केन्द्र सरकार ने घाटी में अर्ध सैनिक बलों की 100 और कंपनियॉं यानी 10,000 अतिरिक्त जवानों की तैनाती का फैसला किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के जम्मू-कश्मीर दौरे के बाद यह फैसला किया गया है। जवानों की अतिरिक्त तैनाती के साथ अनुच्छेद 35ए को खत्म किए जाने की अटकलों ने भी जोर पकड़ लिया है।
केन्द्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अतिरिक्त जवानों की तैनाती राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति और सुदृढ़ करने के लिए की गई है। सीआरपीएफ़ की 50, सीमा सुरक्षा बल की 30 और बीएसएफ तथा आईटीबीपी की 10-10 कंपनियॉं तैनात होंगी। यह फैसला आतंकवाद के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर में अभी राज्यपाल शासन है। इससे पहले देशभर से केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों को 24 फरवरी को कश्मीर भेजा गया था। उस समय लोकसभा चुनाव के दौरान सुरक्षा-व्यवस्था का हवाला देते हुए तैनाती की गई थी। अमरनाथ यात्रा के लिए भी राज्य में करीब 40 हजार अतिरिक्त जवान तैनात किए गए हैं।
कश्मीरी नेता बेचैन
अतिरिक्त जवानों की तैनाती के केन्द्र सरकार के फैसले ने कश्मीरी नेताओं को बेचैन कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इसका विरोध करते हुए ट्वीट किया है कि केन्द्र घाटी में डर का माहौल पैदा कर रहा है।
Former J&K CM,M Mufti tweets,’Centre’s decision to deploy addnl 10,000 troops in Valley has created fear psychosis in ppl.There’s no dearth of security forces in Kashmir.J&K is a political problem which won’t be solved by military means.GOI needs to rethink&overhaul its policy’ pic.twitter.com/n2u3uerJt7
— ANI (@ANI) July 27, 2019
This MHA communique regarding deployment of additional 100 Coys of CAPF is fueling huge anxiety in Kashmir.
— Shah Faesal (@shahfaesal) July 26, 2019
No one knows why this sudden mobilization of forces is being done.
Rumor is that something sinister is about to happen.
Article 35a?
It is going to be a long night. pic.twitter.com/kvFH5gMaEb
उन्होंने कहा है, “घाटी में अतिरिक्त 10 हजार जवान तैनात करने का केन्द्र का फैसला लोगों के मन में भय पैदा कर रहा है। कश्मीर में सुरक्षा बलों की कोई कमी नहीं है। जम्मू-कश्मीर की समस्या राजनीतिक है जिसे सैन्य संसाधनों से नहीं सुलझाया जा सकता है। भारत सरकार को दोबारा सोचने और अपनी नीति बदलने की जरूरत है।”
आईएएस से नेता बने शाह फ़ैसल ने कहा है कि अर्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती से घाटी में बेचैनी बढ़ गई है। कोई नहीं जानता कि ऐसा क्यों किया गया है। कुछ बड़ा होने की अफवाहों को इस फैसले से हवा मिली है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी ‘डर का माहौल’ बनाने का आरोप लगाया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद असगर ने कहा है कि एक तरफ़ केंद्र और राज्यपाल कश्मीर के हालात सुधरने की बात कर रहे हैं और दूसरी ओर अतिरिक्त सैनिक घाटी में भेजे जा रहे हैं।