक बातें प्रकाशित कर दी गईं। इसको लेकर बवाल मचा हुआ है। समुदाय विशेष के लोगों ने इस पर आपत्ति जाहिर करते हुए राजहंस प्रकाशन के खिलाफ पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है।
दरअसल, राजहंस प्रकाशन ने बीएड द्वितीय वर्ष का वन वीक सीरिज प्रकाशित किया है। जिसमें पृष्ठ संख्या 22 के प्रश्न संख्या 21 में पूछा गया है कि धर्म संबंधी रुढ़िवादिता एवं पूर्वाग्रह को समाप्त करने के लिए हमें कौन-कौन से प्रयास करने चाहिए? जिसका जवाब देते हुए लिखा गया है- मदरसों में धार्मिक शिक्षा न दी जाए, मुस्लिमों को समझना चाहिए कि वो हिंदुओं की ही संतान हैं। साथ ही इसमें लिखा गया है कि मुस्लिम सारी दुनिया में अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहते हैं, फलस्वरुप उन्होंने आतंकवाद फैला रखा है, जिसे ‘जेहाद’ का नाम देते हैं, परंतु इस प्रकार आतंक फैलाकर वो अपना वर्चस्व कायम नहीं रख सकते हैं। उसके लिए भाईचारा और सद्भाव की आवश्यकता होती है, क्योंकि मृत्यु उपरान्त ‘दो गज जमीन’ की आवश्यकता होती है।
धर्म संबंधी रुढ़िवादिता एवं पूर्वाग्रह को समाप्त करने के प्रयास के तौर पर ये भी लिखा गया है कि धार्मिक पूर्वाग्रहता के कारण साम्प्रदायिकता की भावना फैलती है। विशेषकर हिन्दू-मुस्लिम सम्प्रदाय पूर्वाग्रह व रुढ़िवादिता के कारण संघर्षरत रहते हैं। मूर्ति को तोड़ना, गौ-हत्या कर देना, मुस्लिमों पर रंग छिड़क देना, मस्जिदों के सामने बैंड बजाना और धार्मिक उत्सवों एवं जुलूसों में पथराव करने को उदाहरण के तौर पर पेश किया गया है।
इसके साथ ही ठाकुर प्रकाशन के ऊपर भी समुदाय विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक बातें प्रकाशित करने की बात सामने आई है। हालाँकि, इसके खिलाफ अभी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है, मगर जल्दी ही इसके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करवाने की तैयारी चल रही है। मुस्लिम परिषद संस्थान के प्रवक्ता असरार कुरैशी ने इस पुस्तक को नफरतों का पुलिंदा बताया और कहा कि अगर प्रकाशकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी तो वो आंदोलन करेंगे। राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अमीन कायमखानी ने भी दोनों किताबाें में समुदाय विशेष को लेकर गलत बातें लिखे होने की बात कही है।
इस मामले पर ठाकुर पब्लिकेशन्स के डायरेक्टर सराेज ठाकुर ने सफाई देते हुए कहा ये किताब साल 2014-15 में पब्लिश हुई थी। राजहंस ने पुरानी किताब लेकर पब्लिश कर दिया और शिकायत भी उन्हीं के खिलाफ हुई है। वहीं, राजहंस पब्लिकेशन्स के डायरेक्टर दीपक का कहना है कि किताब में छपी बाताें काे लेकर संगठनाें के प्रतिनिधियाें काे माफीनामा भेजा जा चुका है।