राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान कई ऐसे नारे आए जिन्होंने हिंदुओं में उत्साह का संचार किया। ऐसा ही एक नारा है- रामलला हम आएँगे, मंदिर वहीं बनाएँगे। इस नारे के प्रणेता बाबा सत्यनारायण मौर्य हैं। इस कारसेवक को भी 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का न्योता मिला है।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान विभिन्न क्षेत्रों के करीब सात हजार लोग उपस्थित रहेंगे। अपने स्वप्न को यथार्थ बनते देखने के लिए बाबा मौर्य भी इस दिन अयोध्या में रहेंगे। वे कहते हैं कि ये उस समय का संघर्ष ही है जिसके कारण आज यह क्षण आया है।
बाबा सत्यनारायण मौर्य वह नाम है, जो कारसेवा के दौरान ऊर्जा का संचार करते थे। एक चित्रकार के तौर पर वे दीवारों पर भगवान राम की चित्र उकेरते तो मंच से अपने संबोधन के जरिए कारसेवकों में जोश भर देते थे। 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की नींव रखी थी। उसके बाद दैनिक भास्कर करते हुए बाबा सत्यनारायण मौर्य ने कहा था कि मंदिर बनना कई जीवन के सपनों के सच होने जैसा है।
घुमक्कड़ बाबा के तौर पर मशहूर सत्यनारायण मौर्य ने इंदौर, उज्जैन और मुंबई को अपना ठिकाना बना रखा है। पढ़ाई पूरी करने के तुरंत बाद ही उन्होंने खुद को पूरी तरह राम मंदिर आंदोलन के लिए समर्पित कर दिया था। पढ़ाई के दौरान ही वे उज्जैन की दीवारों को नारों से रंगने लगे थे।
मूल रूप से बाबा माैर्य राजगढ़ के रहने वाले हैं। उनके पिता शिक्षक थे। उनके भाई-बहन भी शिक्षक बने। पोस्टग्रेजुएट बाबा गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं। लेकिन शिक्षक बनने की जगह उन्होंने कारसेवक बन राम की सेवा को अपना लक्ष्य बनाया। रामधुन ऐसी लगी कि 1990 में दोस्तों के संग अयोध्या चले आए और अयोध्या की गली-गली में राम मंदिर की अलख जगाने निकल पड़े। पेंटिंग के शौकीन बाबा के हाथ गेरु पड़े या पेंट वो वहाँ हर दीवार पर रामलला की छवि उकेरने लगे।
विवादित ढाँचा विध्वंस के बाद अयोध्या में उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर बैनर के कपड़े से अस्थायी मंदिर बनाया था। विश्व हिन्दू परिषद के तत्कालीन प्रमुख अशोक सिंघल भी उनके नारों के कायल थे। उनके कहने पर बाबा ने दिल्ली भेजकर गाने और नारों की कैसेट रिकाॅर्ड करवाई थी। ये नारे बाद में हर मंच की जान बन गए। उज्जैन के एक कार्यक्रम में मंच से बाबा ने ‘रामलला हम आएँगे मंदिर वहीं बनाएँगे’ का नारा दिया था।
सत्यनारायण मौर्य के अनुसार ‘सौगंध राम की खाते हैं, हम मंदिर वहीं बनाएँगे’ नारे के साथ उस समय कई लाइनें जुड़ीं। ऐसी ही एक पंक्ति थी ‘रामलला हम आएँगे, मंदिर वहीं बनाएँगे’। यह खूब लोकप्रिय हुई। उन्होंने ‘रक्त देंगे, प्राण देंगे मंदिर का निर्माण करेंगे’ जैसे कई और नारे भी दिए थे।