अहमदाबाद के सोला अस्पताल में तबलीगी जमात के सदस्यों ने हंगामा खड़ा करते हुए दवाएँ और इंजेक्शंस लेने से मना कर दिया। इनका आरोप था कि सरकार इन्हें जान से मारने की कोशिश कर रही है। दिव्य भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार जमातियों ने खुद की इच्छा के विरुद्ध अस्पताल में रखे जाने का आरोप लगाया और एक कोने में इकट्ठा हो गए।
रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को 26 तबलीगी जमात के सदस्यों को दरियापुर से लाकर सोला के सिविल अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करवाया गया था। जब मेडिकल टीम ने उनकी जाँच करने की कोशिश की, तो उन्होंने जाँच करवाने से मना करते हुए हंगामा खड़ा कर दिया। जिसके बाद अस्पताल प्रशासन को एक मुस्लिम डॉक्टर को बुलाना पड़ा। 5 घंटे तक चले हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद मुस्लिम डॉक्टर की काउन्सिलिंग के बाद जाकर जमातियों ने हंगामा बंद किया।
नाम न छापने की शर्त पर सोला अस्पताल के एक अधिकारी ने दिव्य भास्कर को बताया कि जिन 26 जमातियों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है, उनमें से 2 अहमदाबाद, 1 वलसाड, 9 मुजफ्फरनगर (यूपी) और 10 आजमगढ़ (UP) और शेष हैदराबाद से हैं। इनमें से एक डायबिटिक है और 6 नाबालिग। जब डॉक्टरों ने इनकी जाँच शुरू की, तब इन लोगों ने डॉक्टरों पर जान से मारने का शक जताते हुए जाँच करवाने से इंकार कर दिया।
घंटों के हंगामे के बाद अस्पताल प्रशासन को मुस्लिम डॉक्टर नियुक्त करने की प्रार्थना करनी पड़ी, जो आकर इन्हें समझा सकें। जिसके बाद शाम 5 बजे जिले के डीएम ने ढोलका से एक मुस्लिम डॉक्टर को इन उपद्रवियों को समझाने के लिए भेजा। जिसने लगभग 1 घंटे की कोशिश के बाद इन जाहिल जमातियों को यह समझाने में सफलता पाई कि सरकार उनको मारने के लिए नहीं बल्कि कोरोना संक्रमण रोकने के लिए और उनको स्वस्थ रखने का प्रयास कर रही है।
बाकी देश की ही भाँति गुजरात में भी निजामुद्दीन तबलीगी जमात के कारण COVID-19 पॉजिटिव केसेस में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। रविवार को कोरोना संक्रमण के 10 नए मामले गुजरात में दर्ज किए गए और सभी जमात से संबंधित हैं।