जैसे आज पूरा देश श्रद्धा वालकर (Shraddha Walker Murder Case) की निर्मम हत्या से सन्न है, ऐसे ही करीब दो साल पहले एकता देशवाल (Ekta Deshwal Murder Case) की हत्या ने झकझोर दिया था। जैसे आफताब पूनावाला ने श्रद्धा के 35 टुकड़े कर जंगल में फेंक दिए, वैसे ही शाकिब ने अपने परिजनों संग एकता के टुकड़े कर खेत में गाड़ दिया था। जैसे करीब आठ महीने बाद श्रद्धा की हत्या किए जाने का खुलासा हुआ है, वैसे ही कई दिनों तक एकता की हत्या किए जाने की बात आरोपितों के अलावा किसी को मालूम नहीं थी। ताजा खबर यह है कि एकता देशवाल मर्डर केस के सभी 9 आरोपित जमानत पर जेल से बाहर आ चुके हैं।
पंजाब के लुधियाना की रहने वाली एकता देशवाल की हत्या मेरठ में 5 जून 2019 को हुआ थी। लेकिन खुलासा 13 जून 2019 को तब हुआ, जब गन्ने के एक खेत से कुत्ते को इंसान का हाथ मुँह में लेकर भागते हुए ईश्वर पंडित ने देखा। खेत की खुदाई हुई तो एकता की लाश मिली। लाश को कई टुकड़ों में काट कर खेत में दफना दिया गया था। लेकिन दो साल से ज्यादा समय बीतने के बाद भी इस केस में ट्रायल शुरू नहीं हो पाया है। एकता के परिजनों ने ऑपइंडिया से बातचीत में अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति का हवाला देकर खुद को इस केस में हुई प्रगति से अनभिज्ञ बताया।
घर वालों को नहीं है केस की जानकारी
ऑपइंडिया से बात करते हुए एकता की माँ से सीमा देशवाल ने खुद को केस की स्थिति से अनजान बताया। उन्होंने कहा कि आर्थिक हालात खराब होने और मेरठ काफी दूर होने की वजह से वो केस की पैरवी नहीं कर पा रही हैं। उन्होंने बताया कि DNA सैम्पल देने के बाद से उन्हें कभी कोई भी कागज कोर्ट या पुलिस की तरफ से आज तक प्राप्त नहीं हुआ है। एकता की माँ के मुताबिक उनके घर का सारा सोना बेटी के माध्यम से शाकिब ने हड़प लिया जो अभी तक नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि एकता की हत्या के बाद से उन्हें मुस्लिमों से डर लगने लगा है।
CJM की कोर्ट में केस
ऑपइंडिया से बात करते हुए SHO दौराला आर के पचौरी ने बताया कि एकता का केस चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में है। 2 दिसंबर 2022 को इस केस में अगली सुनवाई की डेट लगी है। यहाँ से केस जिला जज की अदलात में जाएगा जिसके बाद इसे सुनने वाले सेशन जज का निर्धारण होगा। उन्होंने बताया कि वादी यानि एकता की माँ आदि को गवाही के समय पर उन्हें बुलाया जाएगा। सरकारी वकील इस केस में एकता की तरफ से लगातार पैरवी कर रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि मामले में आरोपित सभी 9 लोग जमानत पा चुके हैं।
सबसे पहले इशमत को मिली जमानत
ऑपइंडिया से जुटाई गई जानकारी के मुताबिक इस मामले में सबसे पहले महिला आरोपित इशमत को जमानत मिली। इशमत की जमानत सेशन कोर्ट से ख़ारिज हो गई थी, जिसे इलाहांबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। यहाँ पर 10 जुलाई 2020 को सुनवाई हुई जिसमें उच्च न्यायालय में जस्टिस सिद्धार्थ की बेंच ने जमानत का आधार अरोपिता का आपराधिक इतिहास न होने के साथ उनके पास से कोई मजबूत बरामदगी न होना बताया गया है। इसी आधार पर बाद में मुशर्रत को भी जमानत मिली थी। इन दोनों की जमानत के बाद मुस्तकीम ने भी इलाहबाद हाई कोर्ट का रुख किया था और उसे भी 3 सितम्बर 2020 को जमानत मिल गई थी।
केस के मुख्य आरोपित शाकिब की जमानत याचिका पर इलाहबाद हाई कोर्ट में सुनवाई 13 जनवरी 2021 को हुई थी। यह सुनवाई जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की बेच में हुई थी। अपने बचाव में शकिब ने मृतका के अपनी मर्जी से अपने साथ भागने और ख़ुशी से रहने की दलील दी थी। इसी के साथ शाकिब ने कोर्ट को बताया था कि उसको जेल केवल पुलिस कस्टडी में उसके इकबालिया बयान के आधार पर भेजा गया है जो उससे दबाव में लिया गया था। शकिब ने भी अपना कोई आपराधिक इतिहास न होने की जानकारी कोर्ट में दाखिल की थी।
कोर्ट ने शाकिब की दलीलों से सहमति जताते हुए पुलिस के पास शाकिब को जेल में रखने लायक कोई ठोस सबूत न होने के तर्क को आधार बना कर उसे जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए थे। शाकिब की जमानत में उस से पहले रिहा हुई इशमत के साथ मुस्तकीम और मुशर्रत की जमानत ने भी आधार का काम किया था। मुख्य आरोपित शकिब के रिहा होने के बाद बाकी 5 आरोपित भी अलग-अलग तारीखों पर जमानत पर बाहर आ गए।
क्या है मामला
गौरतलब है कि इस हत्या का खुलासा हुआ था तो यह जानकारी सामने आई थी कि 5 जून 2019 को ईद का दिन था। शाकिब एकता को घुमाने के बहाने बाहर ले गया। रात करीब 9 बजे उसने अपने परिवार की मदद से कोल्डड्रिंक में नशीली दवा मिलाकर एकता को पिला दी थी। उसके भाई मुसर्रत, पिता मुस्तकीम, भाभी रेशमा पत्नी नवेद, इस्मत पत्नी मुसर्रत एवं गाँव के साथी अयान के साथ सुनसान इलाके में बेहोश एकता को ले गए।
मेरठ पुलिस के सामने दिए बयान के अनुसार रेशमा ने एकता के सभी कपड़े उतार दिए। इसके बाद सभी ने मिलकर उसके हाथ, पैर और सिर अलग-अलग कर दिए। पुलिस ने बताया कि शाकिब ने पीड़िता का हाथ इसलिए काट दिया था, क्योंकि उस पर उसके नाम का टैटू था। धड़ को सबी अहमद के गन्ने के खेत में गड्ढा खोदकर दबा दिया। इतना ही नहीं, आरोपितों ने लाश के ऊपर नमक छिड़क दिया था, ताकि वो जल्द से जल्द गल जाए। हाथ, पैर और सिर को गाँव के तालाब में फेंक दिया था। यह बात भी सामने आई थी कि हत्या के बाद भी एकता का सोशल मीडिया अकाउंट शाकिब चला रहा था।