उत्तरप्रदेश के मऊ जिले के गैंगस्टर मुख्तार अंसारी की बांदा जेल में हार्ट अटैक आने से हुई मौत के बाद एक परिवार में खुशी के आँसू छलक पड़े। ये परिवार मऊ जनपद के ठेकेदार मन्ना सिंह उर्फ अजय प्रकाश सिंह का है। मन्ना सिंह को 2009 में दिनदहाड़े गोली मारकर मौत के घाट उतारा गया था। बाद में साजिशकर्ताओं में नाम मुख्तार अंसारी का नाम आया था।
28 अप्रैल को जब मुख्तार की मौत की खबर आई तो अजय सिंह के बेटे विकास सिंह ने अपने पिता की तस्वीर पर 14 साल में पहली बार फूल माला चढ़ाई और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद परिवार की आँख से खुशी के आँसू छलके। मन्ना सिंह की पत्नी ने कहा, “आज मुझे शांति मिली है। मेरे पति के आत्मा को भी शांति मिली है। मुझे भगवान पर भरोसा था और आज न्याय मिला है…मेरे पति मुख्तार अंसारी से डरते नहीं थे, यही वजह थी कि उनकी हत्या करवा दी गई।”
मन्ना सिंह की पत्नी ने बताया कि घटना के वक्त उनके बच्चे बहुत छोटे-छोटे थे। जब भी उन्हें स्कूल से आने में देर होती थी तो मन्ना सिंह के साथ जो हुआ उसे सोच सोचकर बच्चों की चिंता बनी रहती थी।
ऑपइंडिया की ग्राउंड रिपोर्ट
बता दें कि पिछले साल ऑपइंडिया ने मुख्तार अंसारी के प्रभाव वाले इलाके से ग्राउंड रिपोर्टिंग करके वहाँ पीड़ितों से बात की थी। तभी, हमारी मुलाकात मन्ना सिंह के चचेरे भाई अशोक सिंह से भी हुई थी। उन्होंने हमें बताया था कि कैसे मुख्तार ने उनके भाई, साथ में मौजूद गनर की हत्या करवाई और बाद में गवाहों को भी मौत के घाट उतारा। इसके अलावा अशोक सिंह ने एक शब्बीर नाम के शख्स की जानकारी भी हमें दी थी।
अशोक सिंह ने बताया था कि उनके भाई की हत्या के समय गनर राजेश राय के अलावा ड्राइवर शब्बीर भी घायल हुआ था, जिसे उनके भाई ने नौकरी दी थी लेकिन जब कोर्ट में गवाही देने का मौका आया तो वही शब्बीर पक्षद्रोही हो गया और मुख्तार के पक्ष में अपनी गवाही दे दी थी।
2009 में मन्ना सिंह हत्याकांड
जानकारी के अनुसार, मन्ना सिंह की हत्या 29 अगस्त 2009 को मऊ जनपद के गाजीपुर तिराहे पर हुई थी। घटना के वक्त मन्ना सिंह अपने गनर राजेश राय के साथ थे। दोनों को बाइकसवार हमलावरों ने गोली मारकर मौत के घाट उतारा था। बाद में इस हत्याकांड में मन्ना के भाई हरेंद्र सिंह ने मऊ सदर से विधायक मुख्तार अंसारी के खिलाफ मुकदमा दायर करवाया था। अंसारी के अलावा हनुमान पांडे, कल्लू सिंह और उमेश सिंह के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था।
जब केस की सुनवाई शुरू हुई तो चश्मदीद राम सिंह मौर्य की 19 मार्च 2010 में मऊ शहर में हत्या कर दी गई। उनके साथ उनकी सुरक्षा में तैनात कॉन्सटेबल सतीश को भी मौत के घाट उतारा गया था। बाद में ये केस कोर्ट में चला तो मुख्तार अंसारी सहित 8 लोगों को बाइज्जत छोड़ दिया गया। सिर्फ तीन आरोपित दोषी माने गए जिन्हें उम्रकैद की सजा मुकर्रर हुई और जुर्माना लगाया गया।
मुख्तार अंसारी की बांदा जिले में मौत
उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया मुख़्तार अंसारी की बाँदा जेल में हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई। बताया गया कि 28 मार्च, 2024 को अचानक मुख़्तार जमीन पर गिर पड़ा। उसकी हालत देख मौके पर जेल डॉक्टरों को बुलाया गया, जिन्होंने शुरुआती इलाज का प्रयास किया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। आखिरकार मुख़्तार को कड़ी सुरक्षा के बीच बाँदा के मेडिकल कॉलेज में लाया गया। यहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।