आपने अभिनव बिंद्रा का नाम सुना होगा, जिन्होंने 2008 बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था। या फिर जसपाल राणा, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ (2004 एथेंस ओलंपिक में चाँदी) और गगन नारंग (2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य) के नाम से आप परिचित होंगे। महिलाओं में हीना सिद्धू, श्रेयसी सिंह और युवा मनु भाकर का नाम आपने कहीं न कहीं पढ़ा होगा। जिन्हें खेलों में दिलचस्पी है, वो रंजन सोढ़ी, सौरभ चौधरी और जीतू राय के नामों से भी परिचित होंगे। 2012 लंदन ओलंपिक में रजत पदक विजेता विजय कुमार को भी जानते होंगे। इन सब ने एक से बढ़ कर एक रिकार्ड्स बनाए और तोड़े हैं।
बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का प्रदर्शन
बर्मिंघम में चल रहे 63वें कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत मेडल का पचासा पूरा करने पर है, जिसमें 17 स्वर्ण पदक शामिल हैं। भारत इस समय मेडल की अंक तालिका में चौथे स्थान पर काबिज है। उससे ऊपर क्रमशः ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और कनाडा हैं। अब हो सकता है कि कॉमनवेल्थ खेलों के बाद भारत में राजनीतिक खेल शुरू हो जाए और बताया जाए कि भारत ने फलाँ साल से कम मेडल जीते हैं, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री हुआ करते थे।
लेकिन, भारत की मेडल टैली तुलनात्मक रूप से कम होने के पीछे दूसरे कारण हैं। 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने 101, 2014 में 64 और 2018 में 66 मेडल जीते थे। अब आपको बताते हैं कि फर्क क्या है। 2010 में भारत ने शूटिंग में 30 (29.70%), 2014 में 17 (26.56%) और 2018 में 16 मेडल (24.24%) जीते थे। जैसा कि आप देख रहे हैं, हर साल भारत ने शूटिंग में काफी अच्छा प्रदर्शन किया।
इतना ही नहीं, अब तक शूटिंग में भारत ने 503 में 135 मेडल (26.83%) जीते हैं और यही वो खेल हैं जिसमें हमारे देश ने कॉमनवेल्थ गेम्स में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। अब आप सोच रहे होंगे कि हम शूटिंग की बात क्यों कर रहे। असल में इसका कारण ये है कि इस बार बर्मिंघम में हो रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में शूटिंग को शामिल नहीं किया गया है। अगर शूटिंग होता, तो हो सकता था कि भारत की मेडल संख्या पिछले प्रदर्शनों को देखते हुए इससे कहीं अधिक होती।
कॉमनवेल्थ गेम्स में शूटिंग को क्यों हटाया गया?
आप अंदाज़ा लगा लीजिए कि 2022 से पहले भारत के पास आए 181 स्वर्ण पदकों में से 63 (34.08%) अकेले शूटिंग में आए थे, अर्थात एक तिहाई से भी अधिक। कॉमनवेल्थ गेम्स में शूटिंग को ‘लॉजिस्टिक्स’ का कारण देकर हटा दिया गया और भारत ने इस खेल से हटने की भी चेतावनी दी, लेकिन ‘कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन (CGF)’ के वरिष्ठ अधिकारियों के दौरे के बाद मामला शांत हो गया। इसके लिए चंडीगढ़ में अलग से शूटिंग और तीरंदाजी की प्रतियोगिता का ऐलान किया गया, लेकिन 2021 में कोरोना के कारण ये संभव न हो सका।
India at Commonwealth Games (W/out Shooting & Archery)
— Rohit_Live (@Rohit_Live007) August 7, 2022
2002
16🥇 15 🥈 14🥉- 45 Medals
2006
6 🥇 10🥈 7🥉- 23 Medals
2010
21🥇 15🥈 27🥉 – 63 Medals
2014
11🥇 21🥈 15🥉 – 47 Medals
2018
19🥇 16🥈 15🥉 – 50 Medals
2022 (Till now)
17🥇 12🥈 19🥉 – 48 Medals
सहमति बनी थी कि इसकी मेडल टैली को कॉमनवेल्थ गेम्स के साथ जोड़ा जाएगा। भारत को शूटिंग प्रतिस्पर्धा में 44 चाँदी और 28 कांस्य के पदक जीते हैं। शूटिंग को प्रतियोगिता से हटाए जाने के कारण शूटर्स और उनके कोच और संगठनों/संस्थाओं में नाराजगी भी देखने को मिली। उन्होंने कहा कि कॉमनवेल्थ वाले भारत को आगे इन देशों से बेहतर करता नहीं देखना चाहते। कई युवा शूटर इस गम से इन खेलों को देख ही नहीं रहे। यही कारण है कि भले ही भारत ने शनिवार (6 अगस्त, 2022) को एक दिन में 14 मेडल जीत इतिहास रच दिया हो, मेडल रैली शूटिंग न होने के कारण कम दिख रही है।