अफगानिस्तान से 11 सिख रविवार (जुलाई 27, 2020) को भारत आए। इनमें तालिबानियों से बचाई गई नाबालिग और गुरुद्वारा से अगवा किए गए निधान सिंह भी शामिल हैं। भारत पहुँचने के बाद भावुक होते हुए निधान सिंह सचदेवा ने कहा, “मुझे नहीं पता हिंदुस्तान को क्या कहना है, मेरी माँ या पिता मगर हिंदुस्तान तो हिंदुस्तान है। हिंदुस्तान में कोई कमी नहीं है। आतंकी मुझे कहते थे कि मुस्लिम बनो, मैं कहता था ‘वाहेगुरू जी दा खालसा वाहेगुरु जी दी फतेह’ मैं अपना धर्म क्यों बदलूँ।”
उन्होंने तालिबानी आतंकियों द्वारा अगवा करने की घटना को याद करते हुए बताया कि उन्हें रोज मारा जाता था, पेड़ में बाँधकर रखा जाता था और इस्लाम अपनाने के लिए कहा जाता था।
पेड़ से बांध करते थे पिटाई,कहते थे- “कबूल लो इस्लाम”
— 🇮🇳 Prabhat Yadav 🇮🇳 (@prabhatkumar76) July 27, 2020
तालिबानियों के चंगुल से बचाकर भारत लाए गए अफगान सिख निदान सिंह की आपबीती।
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निधान सिंह ने अपनी दर्द भरी दास्तान सुनाते हुए कहा, “मुझे गुरुद्वारे से अपहरण कर लिया गया था और 20 घंटे बाद मैं खून से लथपथ था। मैं एक पेड़ से बँधा हुआ था। वे मुझे मारते थे और मुस्लिम बनने के लिए दवाब डालते थे। मैंने उनसे बार-बार कहा कि मुझे धर्म क्यों बदलना चाहिए, मेरा अपना धर्म है।”
सिख नेता ने कहा, “मेरे पास अपनी बात कहने के लिए शब्द नहीं हैं। मैं बहुत संघर्ष के बाद यहाँ पहुँचा। वहाँ (अफगानिस्तान) में भय का माहौल व्याप्त है। गुरुद्वारे में हम सुरक्षित हो सकते हैं लेकिन उसके बाहर तो एकदम नहीं।”
सचदेवा ने कहा कि वो विदेश मंत्रालय के उस फैसले के आभारी हैं, जिसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान में खतरों का सामना कर रहे हिन्दू और सिख समुदाय के सदस्यों को भारत वापस लाया जाएगा।
बता दें कि अफगानिस्तान में रहने वाले निधान सिंह सचदेवा का एक महीने पहले तालिबानियों ने अपहरण कर लिया था फिर उन्हें रिहा कर दिया गया। रविवार को निदान सिंह सहित 11 सिख अफगानिस्तान से भारत पहुँचे। इन्हें विशेष विमान के जरिए काबुल से दिल्ली लाया गया है। दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुँचने पर इन सभी का जोरदार स्वागत किया गया।
भारत सरकार ने तालिबानियों द्वारा अपहृत किए गए निधान सिंह की रिहाई में अहम भूमिका निभाई थी। सिंह की रिहाई के लिए उनकी पत्नी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। उनका 17 जून को अफगानिस्तान के पकतिया प्रांत के एक गुरुद्वारा से अपहरण किया गया था। एक महीने बाद उनकी रिहाई हुई थी।
निदान सिंह के साथ एक 16 साल की नाबालिग युवती सुनमित कौर भी भारत आई है। उसका अपहरण कर जबरन मुस्लिम बनाकर निकाह करवाया जा रहा था। ये सभी अभी शॉर्ट टर्म वीजा पर भारत आए हैं।
अफगानिस्तान में सिख काफी लंबे समय से आतंकियों के निशाने पर हैं। उन्हें भारत को चोट पहुँचाने के लिए निशाना बनाया जाता है। काबुल के गुरुद्वारे में हुए आतंकी हमले में 27 सिखों की मौत हो गई थी। भारत ने घटना की निंदा की थी और स्थिति पर गंभीर चिंता जताई थी।
अफगान सिख समुदाय के नेताओं ने भारत सरकार से अपील की है कि वो अफगानिस्तान में सिखों और हिन्दुओं की रक्षा करें और उन्हें दीर्घकालिक लम्बे समय तक भारत में रहने की अनुमति उपलब्ध करवाए। जिसके बाद भारत सरकार ने अफगानिस्तान के 700 सताए सिखों को जल्द ही देश लाने और आश्रय देने का फैसला किया है।