इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर बहाना बनाकर किसी दुर्घटना की आशंका के डर से अनिश्चितकालीन छुट्टी पर चले गए हैं। हिस्ट्री डिपार्टमेंट में 40 वर्षीय दलित असिस्टेंट प्रोफेसर विक्रम हरिजन ने कहा कि अगस्त में वायरल हुए एक वीडियो में कुछ टिप्पणियों को लेकर पिछले दिनों कैंपस के छात्रों के समूह ने उनका घेराव किया था और उन्हें धमकी दी थी, जिसके बाद वो ‘मॉब लिंचिंग’ का डर बताकर आपातकालीन छुट्टी पर चले गए।
यूनिवर्सिटी के प्रशासन ने वायरल हुए इस वीडियो में कथित रूप से आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर असिस्टेंट प्रोफेसर विक्रम को एक कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है, जिस पर प्रोफेसर ने अभी तक जवाब नहीं दिया है। वहीं, छात्र संगठन एबीवीपी ने भी इस वीडियो को लेकर प्रोफेसर विक्रम के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज करवाई है।
प्रोफेसर विक्रम के खिलाफ शिकायत करने वालों का आरोप है कि वायरल हो रहे वीडियो में विक्रम ने कथित रूप से हिंदू देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की है। पिछले महीने वायरल हुए वीडियो में हरिजन को यह दावा करते हुए देखा जा सकता है कि वो अपने पैतृक गाँव में अपने कुछ दोस्तों के साथ मंदिर गए और वहाँ उन्होंने शिवलिंग पर पेशाब कर दिया।
हरिजन ने कहा कि लोगों में अंधविश्वास है कि अगर वे देवताओं का अनादर करेंगे तो कुछ बुरा होगा। उसने यही दिखाने के लिए कि कोई भी देवता उसे नुकसान नहीं पहुँचा सकता, उसने शिवलिंग पर पेशाब कर दिया। मगर उसके साथ कुछ भी बुरा नहीं हुआ, वह सामान्य जिंदगी जी रहा है।
ये वीडियो इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विक्रम हरिजन का बताया जा रहा है और इसमें ये जाहिल ब्यक्ति हिंदू देवी देवताओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणी कर रहा है, भगवान शंकर जी, माँ दुर्गा के लिए और ये हमारी भावनाओं को ठेस पहुचाता हैं @myogiadityanath जी।@dgpup @Uppolice @rakeshbjpup pic.twitter.com/r8b4CJINis
— बृजेश मिश्र/ Brijesh Mishra?? (@MishraBRIJESH13) August 30, 2019
वीडियो वायरल होने के बाद, विक्रम हरिजन ने दावा किया कि वीडियो को पीएचडी के एक छात्र रंजीत सरोज ने दुश्मनी के कारण उन्हें बदनाम करने के लिए अपलोड किया था। 20 अगस्त को वायरल हुए 2.3 मिनट के वीडियो को लेकर विक्रम का कहना है कि यह वीडियो दो साल पुराना 14 अप्रैल, 2017 का है और इसमें डॉक्टर बीआर अंबेडकर की जयंती के दौरान दिए गए भाषण के कुछ हिस्सों को दिखाया गया है।
इस मौके पर कैंपस के बाहर एक छोटा सा मिलन समारोह रखा गया था, जिसमें उन्होंने यह समझाने के लिए एक घटना का जिक्र किया था कि कड़ी मेहनत के साथ आगे बढ़ा जा सकता है। भाग्य पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। उनका कहना है कि वो अपने बयान के माध्यम से ‘विचार’ को बढ़ावा देना चाहते थे।
बाद में एक ब्लॉग-पोस्ट भी सामने आया था, जहाँ यह दावा किया गया था कि डॉ विक्रम हरिजन लंबे समय से अपने पीएचडी छात्र रंजीत सरोज को परेशान कर रहे थे और उन्होंने उससे पैसे भी लिए थे। ब्लॉग पोस्ट में दावा किया गया है कि विक्रम हरिजन, सरोज को विरोध प्रदर्शन करने और अपने उच्च जाति प्रतिद्वंद्वियों को बदनाम करने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
पोस्ट के अनुसार, जब सरोज ने उनकी गतिविधियों का हिस्सा बनने पर आपत्ति जताई, तो विक्रम हरिजन ने उन्हें धमकी दी थी कि वह उसका करियर बर्बाद कर देंगे। हालाँकि, हम ब्लॉग पोस्ट द्वारा किए गए दावों को सत्यापित नहीं कर सके।
इस महीने की शुरुआत में द हिंदू से बात करते हुए, विक्रम हरिजन ने दावा किया था कि वीडियो रणजीत सरोज द्वारा अपलोड किया गया था, क्योंकि सरोज की उनके प्रति व्यक्तिगत दुश्मनी है और वह उन्हें उनकी ‘औकात’ दिखाना चाहता है। दोनों ही अनुसूचित जाति के हैं। विक्रम का कहना है कि सरोज ‘पासी’ है और वह सोचता है कि वो उसकी जाति उनसे (विक्रम हरिजन) से बेहतर है।
हालाँकि, सरोज ने विक्रम हरिजन के दावों का खंडन करते हुए कहा था कि उसने वीडियो इसलिए अपलोड किया था, क्योंकि वह विक्रम हरिजन द्वारा बार-बार उत्पीड़न और हिंदू देवताओं के अपमान से व्यथित था। सरोज ने कहा था कि भारत का संविधान सभी को समान अधिकार देता है और किसी को भी इस तरह धर्म का अपमान नहीं करना चाहिए।
वहीं, इस मामले में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के मुख्य प्रॉक्टर आरएस दुबे ने कहा कि अगर डॉ विक्रम हरिजन अपनी जान की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं, तो उन्हें पुलिस की मदद लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में शिक्षक संघ के अध्यक्ष के रूप में, वे एक शिक्षक द्वारा की गई धार्मिक बातों के खिलाफ इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी की निंदा करते हैं।