Thursday, April 25, 2024
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तीन दशक बाद कश्मीरी पंडितों को उनकी जमीन का मिला मालिकाना हक: हरियाणा के CM खट्टर ने वचनपूर्ति मिशन के तहत सौंपे कागजात

साल 1991-93 के बीच कश्मीर से पलायन कर आए 203 परिवारों ने कुल 10 एकड़ जमीन खरीदी थी। इस बीच हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HUDA) ने सेक्टर-2 को विकसित करने के लिए भूमि का अधिग्रहण कर लिया।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की सरकार (Haryana CM Manohar Lal Khattar) ने कश्मीर में नरसंहार और पलायन पीड़ित पंडितों (Kashmiri Pandit) को भूमि आवंटन के कागजात दिए। सीएम खट्टर ने सरकार की ‘वचनपूर्ति मिशन’ के तहत उन परिवारों को जमीन आवंटित के कागजात सौंपे हैं, जिन्होंने तीन दशक पहले झज्जर जिले में जमीन खरीदी थी। पीड़ित समुदाय के परिवारों ने जिले के बहादुरगढ़ के सेक्टर-2 में जमीन खरीदी थी, लेकिन इसका मालिकाना हक उन्हें अभी तक नहीं मिला था।

गुरुवार (7 मार्च) को इस मिशन की घोषणा के दौरान सीएम खट्टर ने कश्मीरी पंडित परिवारों को उनकी जमीनों के मालिकाना हक से संंबंधित कागजात भी सौंपे। इस दौरान सीएम खट्टर ने कहा कि कुछ परिवारों को भूखंड पहले ही मिल चुकी है और आज 182 परिवारों को इससे संबंधित पत्र वितरित किए गए। इस पूरी प्रक्रिया के माध्यम से सभी 209 परिवारों से किए गए वादों को पूरा किया गया है।

सीएम खट्टर ने कहा कि 6 अप्रैल 2022 को उस समय दर्ज किए जा रहे इन भूखंडों के सत्यापन और आवश्यक माप के बाद ड्रॉ के माध्यम से जमीनों के मालिकाना हक दी गई। इस दौरान उन्होंने कॉन्ग्रेस पर भी निशाना साधा। सीएम खट्टर ने कहा कि यह मिशन उन लोगों के लिए भी करारा जवाब है, जो कहते थे कि हरियाणा सरकार ने कश्मीरी पंडित परिवारों को दी जाने वाली 5,000 रुपए की वित्तीय सहायता को रोक दी है।

साल 1991-93 के बीच कश्मीर से पलायन कर आए 203 परिवारों ने कुल 10 एकड़ जमीन खरीदी थी। इस बीच हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HUDA) ने सेक्टर-2 को विकसित करने के लिए भूमि का अधिग्रहण कर लिया। इस अधिग्रहण में कश्मीरी पंडितों द्वारा खरीदी गई जमीन भी चली गई। इस पर पंडितों ने माँग की कि उनकी जमीन को अधिग्रहण से मुक्त रखा जाए।

साल 1997 में अधिकारियों ने कहा कि सभी 209 परिवारों के लिए 10 एकड़ भूमि पर्याप्त नहीं है, इसलिए उनके लिए 12 एकड़ भूमि देने पर सहमति बनी। अधिकारियों ने पीड़ितों को HUDA के पक्ष में जमीन का म्यूटेशन कराने को कहा। हालाँकि, राजस्व मुद्दों के कारण इन जमीनों का हस्तांतरण नहीं हो सका। इसके बाद साल 2016 में 27 परिवारों को जमीनें आवंटित कर दी गईं, लेकिन 182 परिवार इससे वंचित रहे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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