Wednesday, December 4, 2024
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32 साल बाद अजमेर सेक्स स्कैंडल के 6 दोषियों को उम्रकैद, कुछ रिहा हो गए तो कोई विदेश में बैठा है: 1992 में दरगाह के खादिमों-कॉन्ग्रेस नेताओं ने खेला था घिनौना खेल

सोहैल गनी तो 2018 में गिरफ्तार हुआ, जिसके बाद ट्रॉयल फिर रुकी और फिर चार्जशीट पेश हुआ था। अब तक 104 गवाह पेश किए जा चुके हैं।

1992 के अजमेर सेक्स स्कैंडल में स्पेशल पॉक्सो कोर्ट के जज रंजन सिंह ने 6 दोषियों को सज़ा सुनाई है। इन सभी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई है, साथ ही 5-5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।

32 वर्ष पुराने अजमेर सेक्स स्कैंडल में 6 को अदालत ने दोषी माना है। 1992 के इस प्रकरण को भारत के काले अध्यायों में से एक में गिना जाता है। इस मामले में नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ़ टार्जन, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहेल गनी और सैयद जमीर हुसैन को दोषी ठहराया गया है। राजस्थान के अजमेर स्थित विशेष न्यायालय में इस मामले की सुनवाई चल रही थी। इकबाल भाटी को एम्बुलेंस के जरिए दिल्ली से अजमेर लाया गया, वहीं 1 दोषी को तबीयत खराब होने के कारण पेश नहीं किया जा सका।

इस मामले में 23 जून, 2001 को ही चार्जशीट दायर की गई थी। पॉक्सो कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई चल रही थी। बता दें कि ये मामला 1992 का है जब 100 से भी अधिक लड़कियों के साथ न सिर्फ सामूहिक बलात्कार की घटनाएँ हुई थीं, बल्कि उनकी नग्न तस्वीरें भी फैला दी गई थीं। इस मामले में कुछ लड़कियों ने आत्महत्या भी की थी। अजमेर की लड़कियों की शादी होनी बंद हो गई है। इस मामले में दरगाह के खादिमों और कॉन्ग्रेस नेताओं का हाथ सामने आया था।

एक आरोपित अभी तक फरार है, जिसका कोई अता-पता नहीं चल सका है। इतना ही नहीं, एक कारोबारी के बेटे तक के साथ कुकर्म किया गया था। फिर तस्वीरों के जरिए ब्लैकमेल कर उसे उसकी गर्लफ्रेंड के साथ पॉल्ट्री फार्म पर बुलाया और उसका गैंगरेप किया था। उस लड़की को न्यूड तस्वीरों के जरिए ब्लैकमेल कर सहेलियों को लाने का दबाव बनाया गया। एक लैब में इन्होंने तस्वीरें उतारने के लिए दी थीं, उसके कुछ कर्मचारियों ने तस्वीरें सर्कुलेट कर दी, इसकी जेरोक्स कॉपी कइयों को बेचीं गई और फिर उन लड़कियों को ब्लैकमेल कर उनका यौन शोषण किया गया।

इस मामले में सबसे पहले 18 आरोपितों पर ट्रायल चला था – कलर लैब का मैनेजर हरीश डोलानी, यूथ कॉन्ग्रेस का प्रेजिडेंट रहा फारूख चिश्ती, वाईस प्रेजिडेंट नफीस चिश्ती, जॉइंट सेक्रेटरी अनवर चिश्ती, लैब डेवलपर पुरुषोत्तम उर्फ़ बबली, इकबाल भाटी, कैलाश सोनी, सलीम चिश्ती, सोहेल गनी, जमीर हुसैन, अल्मास महाराज, इशरत अली, परवेज अंसारी, मोइजुल्लाह उर्फ़ पूतन इलाहाबादी, नसीम उर्फ़ टार्जन, कलर लैब का मालिक महेश डोलानी, ड्राइवर शम्शू उर्फ़ माराडोना, नेता जउर चिश्ती।

इनमें से 5 अपनी सज़ा काट चुके हैं, वहीं 6 को अब सज़ा सुनाई गई है। इशरत अली, अनवर चिश्ती, मोइजुल्लाह उर्फ़ पूतन इलाहाबादी और शमशुद्दीन उर्फ़ माराडोना की उम्रकैद की सज़ा को सुप्रीम कोर्ट ने 10 वर्ष के कारावास में बदल दिया। इन्हें 2003 में सज़ा हुई थी, फ़िलहाल सभी रिहा हो गए हैं। परवेज अंसारी, महेश लोदानी, हरीश तोलानी और कैलाश सोनी को 1998 में निचली अदालत ने उम्रकैद दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इन्हें बरी कर दिया। पुरुषोत्तम उर्फ़ बबली 1994 में ही आत्महत्या कर चुका है।

फारूख चिश्ती को 2007 में उम्रकैद तो मिली, लेकिन 2013 में उसे रिहा कर दिया गया। अल्मास महाराज के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी है, वो विदेश चला गया है। 6 लड़कियों ने प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या की थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत की सरकार ने CB-CID को मामले की जाँच सौंपी थी। 32 साल बाद भी इस मामले में ठीक से इंसाफ नहीं हो पाया है, पुलिस ने इस मामले में आरोपितों के खिलाफ अलग-अलग चार्जशीट पेश की थी। 7 आरोपितों ने तो घटना के 11 साल बाद 2003 में आत्मसमर्पण किया।

इस मामले में 16 पीड़िताएँ कोर्ट में पेश हुईं। अब तक तो इनमें से कई दादी भी बन चुकी हैं। कई पीड़िताएँ सामाजिक कारणों से बाद में मुकर गईं। तत्कालीन DIG ओमेंद्र भारद्वाज ने बिना जाँच ही लड़कियों के चरित्र पर सवाल उठा दिए थे, जिस पर कोर्ट ने आपत्ति जताते हुए सरकार से उनके खिलाफ भी जाँच कराने को कहा था। सोहैल गनी तो 2018 में गिरफ्तार हुआ, जिसके बाद ट्रॉयल फिर रुकी और फिर चार्जशीट पेश हुआ था। अब तक 104 गवाह पेश किए जा चुके हैं।

1992 में जब अजमेर में स्कूली लड़कियों के साथ बलात्कार उन्हें ब्लैकमेल करने का मामला सामने आया था, तब साप्ताहिक समाचार पत्र ‘लहरों की बरखा’ चलाने वाले मदन सिंह ने इस पूरे मामले को बड़े पैमाने पर उठाया था। इस कारण पहले उन्हें धमकियाँ मिलीं। लेकिन, बाद में गोली मारकर हत्या कर दी गई। श्रीनगर रोड पर मदन सिंह पर हमला किया गया था। घायल होने के बाद उन्हें अजमेर के जेएलएन अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन अस्पताल के वार्ड में ही गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई।

करीब 30 साल बाद 7 जनवरी 2023 को इस दिवंगत पत्रकार के दो बेटों ने एक शख्स को गोलियों से भून​ दिया। चिल्लाकर बताया कि अपने पिता की मौत का बदला ले लिया है। जुलाई 2023 में इस घटना पर बनी फिल्म ‘अजमेर 92’ भी रिलीज हुई थी। इस फिल्म में सुमित सिंह, मनोज जोशी, करण वर्मा, राजेश शर्मा, जरीना वहाब और शालिनी कपूर महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। फिल्म का लेखन पुष्पेंद्र सिंह, ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह और सूरजपाल पाठक ने किया है। फिल्म के डायरेक्टर पुष्पेंद्र सिंह हैं। वहीं, उमेश कुमार तिवारी और करण वर्मा ने मिलकर फिल्म को प्रोड्यूस किया है।

इस्लामी भीड़ ने इस फिल्म के खिलाफ जम कर विरोध प्रदर्शन किया था। अजमेर दरगाह से जुड़े कई खादिम आज भी नहीं सुधरे हैं, जब भाजपा नेता रहीं नूपुर शर्मा के खिलाफ ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगे थे और उदयपुर में कन्हैया लाल तेली की गला रेती गई थी उनका समर्थन करने के कारण, तब इस हत्याकांड से गौहर चिश्ती को गिरफ्तार किया गया था। इसी तरह सलमान चिश्ती ने नूपुर शर्मा की हत्या के लिए उकसाया था। 1992 के अजमेर रेप-कांड की शिकार अधिकतर स्कूल और कॉलेज जाने वाली लड़कियाँ थीं। 

उस वक़्त अजमेर में 350 से भी अधिक पत्र-पत्रिका थी और इस सेक्स स्कैंडल के पीड़ितों का साथ देने के बजाए स्थानीय स्तर के कई मीडियाकर्मी उल्टा उनके परिवारों को ब्लैकमेल किया करते थे। इस केस पर बाद में टीवी मीडिया पर शो से लेकर किताबें तक लिखी गईं लेकिन एक चीज जो आज तक कहीं नहीं दिखा, वो है- न्याय। अगर उस समय पुलिस ने इस केस में आरोपितों पर शिकंजा कसा होता तो शायद उन्हें फाँसी की सज़ा भी मिल सकती थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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