Sunday, September 1, 2024
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पतंजलि की कोरोनिल को मिला सशर्त लाइसेंस: इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में बिकेगी, नहीं होगा कोरोना का उल्लेख

आयुष मंत्रालय ने यह भी कहा कि बाबा रामदेव की दिव्य योग फार्मेसी कोरोनिल की पैकेजिंग पर कोरोना का उल्लेख कहीं भी नहीं कर सकती और न ही उससे संबंधित चित्र छाप सकती है।

पतंजलि द्वारा निर्मित कोरोनिल को आयुष मंत्रालय ने बतौर इम्युनिटी बूस्टर मंगलवार (जून 30, 2020) को अप्रूव करते हुए उन्हें लाइसेंस दे दिया। हालाँकि मंत्रालय ने पतंजलि को यह स्पष्ट किया कि वह कोरोनिल को कोरोना वायरस का उपचार बताकर नहीं बेच सकते।

मंत्रालय ने यह भी कहा कि बाबा रामदेव की दिव्य योग फार्मेसी कोरोनिल की पैकेजिंग पर कोरोना का उल्लेख कहीं भी नहीं कर सकती और न ही उससे संबंधित चित्र छाप सकती है।

कुल मिलाकर राज्य औषधि नियंत्रक द्वारा जारी लाइसेंस के आधार पर ही पंतजलि इन दवाओं की बिक्री कर सकेगा। यानी इन्हें इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर ही आगे बेचा जाएगा।

गौरतलब है कि इससे पहले बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद द्वारा कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज करने का दावा करने वाली आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल को लॉन्च करने के बाद, आयुष मंत्रालय ने कंपनी से इस दवा की संरचना का विवरण और इसे तैयार करने से पहले किए गए शोध को प्रस्तुत करने के लिए कहा था।

इसके साथ ही आयुष मंत्रालय ने मीडिया की खबरों पर संज्ञान लेते हुए पंतजलि आयुर्वेद लिमिटेड को इस दवा यानी, ‘कोरोनिल’ का विज्ञापन और ऐसे दावे को प्रकाशित करने से रोक दिया था।

आयुष मंत्रालय ने पतंजलि की दवा पर स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा था कि मंत्रालय को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। मंत्रालय ने पतंजली कम्पनी से कहा है कि पहले वो अपने कागज मंत्रालय में जमा करवाएँ और तब तक किसी भी तरह का विज्ञापन या दावा करने से बचें, जब तक इस पर जाँच पूरी नहीं होती।

आयुष मंत्रालय ने राज्य सरकार, उत्तराखंड से भी इस दवाई कोरोनिल को लेकर जरूरी जानकारी माँगी थी। मंत्रालय ने राज्य लाइसेंसिंग ऑथोरिटी को लाइसेंस कॉपी और प्रोडक्ट को मंजूर किए जाने से जुड़े सभी डॉक्यूमेंट माँगे थे। आयुष मंत्रालय ने 21 अप्रैल को जारी गैजेट नोटिफिकेशन का हवाला देते हुए कहा था कि आयुर्वेदिक दवाओं की रिसर्च को लेकर बाकायदा नियम कानून जारी किए गए थे, उसी के तहत कोरोना वायरस पर रिसर्च की जा सकती है।

प्रदेश के आयुष विभाग को भी इसकी जाँच करने के लिए कहा गया था। जिस पर आयुर्वेद विभाग के लाइसेंसिंग अधिकारी ने दिव्य योग फार्मेसी को नोटिस जारी कर तीन बिंदुओं पर जवाब माँगा। विभागीय अधिकारियों का कहना था कि कोरोनिल टैबलेट को इम्यूनिटी बूस्टर और श्वासरी वटी को सर्दी-खांसी के साथ ही श्वसन संबंधी समस्या के लिए मंजूरी दी गई थी। दिव्य फार्मेसी ने अपने आवेदन में कोरोना का कहीं उल्लेख ही नहीं किया और न कोरोना किट के निर्माण की अनुमति ली।

वहीं, दिव्य फार्मेसी ने इस नोटिस के जवाब में कहा कि उन्होंने कभी भी कोरोना की दवा बनाने का दावा नहीं किया था। उन्होंने कहा कि हाँ हम यह कह सकते हैं कि हमने ऐसी दवाई बनाई है, जिससे कोरोना के मरीज ठीक हुए हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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