उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फँसे 41 मजदूरों को निकालने में अभी तक सफलता नहीं मिल सकी है। सुरंग के अन्दर आए मलबे को हटा कर पाइप धकेलने में लगी ऑगर मशीन एक बार फिर खराब हो गई है और रेस्क्यू तीन दिन से रुका हुआ है।
गौरतलब है कि उत्तरकाशी में आल वेदर परियोजना के तहत बन रही सिलक्यारा सुरंग में 12 नवम्बर, 2023 को सुबह मलबा आने की वजह से 41 मजदूर अन्दर फँस गए थे। उन्हें तब से निकालने का प्रयास जारी है। पहले मलबा हटाने का प्रयास किया गया था लेकिन नया मलबा आने की वजह से ये प्रयास सफल नहीं हुए थे।
इसके पश्चात ऑगर मशीन लाई गई थी जिसके जरिए मलबे के भीतर से लगभग 3 फुट व्यास वाले पाइप डाले जाने थे जिससे मजदूर बाहर आते, लेकिन मशीन के बार-बार खराब होने के कारण यह काम नहीं पूरा नहीं हो पा रहा है। अब प्रशासन मजदूरों के लिए दूसरे विकल्पों पर काम कर रहा है। इससे पहले सुरंग के भीतर एक 6 इंच व्यास वाला पाइप भेजने में सफलता मिली थी जिसके माध्यम से अन्दर कैमरा भेजा गया था। इसी के माध्यम से मजदूरों को कपड़े और खाना, पानी तथा दवाइयाँ भेजी जा रही हैं।
क्या है ऑगर मशीन, क्यों हुई खराब?
अमेरिकन ऑगर्स नाम की कम्पनी यह मशीन बनाती है। यह अमेरिका की कम्पनी है जो कि ड्रिलिंग के लिए मशीनें बनाती है। यह कम्पनी इसी काम के लिए प्रसिद्ध है। उत्तराखंड में काम में ली जा रही मशीन इसी का एक उत्पाद है जिसका नाम 60-1200 है।
यह मशीन मलबे या जमीन के भीतर या बराबर में सीधे-सीधे जाकर रास्ता बनाती है। इससे मलबा भी कम निकलता है और रास्ता भी जल्दी बनता जाता है। मलबे को एक पाइप या अन्य किसी रास्ते निकाला जाता है। मशीन के मुहाने पर एक मिट्टी काटने के लिए हेड लगा होता है जिसके पीछे ड्रिल जैसी मोटी रॉड होती है। इसे जमीन पर बने एक फाउंडेशन पर लगाया जाता है। यह मशीन रास्ता बनाने के साथ ही उसकी स्थिति और अन्य चीजों पर भी तकनीक के सहारे जानकारी देती है।
सिलक्यारा में रेस्क्यू टीम की योजना थी कि वह मलबे के भीतर से इस ऑगर ड्रिलिंग मशीन को भेजेंगे और और इसी के ऊपर से पाइप धकेलते जाएँगे। इसके लिए मशीन का ड्रिल वाला हिस्सा पाइप के अन्दर होते हुए रास्ता बनाता है और बाहर निकाल लिया जाता है। अन्दर भेजे गए एक पाइप में दूसरे पाइप की वेल्डिंग की जाती है और पुनः यही प्रक्रिया दोहराई जाती है।
जानकारी के अनुसार, सुरंग में लगभग 60 मीटर के इलाके में मलबा आया है। मशीन अभी तक 46 मीटर तक पाइप डाल चुकी है, बाकी का काम होना बाकी है। पहले मशीन में अन्य खराबी आ रही थी लेकिन इस बार सामने लोहे एक बड़ा टुकड़ा आने के कारण यह फँस गई है।
ऐसी समस्या रेस्क्यू के दौरान कई बार आई है लेकिन तब मशीन को बाहर निकाल लिया जाता था। इस बार मशीन अन्दर लोहे के टुकड़े से टकरा कर फँस गई है। जानकारी के अनुसार, अभी 32 मीटर का हिस्सा पाइप के अन्दर ही है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि एक साथ कई ड्रिलिंग वाली रॉड जोड़ी गई थी और यह टूट गईं।
अब क्या होगा?
पाइप के अन्दर फँसे ऑगर ड्रिल को अभी मजदूर काट कर निकाल रहे हैं। यह काम अभी हाथों से ही हो रहा है इसलिए इसकी गति बहुत धीमी है। जानकारी के अनुसार, अभी मात्र 1.5 मीटर/घंटा की रफ़्तार से काम हो रहा है।
मशीन को जल्दी काटने के लिए हैदराबाद से प्लाज्मा कटिंग मशीन मँगाई गई है। यह मशीन इस काम की गति को 4 मीटर/घंटा तक बढ़ा देगी। यह मशीन उत्तरकाशी पहुँच गई है। जल्द से जल्द अब ऑगर ड्रिल के फंसे हिस्से को निकालने का प्रयास चल रहा है।
दूसरे विकल्पों पर भी काम चालू
ऑगर मशीन से पाइप डालने के अलावा दूसरे विकल्पों पर रेस्क्यू टीम काम कर रही है। सुरंग के भीतर पहुँचने के लिए ऊपर की तरफ से भी रास्ता बनाया जा रहा है। जिस पहाड़ी में यह सुरंग बन रही है, वहाँ सही जगह की पहचान करके अब ड्रिलिंग की जाएगी।
जहाँ ऑगर मशीन अभी जमीन के बराबर में ड्रिलिंग कर रही थी वहीं यह मशीन बोरिंग करते हुए अन्दर जाएगी। इस पर काम भी चालू हो गया है। इस काम के लिए लाई गई मशीन सतलुज जल विद्युत् निगम की है। बताया गया है कि इस तरीके से लगभग 68 मीटर का रास्ता बनाया जाएगा।
हालाँकि, अभी भी ऑगर ड्रिलिंग मशीन के हिस्से हटाकर मजदूरों से खुदाई करवाने के लिए विकल्प पर भी विचार चल रहा है। इसलिए सबसे पहली प्राथमिकता 3 फीट वाले पाइप के रास्ते को ही दी जा रही है। आशा की जा रही है कि मशीन के ठीक होने के बाद जल्द ही मजदूर बाहर निकल आएँगे।