आजकल आपने फेसऐप का नाम ज़रूर सुना होगा। यह एक ऐसा एप्लीकेशन है, जिसके द्वारा आप अपने चेहरे में मनचाहा बदलाव कर ख़ुद को बदले हुए रूप में देख सकते हैं। आप गंजे होंगे तो कैसे दिखेंगे, आप बूढ़े होंगे तो कैसे दिखेंगे- यह ऐप सब कुछ बताता है। सिनेमा सेलेब्स से लेकर क्रिकेट खिलाड़ियों तक, न सिर्फ़ भारत बल्कि विदेश में भी लोग इस ऐप के दीवाने हो रहे हैं। इस एप्लीकेशन को एक रशियन कम्पनी ने डिजाइन किया है। अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ पोर्टल्स में इसे लेकर चिंता ज़ाहिर की जा चुकी है। चिंता का कारण है लोगों की प्राइवेसी। एक ऐसी विदेशी कम्पनी को आपके डिटेल्स मिल रहे हैं, जिसके साथ आपका कोई कागज़ी समझौता नहीं है।
सबसे पहले तथ्य की बात कर लेते हैं। आँकड़ों की मानें तो फेसऐप के पास 15 करोड़ लोगों के चेहरे, नाम व अन्य डिटेल्स हैं। उम्र वाली फ़िल्टर के लिए वायरल हो रहे इस ऐप के यूजर एग्रीमेंट की बात करें तो इसके पास ‘कभी न ख़त्म होने वाला’ और ‘जिसमें बदलाव न हो सके’, ऐसा लाइसेंस है। इस रॉयल्टी-फ्री लाइसेंस के मुताबिक़, यह ऍप्लिकेशन आपके डिटेल्स के साथ कुछ भी कर सकता है, उसका मनचाहा प्रयोग कर सकता है। सबसे बड़ी बात यह कि उससे जो कमाई होगी, आपको उसके रुपए भी नहीं मिलेंगे।
अब आते हैं भारत सरकार के ‘आधार’ की ओर। जब आधार कार्ड को तमाम सरकारी योजनाओं में मैंडेटरी किया गया था ताकि योजना का लाभ सही व्यक्ति तक पहुँचे, तब लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया था। ‘हम अपने बायोमेट्रिक डिटेल्स किसी को क्यों दें?’, ‘हमारी पुतलियों का विवरण लेकर सरकार न जाने क्या कर दे’, ‘सरकार को हमारे प्राइवेट डिटेल्स में दिलचस्पी है’, ‘हमारे इन डिटेल्स का ग़लत इस्तेमाल हुआ तो?’ जैसे कई सवाल पूछे गए थे। ये सवाल उन देश की सरकार से पूछे जा रहे थे, जो लगभग 130 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। आधार कार्ड मंत्रियों से लेकर उच्चाधिकारियों तक के बने, लेकिन प्राइवेसी की चिंता कुछेक पत्रकारों व ज़रूरत से ज्यादा जागरूकता दिखाने वाले सेलेब्स को ही हुई।
“FaceApp” which has recently gone viral for its age filter, now owns access to more than 150 million people’s faces and names.
— UberFacts (@UberFacts) July 17, 2019
According to their user agreement, the company owns a never-ending, irrevocable royalty-free license to do almost anything they wish with them.
आज जब फेसऐप इतना वायरल हो रहा है और लोगों को यह तक नहीं पता कि यह किस देश की कम्पनी है, इसके सर्वर कहाँ-कहाँ हैं, इसका मालिकाना हक़ किन-किन लोगों व कंपनियों के पास है और उनके डिटेल्स को लेकर यूजर एग्रीमेंट में क्या लिखा है- सभी कथित सामाजिक कार्यकर्ता गहरी नींद में हैं और सुसुप्त अवस्था में ध्यानमग्न हैं। जैसे ही सरकार जन-कल्याणकारी योजनाओं में ग़रीबों, मजदूरों व किसानों को लाभ पहुँचाने के लिए आधार के उपयोग पर बात करेगी, ये सभी लग जाएँगे। आधार से देश को करोड़ों की बचत हुई है और योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति तक पहुँचा है, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल में में संसद में अपना आधार कार्ड दिखाते हुए ये बातें समझाई थीं।
फेसऐप का हक़ रखने वाली कम्पनियाँ मेटाडाटा को छाँट कर अलग रख रही हैं। ‘द वर्ज’ के अनुसार, ऐसा कई अन्य सोशल ऐप्स व अन्य ऐप्स भी कर रहे हैं लेकिन फेसऐप का रुख ज्यादा आक्रामक हो सकता है। विशेषज्ञों ने इस ओर ध्यान दिलाया है कि फेसऐप तो डिवाइस में रख कर भी उन फोटोज को फ़िल्टर कर सकता है जिसे यूजर द्वारा चुना गया हो, फिर भी उन फोटोज को सर्वर पर क्यों अपलोड किया जाता है? इसका मतलब है कि कम्पनी उन फोटोज को अपने सर्वर में सुरक्षित रख रही है। फेसऐप का इस बारे में क्या कहना है? कम्पनी का कहना है कि यूजर के निवेदन पर उनसे जुड़ा डाटा हटाया जा सकता है।
In lieu of a pic of what I’d look like as an old guy, here’s FaceApp’s privacy policy. I’ve highlighted some bits that I think folks should consider before using apps like these. pic.twitter.com/pCAfJVwnNF
— Ry Crist (@rycrist) July 17, 2019
कम्पनी का कहना है कि यूजर एक प्रक्रिया के तहत निवेदन कर सकता है कि उससे जुड़े डाटा को हटा दिया जाए। लेकिन साथ ही कम्पनी यह भी कहती है कि अभी टीम ‘ओवरलोडेड’ है। और सबसे बड़ी बात कि साइबर छेड़खानी करने वालों का अड्डा बन चुके रूस के एप्पलीकेशन पर विश्वास करना मुश्किल है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जिस तरह से रूसी साइबर माफियाओं, हैकरों द्वारा छेड़खानी की गई, उससे जुड़े कई मुक़दमें यूएसए की अदालतों में चल रहे हैं और वहाँ की जाँच एजेंसियाँ भी सकते में हैं। कम्पनी ने हालाँकि यह भी दावा किया है कि डाटा को रूस नहीं भेजा जा रहा है।
BIG: Share if you used #FaceApp:
— Chuck Schumer (@SenSchumer) July 18, 2019
The @FBI & @FTC must look into the national security & privacy risks now
Because millions of Americans have used it
It’s owned by a Russia-based company
And users are required to provide full, irrevocable access to their personal photos & data pic.twitter.com/cejLLwBQcr
जबकि ‘टर्म्स एंड कंडीशन’ वाले कॉलम को इस तरह की भाषा में लिखा जाता है कि यूजर बिना समाय गँवाए उसे टिक कर के आगे बढ़ जाए। उसमें साफ़-साफ़ लिखा है कि जहाँ कम्पनी की फैसिलिटी हो वहाँ पर डाटा ट्रांसफर किया जा सकता है। कहाँ पर फैसिलिटी है? रूस में? उस सेक्शन में उनका पता भी रूस वाला ही है। एक और बड़ी बात यह भी है कि अधिकतर मामलों में फेसऐप को यूजर सिर्फ़ एक फोटो की जगह पूरी गैलरी एक्सेस करने की अनुमति दे देते हैं। गैलरी में तो आपके और आपके परिजनों व मित्रों के कई फोटोज होते हैं? इससे फ़र्क़ नहीं भी पड़ता तो आपके बैंक डिटेल्स और आईडी कार्ड जैसी चीजों के स्क्रीनशॉट्स भी तो होते हैं।
अंत में, जो बातें ऊपर हिंदी में लिखी हैं, उसे अंग्रेजी में उसके ओरिजिनल शब्दों में देखिए। फेसऐप के टर्म्स में लिखा है:
इसीलिए जो चीजें भारतीय कंपनियों के मालिकाना हक़ में है, उससे जुड़े विवाद के लिए आप अदालत जा सकते हैं। लेकिन, विदेशी कंपनियों का मालिकाना हक वाले ऐप्स (जिनका सर्वर भी भारत में नहीं है) से जुड़े विवाद में आप कहाँ जाएँगे? अगर भारत में इसे प्रतिबंधित कर दिया जाए, गूगल इसे प्ले स्टोर से हटा डी- फिर भी यह उपलब्ध रहेंगी और लोग इसे डाउनलोड करने में सक्षम रहेंगे। इसीलिए, कम से कम ‘प्राइवेसी’ वाले टर्म्स ज़रूर पढ़ लें। और हाँ, भारत सरकार के ख़िलाफ़ आधार के विरोध में मोर्चा खोलने वाले लोगों से जरूर पूछें कि फेसऐप को लेकर उनकी चिंता क्या है?
बाकी आधार और फेसऐप में अंतर है। आधार जन-कल्याण के लिए हैं, फेसऐप मनोरंजन के लिए। आधार के डाटा की ज़िम्मेदारी भारत सरकार के पास है जबकि फेसऐप का मालिकाना हक़ रूस की एक प्राइवेट कम्पनी के पास। आधार में आप जब चाहें तब अपने विवरण में बदलाव कर सकते हैं (सही बदलाव), फेसऐप में आपका डाटा के एक बार सर्वर पर जाने के बाद आपको पता ही नहीं चलता कि वह डिलीट हुआ भी या नहीं। आधार से सम्बंधित शिकायतों के निवारण के लिए स्थानीय से लेकर उच्च-न्यायिक स्तर तक कई सुविधाएँ हैं, जबकि फेसऐप के स्तर पर कुछ गड़बड़ियाँ होती हैं तो आप शायद ही कुछ कर सकें। जिस मामले में अमेरिका कुछ न कर पाया हो, उस मामले में आप कहाँ हैं- ख़ुद सोचिए।