राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) को कोंडोट्टी मूल के एक ऐसे शख़्स के बार में पता चला है, जिसने जिहाद पर मलयालम में एक अरबी पुस्तक का अनुवाद किया था। इसका इस्तेमाल इस्लामिक स्टेट (IS) के ऑपरेटर्स द्वारा केरल में युवाओं का ब्रेनवॉश करने के लिए किया गया था।
प्रमुख जाँच एजेंसी को पता चला है कि 34 वर्षीय मुहम्मद मंसूर उर्फ़ अबू हनिया अल कोंडोट्टी, मलप्पुरम का निवासी है, उसने जिहाद पर 14वीं शताब्दी के विद्वान इब्न नुबा द्वारा लिखित पुस्तक का मलयालम में अनुवाद किया था। सीरिया जाने से पहले वो अपने परिवार के साथ अक्टूबर 2015 तक बहरीन में काम कर रहा था। गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, 2016 में मंसूर ने सीरिया में IS के लिए काम करते हुए किताब का अनुवाद किया।
अधिकारी के अनुसार, “जिहाद की पुस्तक केरल में कमज़ोर युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए IS के संचालकों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला मुख्य दस्तावेज़ था। पीडीएफ प्रारूप में पुस्तक का उपयोग ऑनलाइन प्रचार के लिए किया गया था। NIA ने राज्य में दर्ज IS से जुड़े अन्य मामलों में गिरफ़्तार IS के गुर्गों से हार्ड कॉपी के साथ-साथ सॉफ्ट कॉपी भी बरामद की।”
ख़बर के अनुसार, मुहम्मद मंसूर का पता लगाने के लिए एक इंटरपोल ब्लू-कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था; मंसूर निट्टूरवेटिल उर्फ़ अबू हज़र; शहलाद उर्फ़ अबू यासर, कन्नूर; कोज़ंडी, कोझीकोड का फ़ाज़िद हम्सा उर्फ़ अबू मुहम्मद; पेरुम्बावूर का रहमान उर्फ़ अबू हसन; और मलप्पुरम के वांडूर का मुकादिस पूलट। ये सभी वांडूर IS मामले के आरोपित हैं, जिन्होंने 2017 में वांडूर में एक गुप्त बैठक आयोजित की थी। NIA, कोझीकोड के कोडीवली के शिबू निहार वी के उर्फ़ अबू मरियम को गिरफ़्तार कर सकती है, जो कई प्रयासों के बावजूद सीरिया नहीं पहुँच सका था।
हाल ही में, राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने कोच्चि में अदालत में एक आरोप पत्र दाखिल किया था। जाँच में पता चला कि आरोपित व्यक्ति बहरीन के अल अंसार केंद्र में आयोजित कक्षाओं में भाग लेता था, जिसके लिंक केरल के सलाफी स्कॉलर से भी थे।
2014 में IS के गठन के बाद, कन्नूर का निवासी हम्ज़ा, वालपत्तनम IS मामले का आरोपित था, जिसने समूह को सीरिया की ओर पलायन करके IS में शामिल होने की सलाह दी थी।