योगी सरकार के द्वारा लगातार चेतावनी के बाद भी निजामुद्दीन मरकज से जुड़ी जानकारी छिपाने और विदेशियों को शरण देने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय (Allahabad University) के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद (Professor Shahid) को सस्पेंड कर दिया गया है। उन्हें विश्विद्यालय प्रशासन ने विदेशी नागरिकों को छिपाने सहित कई अन्य मामलों में उनकी संलिप्तता और चौतरफा हो रही बदनामी को ध्यान में देखते हुए यह कार्रवाई की है। तत्काल प्रभाव से प्रशासन ने सस्पेंशन ऑर्डर भी जारी कर दिया है।
गौरतलब है कि प्रोफ़ेसर मोहम्मद शाहिद तबलीगी जमात में शामिल होने दिल्ली स्थित निजामुद्दीन के मरकज़ गए थे। लेकिन, प्रयागराज लौटने के बाद उन्होंने अपनी ट्रैवेल हिस्ट्री छिपाई थी। इंटेलीजेंस के द्वारा यह सूचना जब मिली तब उन्हें 8 अप्रैल की रात को पुलिस ने घर से पकड़कर क्वारंटाइन सेंटर भेजा था। प्रशासन की सख्ती तब और बढ़ गई जब पता चला कि शाहिद ने ही इंडोनेशिया से आए आठ विदेशी समेत नौ जमातियों को प्रयागराज की अब्दुल्ला मस्जिद में छिपकर रहने में मदद की थी। उनकी सिफारिश पर ही इन नौ जमातियों को मस्जिद में जगह मिली थी।
21 अप्रैल को पुलिस ने प्रोफ़ेसर शाहिद समेत 30 लोगों को गिरफ्तार कर लिया जिसमें कुल 19 तबलीगी जमाती हैं। ये सभी जमाती, वही हैं जो निजामुद्दीन से निकल कर प्रयागराज जनपद में आकर छिपे हुए थे। प्रयागराज जनपद से गिरफ्तार किए जमातियों में 7 जमाती इंडोनेशिया और 9 थाईलैंड के हैं। एक जमाती केरल और एक पश्चिम बंगाल का है। शाहगंज थाना क्षेत्र की अब्दुला मस्जिद एवं करैली थाना क्षेत्र के कुछ इलाकों से 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इन लोगों ने जमातियों को छिपाया हुआ था।
गौरतलब है कि दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज़ में आयोजित तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat) के कार्यक्रम में शामिल होकर लौटने के बाद से वह खुफिया तंत्र की निगाह में थे। मोहम्मद शाहिद के खिलाफ प्रयागराज की शिवकुटी पुलिस ने महामारी ऐक्ट समेत कई अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है और अब उन्हें 30 अन्य के साथ जेल भेज दिया गया है।
बता दें कि कोरोना संक्रमण का प्रमुख केंद्र बने मरकज से जुड़े लोगों की खोजबीन के दौरान ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इस हाई प्रोफाइल मामले के आने के बाद से सनसनी मच गई। प्रोफ़ेसर मोहम्मद शाहिद समेत 30 जमातियों और उनके मददगारों को अस्थायी जेल में शिफ्ट किया गया था। इनमें 16 विदेशी जमाती भी शामिल हैं। इन सभी लोगों को पुलिस ने सोमवार (अप्रैल 20, 2020) की रात में गिरफ्तार किया था और मंगलवार (अप्रैल 21,2020) को नैनी जेल भेजा गया था।
प्रशासन को पता चलने के बाद से ही इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर मोहम्मद शाहिद नजर रखते हुए इनके बारे में कई जानकारी इकठ्ठा कर रही थी। क्योंकि तबलीगी जमात से लौटने के बाद वह कई दिन यूनिवर्सिटी भी गए थे। उस दौरान दो दिन में उन्होंने तकरीबन साढ़े तीन सौ स्टूडेंट्स की परीक्षा भी ली थी। इसके अलावा वह कई शिक्षकों, कर्मचारियों और बाहरी लोगों से भी मुलाकात की थी। जिसका पता बाद में चला।
गिरफ्तारी के बाद प्रोफेसर शाहिद ने पुलिस को बताया था कि वह इथोपिया के इस्लामी संगठन से भी जुड़े थे। साथ ही बीते वर्ष संगठन की ओर से आयोजित दो सम्मेलनों में भी शिरकत कर चुके थे। अंतिम बार बीते वर्ष दिसंबर में वह सम्मेलन में शिरकत करने इथोपिया की राजधानी अदीस अबाबा गए थे। सम्मेलनों में शिरकत करने के लिए जाने के बारे में विवि प्रशासन से अनुमति के सवाल पर वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके थे वहीं से उन पर शक गहराता गया और अब हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद पिछले दस वर्षों में कई देशों की यात्राएँ कर चुके हैं। इन यात्राओं को देखते हुए पुलिस अब पुलिस मजहबी चंदे का विवरण भी खंगाल रही है। इतना ही नहीं इनका पूरा मामला ही मजहबी और संदिग्ध लग रहा है। प्रोफ़ेसर शाहिद, विदेश के कई मुस्लिम संगठनों से भी जुड़े हुए हैं। प्रोफ़ेसर शाहिद थाईलैंड, कतर, हांगकांग, नीदरलैंड, मलेशिया, साउथ अफ्रीका, बांग्लादेश, जापान, कनाडा, इथोपिया, यूक्रेन, लन्दन, दुबई और केन्या जैसे देशों की यात्रा कर चुके हैं।
पुलिस ने बताया कि नीदरलैंड और सऊदी अरब की यात्रा उन्होंने एक से ज्यादा बार की है। पुलिस का कहना है कि इन विदेश यात्राओं को देखते हुए विदेशी चंदे के बारे में भी पता लगाया जा रहा है। प्रोफेसर मोहम्मद शाहिद किस-किस मजहबी संगठनों के संपर्क में हैं और कितने विदेशी संगठनों ने चन्दा दिया है, इस दिशा में भी जाँच की जा रही है।
बता दें कि इससे पहले योगी सरकार के मंत्री बृजेश पाठक ने कहा था कि जो लोग कोरोना को छुपा रहे हैं और फैला रहे हैं, उन पर अटेम्पट टु मर्डर का केस दर्ज होना चाहिए। इसके अलावा योगी सरकार ने सख्त आदेश देते हुए कहा था कि पुलिस दो दिन में सभी जमातियों को ढूँढे। उन्होंने कहा था कि अगर दो दिन में जमाती नहीं मिले, तो थानेदारों को खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।