Saturday, April 27, 2024
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B.1.618 ट्रिपल म्यूटेंट कोरोना वायरस: 60 दिनों में 12% केस इसी के, टीकों-एंटीबॉडी का मुकाबला करने में भी सक्षम

B.1.618 वैरिएंट में एक बदलाव है, इसे E484K नाम दिया गया है। इस बदलाव से यह वायरस टीकों या पिछले इन्‍फेक्‍शन से पैदा हुई एंटीबॉडी का मुकाबला करने में सक्षम हो जाता है।

भारत में कोरोना की दूसरी लहर बेहद घातक साबित हो रही है। देश में प्रतिदिन कोरोना के लाखों केस सामने आने से स्थिति चिंताजनक बन गई है। गुरुवार रात 12 बजे तक भारत में 332,503 नए कोरोना संक्रमित मिले। इस दौरान 2256 कोरोना मरीजों की मौत हो गई।

कोरोना संक्रमण के बढ़ते रूप के लिए अभी तक देश में डबल म्यूटेंट वायरस को जिम्मेदार माना जा रहा था। लेकिन अब तीन बार रूप बदल चुके (ट्रिपल म्यूटेंट) वायरस का पता चला है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ से लिए गए कई सैंपल में ट्रिपल म्यूटेंट वायरस मिला है। इसे B.1.618 नाम दिया गया है।

बताया जा रहा है कि वैज्ञानिकों ने B.1.618 को बंगाल स्ट्रेन का नाम दिया है। नया वेरिएंट तीन अलग-अलग कोविड स्ट्रेस से मिलकर बना है। यानी कि कोरोना वायरस के इस स्ट्रेन ने तीन बार रूप बदला है, जो काफी घातक है। यह शरीर के इम्युन कवच को भेद रहा है, जिससे पहले कोरोना से संक्रमित हो चुके लोग या फिर वैक्सीन लगवा चुके लोग भी इसकी चपेट में आ जा रहे हैं।

इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बायॉलजी (IGIB) में जीनोम म्यूटेशन रिसर्चर विनोद सकारिया ने कहा, “बंगाल में हाल के महीनों में B.1.618 बहुत तेजी से फैला है। B.1.617 के साथ मिलकर इसने पश्चिम बंगाल में बड़ा रूप धारण कर लिया है।”

कोलकाता से 50 किलोमीटर दूर कल्याणी में नैशनल इंस्टिटयूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (NIBMG) ने पिछले साल 25 अक्टूबर को एक मरीज में बंगाल स्ट्रेन को पहली बार पाया था। इस साल जनवरी तक यह बड़ी तादाद में फैल गया। असोसिएट प्रोफेसर श्रीधर चिन्नास्वामी ने कहा कि बंगाल स्ट्रेन कथित डबल म्यूटेंट से अलग है। यह देश के कई हिस्सों में फैल गया है।

क्या है ट्रिपल म्यूटेशन

भारत में इससे पहले डबल म्यूटेशन वाला वेरिएंट मिला था, यानी जिसमें कोरोना के दो अलग स्ट्रेन मिल गए हों। अब मिले ट्रिपल म्यूटेशन वेरिएंट में कोरोना के तीन स्ट्रेन मिल गए हैं।

भारत की 10 लैब में वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग

विशेषज्ञों का मानना है कि वायरस में हो रहे बदलाव (म्यूटेशन) की वजह से कई देशों में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ट्रिपल म्यूटेशन वाला वायरस कितना घातक है और कितनी तेजी से फैलता है? इसको लेकर फिलहाल, भारत की 10 लैब में वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग (कोरोना के नए स्ट्रेन का पता) हो रही है।

एक्‍सपर्ट्स के अनुसार, B.1.618 वैरिएंट में एक बदलाव वैसा ही है, जैसा ब्राजील और साउथ अफ्रीकी वैरिएंट में देखने को मिला था। इस बदलाव को E484K कहते हैं। एक रिसर्च के अनुसार, इस बदलाव से वायरस टीकों या पिछले इन्‍फेक्‍शन से पैदा हुई एंटीबॉडी का मुकाबला करने में सक्षम हो जाता है। E484K म्यूटेशन एक प्रमुख इम्यून एस्केप वेरिएंट है, जो दुनिया भर में उभरते हुए वंशों में पाया जाता है।

बता दें कि ग्‍लोबल रिपॉजिटरी GISAID में भारत की ओर से सबमिट डेटा के अनुसार, पिछले 60 दिनों में जितने भी वैरिएंट सीक्‍वेंस किए गए हैं, उनमें से 12% सैम्‍पल B.1.618 के हैं। यह तीसरा सबसे आम वैरिएंट है। सबसे ज्‍यादा 28% सैम्‍पल्‍स में B.1.617 वैरिएंट मिला है, उसके अलावा B.1.1.7 (यूके वैरिएंट) भी काफी सारे सैम्‍पल्‍स में पाया गया है।

गौरतलब है कि भारत में कोरोना के मामलों ने दुनिया भर का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। देश में महामारी से मरने वालों की कुल संख्या बढ़कर 1,86,927 हो गई है। अब तक कोरोना के कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1,62,57,164 हो गई है। वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि वायरस में हो रहे म्यूटेशन की वजह से सिर्फ भारत नहीं बल्कि पूरी दुनिया में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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