Tuesday, October 15, 2024
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उत्तराखंड में टनल ढहने से अंदर फँसे 36 मजदूर: रेस्क्यू के लिए ऑपरेशन चालू, पाइप से अंदर पहुँचाई जा रही ऑक्सीजन

फँसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए टनल से मलबा हटाने का तेजी से किया जा रहा है। लेकिन इस प्रक्रिया में बाधा इससे आ रही है कि जितना मलबा हटाया जा रहा है, उससे अधिक मलबा टनल के ऊपरी तरफ से आ जा रहा है।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में दिवाली के दिन बड़ा हादसा हो गया है। उत्तरकाशी में सिलक्यारा से डंडालगाँव तक निर्माणाधीन टनल का एक हिस्सा ढह गया है। टनल के अंदर 30 से 35 मजदूरों के फँसने की खबर सामने आ रही है। इसको लेकर एनडीआरफ और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुँच चुकी है और राहत और बचाव कार्य जारी है। टनल के अंदर पाइप से ऑक्सीजन पहुँचाई जा रही है। साथ ही जल्द से जल्द टनल को खोलने के प्रयास किए जा रहे हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार, सुबह काम करते वक्त टनल धँसने लगा था। टनल के धँसने से उसके अंदर काम कर रहे 30 से 35 मजदूर और अन्य कर्मचारी अंदर ही फँस गए। वहीं हादसे की जानकारी मिलते ही उत्तरकाशी के एसपी भी मौके पर पहुँच चुके हैं और पूरी घटना पर नजर बनाए हुए हैं। 

एसपी अर्पण यदुवंशी ने भी घटना की पुष्टि करते हुए टनल में 36 लोगों के फँसे होने की बात कही है। उन्होंने बताया कि टनल का करीब 30 मीटर हिस्सा मलबे से पटा हुआ है। इसके आगे सुरंग सही स्थिति में है। जहाँ मजदूर फँसे है, फ़िलहाल अभी वहाँ ऑक्सीजन उपलब्ध है, साथ ही बाहर से पाइप डालकर भी ऑक्सीजन पहुँचाई जा रही है। उन्होंने बताया कि अभी तक टनल में फँसे श्रमिकों से संपर्क नहीं हो पाया है।

वहीं इस मामले में NHDCL के पूर्व प्रबंधक ने बताया कि ब्रहम्खाल-पोलगाँव में निर्माणाधीन रोड टनल जो सिलक्यारा से लगभग 2340 मीटर निर्माण की गई है। सिलक्यारा की तरफ से टनल के 270 मीटर भाग के पास 30 मीटर क्षेत्र में मलवा आने के कारण टनल के अन्दर की ओर लगभग 35-40 मजदूर फँसे हैं। 

फँसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए टनल से मलबा हटाने का तेजी से किया जा रहा है। लेकिन इस प्रक्रिया में बाधा इससे आ रही है कि जितना मलबा हटाया जा रहा है, उससे अधिक मलबा टनल के ऊपरी तरफ से आ जा रहा है। क्योंकि जिस जगह टनल में मलबा आ रहा है, वहाँ कठोर चट्टान (हार्ड रॉक) नहीं है।

शिफ्ट चेंजिंग के दौरान हुआ हादसा

बता दें कि यह हादसा तब हुआ जब रात्रि शिफ्ट वाले श्रमिक टनल से बाहर आ रहे थे और अगली शिफ्ट वाले भीतर जा रहे थे। टनल के मुख्य द्वार से करीब 300 मीटर दूरी पर ऊपरी हिस्से से मलबा आने से टनल बंद हो गई। यहाँ से करीब 2700 मीटर भीतर 40 से 50 मजदूर काम कर रहे थे।

आलवेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत हो रहा टनल का निर्माण

गौरतलब है कि इस प्रोजेक्ट की यह सबसे लंबी सुरंग लगभग साढ़े चार किलोमीटर की है। इसका करीब 4 किलोमीटर निर्माण हो गया है। सुरंग के निर्माण में करीब 1000 मजदूर दिन-रात जुटे रहते हैं। जो अलग-अलग शिफ्ट में काम कर रहे हैं। क्योंकि फरवरी, 2024 तक इसकी खोदाई पूरी करने का लक्ष्य है। 

बता दें कि यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा और जंगल चट्टी के बीच इस सुरंग के निर्माण से गंगोत्री और यमुनोत्री के बीच की दूरी 26 किमी कम हो जाएगी। यह सुरंग करीब 853 करोड़ की लागत से बन रही है। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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