Tuesday, April 16, 2024
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खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह हो या उसके साथी, असम के डिब्रूगढ़ जेल में ही क्यों किए जा रहे कैद: जानें वजह और इतिहास, कई अन्य कुख्यात भी रहे यहाँ

डिब्रूगढ़ जेल अंग्रेजों द्वारा इसे 1859-60 में में बनाया गया था। जेल परिसर 15.54 एकड़ भूमि में फैला हुआ है और असम पुलिस के ब्लैक कैट कमांडो, सीआरपीएफ और अन्य सुरक्षा कर्मियों से घिरा हुआ है। रिपोर्टों से पता चलता है कि अपने 170 वर्षों के इतिहास में डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में कभी भी जेल ब्रेक की घटना नहीं हुई है।

भगोड़े खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) को पंजाब पुलिस ने रविवार (23 अप्रैल 2023) को मोगा जिले के रोडे गाँव से गिरफ्तार किया। पंजाब में कानून-व्यवस्था न बिगड़े इसलिए उसे और उसके सहयोगियों को असम में अंग्रेजों के जमाने की डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल भेज दिया गया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमृतपाल अपने नौ सहयोगी दलजीत सिंह कलसी, पापलप्रीत सिंह, कुलवंत सिंह धालीवाल, वरिंदर सिंह जोहल, गुरमीत सिंह बुक्कनवाला, हरजीत सिंह, भगवंत सिंह, बसंत सिंह और गुरिंदरपाल सिंह औजला के साथ डिब्रूगढ़ जेल में बंद है।

डिब्रूगढ़ जेल को देश की आजादी के पहले स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले भारतीयों को रखने के लिए बनाया गया है। पूर्वोत्तर में कंक्रीट से बनी ये पहली जेल है। हालाँकि, आजादी के बाद इसमें देश के खिलाफ काम करने वाले कई कुख्यात कैदियों को रखा गया है। इसमें उल्फा के उग्रवादियों से लेकर अब खालिस्तान समर्थकों को रखा जाना शामिल है। यह इस क्षेत्र की सबसे पुरानी और सबसे सुरक्षित जेलों में से एक है।

अंग्रेजों द्वारा इसे 1859-60 में में बनाया गया था। जेल परिसर 15.54 एकड़ भूमि में फैला हुआ है और असम पुलिस के ब्लैक कैट कमांडो, सीआरपीएफ और अन्य सुरक्षा कर्मियों से घिरा हुआ है। रिपोर्टों से पता चलता है कि अपने 170 वर्षों के इतिहास में डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में कभी भी जेल ब्रेक की घटना नहीं हुई है।

ऐसा माना जा रहा है कि खालिस्तानी समर्थकों को असम ले जाने का एक कारण उन्हें असमिया भाषा न आना भी हो सकता है, क्योंकि जो कैदी असमिया नहीं जानते हैं, वे विशेष रूप से अन्य कैदियों के साथ कम बातचीत करते हैं। उदाहरण के लिए दिल्ली की तिहाड़ जेल और राजस्थान की जेलों में कई कैदी पंजाबी बोल और समझ सकते थे। इनमें से कुछ जेलों में कई पंजाबी गैंगस्टर और अलगाववादी भी बंद हैं।

इसके अलावा, अगर अमृतपाल और उसके सहयोगियों को पंजाब की जेल में रखा जाता, तो राज्य में कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती थी। उसे असम ले जाकर पंजाब में अमृतपाल के पक्ष में उठने वाली आवाज को दबाया जा सकता है। कुछ लोग यह भी कह सकते हैं कि असम ही क्यों, गुजरात, उत्तर प्रदेश या महाराष्ट्र क्यों नहीं? दरअसल, महाराष्ट्र की जेलों में कई हाईप्रोफाइल अपराधियों को रखा गया है। एक कारण यह भी हो सकता है कि असम इन राज्यों की तुलना में पंजाब से काफी दूर है। इससे असम की तुलना में इन राज्यों में कानून-व्यवस्था बिगाड़ने के मकसद से भीड़ जुटाना थोड़ा आसान है।

बता दें कि एक राज्य के हाईप्रोफाइल अपराधियों को दूसरे राज्य में शिफ्ट करने का यह कोई पहला मामला नहीं है। 2021 में जम्मू-कश्मीर से 26 बंदियों को उत्तर प्रदेश की आगरा सेंट्रल जेल में ट्रांसफर किया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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