कोरोना महामारी के कारण पैदा हुए हालात की वजह से तिहाड़ जेल में बंद 6,740 कैदियों को इमरजेंसी पेरोल पर रिहा किया गया था। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इनमें से 3,468 ‘लापता’ हैं। अब जेल प्रशासन ने इनका पता लगाने के लिए दिल्ली पुलिस से कहा है। लापता कैदियों के बारे में जेल प्रशासन के पास कोई सूचना भी नहीं है। इन कैदियों की संख्या 3000 से ऊपर है।
कोविड-19 के प्रारंभ के समय ही जेल में बंद कैदियों की सुरक्षा के लिए भी कई प्रयास हुए थे। इन्हीं प्रयासों की श्रृंखला में 2020 में तिहाड़ जेल में कैदियों की संख्या को कुछ हद तक सीमित करने के लिए 6740 कैदियों को आपातकालीन पेरोल पर रिहा किया गया था। रिहा किए गए इन कैदियों में से कई कैदी कैंसर, एचआईवी, किडनी और दमा की गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे। इनमें से 3468 कैदी वापस लौट कर नहीं आए।
जिन कैदियों को रिहा किया गया उनमें से 1,184 सजायाफ्ता कैदी थे। इन्हें शुरुआत में आठ हफ्तों के लिए पेरोल पर रिहा किया गया था। यह समय परिस्थिति के हिसाब से बढ़ती गई। आखिर में इन कैदियों को 7 फरवरी से 6 मार्च के बीच सरेंडर करने के लिए कहा गया था। कई कैदी वापस आ गए किन्तु इनमें से 112 कैदी अभी भी लापता हैं।
इसी प्रकार 5556 विचाराधीन कैदियों को आपातकालीन पेरोल पर रिहा किया गया। इन्हें मार्च के अंत तक सरेंडर करने के लिए कहा गया था। इनमें से भी 2200 कैदी ही लौट कर आए। कई कैदी तिहाड़ के अलावा मंडोली और रोहिणी जेल से भी रिहा किए गए थे।
तिहाड़ जेल प्रशासन ने न लौटने वाले कैदियों की लिस्ट दिल्ली पुलिस को दे दी है। प्रशासन के निवेदन पर अब दिल्ली पुलिस इन लापता कैदियों की तलाश करेगी।
पिछले साल कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रारंभ होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर जेल में कैदियों की संख्या को कम करने के लिए कई राज्यों ने समितियों का निर्माण किया। दिल्ली में भी उच्च न्यायालय की जज हिमा कोहली की अध्यक्षता में एक समिति का निर्माण हुआ जिसकी सलाह पर तिहाड़ और अन्य जेलों से कैदियों को आपातकालीन पैरोल पर रिहा करने के सुझाव पर अमल किया गया।
तिहाड़ जेल दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी जेल है जिसकी क्षमता लगभग 10,000 कैदियों को रखने की है। अब तक यहाँ कुल 174 कैदी और 300 स्टाफ सदस्य कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं।