दुनिया में कुश्ती की नियामक संस्था यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) ने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) की सदस्यता अनिश्चित काल के लिए रद्द कर दी है। कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को लेकर महिला पहलवानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान से ही विवादों में रहा है। इस वजह से UWW की सदस्यता जारी रखने के लिए जरूरी चुनाव कराने से वह चूक गया।
बताते चलें कि भारतीय कुश्ती संघ के प्रमुख रहे बृजभूषण शरण सिंह का कार्यकाल बहुत पहले खत्म हो चुका था। महिला पहलवानों की माँग की थी कि बृजभूषण शरण सिंह के किसी परिवार या जानकारी को WFI का चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी जाए। इतना ही नहीं, उनकी सांसदी खत्म करने और तत्काल गिरफ्तार करने की माँग को लेकर भी पहलवान सड़कों पर बैठे रहे और खापों के जरिए राजनीति करते रहे।
भारतीय पहलवानों के अड़ियल रूख और बाद में कई राज्य इकाइयों की कानूनी याचिकाओं की वजह से भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव बार-बार टलते रहे। इसको लेकर UWW ने मई में सदस्यता रद्द करने की चेतावनी दी थी। आखिरकार इस चेतावनी को अमलीजामा पहना दिया। सदस्यता रद्द होने का खामियाजा भारतीय पहलवानों को भुगतना पड़ेगा। इससे आने वाली वैश्विक चैंपियनशिप में पहलवान देश के झंडे तले कुश्ती के दांव नहीं दिखा पाएँगे।
UWW की तरह ही WFI देश में कुश्ती का शासी निकाय है। इसे जून 2023 में चुनाव कराने थे। विवादों की वजह से ये चुनाव 12 अगस्त के लिए टल गए थे, लेकिन चुनाव से एक दिन पहले ही पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया। यही वजह रही की UWW ने यह सख्त कार्रवाई की। इससे पहले जुलाई में असम रेसलिंग एसोसिएशन अपनी मान्यता को लेकर असम हाईकोर्ट पहुँची था और कोर्ट ने चुनावों पर स्टे लगा दिया था।
UWW ने 45 दिन का दिया था वक्त
भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) की सदस्यता की रद्द होने से भारतीय पहलवानों को 16 सितंबर से शुरू होने जा रही ओलंपिक-क्वालीफाइंग विश्व चैंपियनशिप के कुश्ती के रिंग में बगैर तिरंगे के ही उतरना होगा। देश के पहलवान इसमें शिरकत तो करेंगे, लेकिन वो ‘तटस्थ एथलीटों’ के तौर पर कुश्ती के दाँव लगाएँगे।
हालाँकि, भारतीय पहलवानों को 23 सितंबर से हांगझू में होने जा रहे एशियाई खेलों में भारतीय ध्वज तले कुश्ती लड़ पाएँगे, क्योंकि इसके लिए डब्ल्यूएफआई ने नहीं, बल्कि भारतीय ओलम्पिक संघ (IOA) ने एंट्रीज भेजी थीं। UWW ने मई में WFI से 45 दिनों के अंदर चुनाव करवाने को कहा था।
लगभग 3 महीने बीत जाने पर भी जब चुनाव नहीं हुए तो UWW ने WFI की सदस्यता रद्द करने का फैसला लिया। इससे पहले आईएओ के कार्यकारी परिषद के सदस्य भूपेंद्र सिंह बाजवा और खिलाड़ी सुमा शिरूर वाली एक अस्थाई कमेटी बनाई थी, जिसके कंधे पर कुश्ती महासंघ के चुनाव 45 दिन के अंदर करवाने की जिम्मेदारी थी। ये चुनाव पहले 7 मई को कराए जाने थे।
भूपेंदर सिंह बाजवा के नेतृत्व वाली एडहॉक कमेटी चुनाव कराने के लिए दी गई 45 दिन की डेड लाइन को पूरा करने में कामयाब नहीं हो पाई। यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने बुधवार (23 अगस्त) की रात को एडहॉक कमेटी को बताया कि कार्यकारिणी के चुनाव नहीं कराने के कारण डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया गया है।
चुनाव को लेकर प्रत्याशियों ने कर दिया था नामांकन
डब्ल्यूएफआई के शासी निकाय में 15 पदों के लिए चुनाव 12 अगस्त 2023 को होने वाले थे। इसमें भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व चीफ बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह सहित चार उम्मीदवारों ने अध्यक्ष पद के लिए दिल्ली के ओलंपिक भवन में नामांकन दाखिल किया था।
चंडीगढ़ कुश्ती संस्था के दर्शन लाल को महासचिव पद के लिए नामांकित किया गया था, जबकि बृजभूषण सिंह कैंप के उत्तराखंड के एसपी देसवाल को कोषाध्यक्ष के लिए नामांकित किया गया था। डब्ल्यूएफआई को पहले जनवरी में और फिर मई में निलंबित कर दिया गया था। उस वक्त भारत के टॉप पहलवानों ने इसकी कार्यप्रणाली का विरोध किया था।