सनातन धर्म को जिसने भी समझने की कोशिश की, वही इसका हो कर रह गया। शबनम नाम की एक मुस्लिम महिला का जब सनातन और राधा-कृष्ण से परिचय हुआ तो वह शबनम से मीरा बन गई। शबनम भगवान में प्रेम में डूबकर घर-बार छोड़ दिया और भगवान की भक्ति के लिए वृंदावन पहुँचकर आश्रम में रहने लगीं।
शबनम उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद स्थित जिगर कॉलोनी की निवासी हैं। उनके अब्बू क नाम इकराम हुसैन है। हुसैन पीतल के बर्तन और मूर्तियाँ बनाने का काम करते हैं। घर में वह भगवान की मूर्तियों को बनते हुए देखकर बड़ी हुईं। इस तरह से इन मूर्तियों और इनसे जुड़े भगवान के प्रति शबनम का एक लगाव हो गया।
शबनम जैसे ही थोड़ी बड़ी हुई तो साल 2000 में उसका निकाह दिल्ली के शाहदरा में हो गया। हालाँकि, 5 साल बाद 2005 में ही शबनम का तलाक हो गया। तलाक के बाद शबनम एक बार फिर अपने पिता के पास वापस लौट आईं और साथ रहने लगीं।
हालाँकि, वह अपने मायके ज्यादा दिन नहीं रह पाई। इस बीच शबनम को एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी भी मिली। उन्होंने वह लेडी बाउंसर के तौर पर कुछ महीनों तक काम किया, लेकिन उन्हें यह काम रास नहीं आई। वह भगवान में भक्ति में लीन रहना चाहती थीं।
शबनम हाथ में लड्डू गोपाल (भगवान कृष्ण का बाल रूप) वृंदावन पहुँच गईं। शबनम का कहना है कि उन्होंने अपने परिवार से नाता तोड़ दिया है। उन्होंने अपने भाई-बहनों और अम्मी-अब्बू सहित अन्य रिश्तेदारों से बातचीत बंद कर दी है। वह अब भगवत भक्ति करती हैं।
शबनम ने अपना नाम मीरा रख लिया है। वह दस्तावेजों में भी अपना नाम मीरा कराना चाहती हैं। हालाँकि, अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। उनका मानना है कि एक ना एक दिन दिन यह हो जाएगा। उन्होंने कहा कि वह अपना पूरा जीवन कृष्ण भक्ति में बिताना चाहती हैं।