वैज्ञानिक आनंद रंगनाथन को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में उनके अपने ही लैब में घुसने से रोक दिया गया। उन्हें लगातार 2 दिन लैब में नहीं घुसने नहीं दिया गया। जामिया मिलिया इस्लामिया में छात्रों की हिंसा के बाद पुलिस ने कार्रवाई की। इसके बाद जेएनयू में भी छात्रों के कई गुट ने दिल्ली पुलिस पर बर्बर होने का इल्जाम लगाते हुए विरोध-प्रदर्शन किया। सोमवार (दिसंबर 16, 2019) को जब रंगनाथन लैब के पास पहुँचे, वहाँ चीजें अस्त-व्यस्त पड़ी हुई थीं और उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। जेएनयू में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत आनंद रंगनाथन सहित 2 अन्य लोगों को भी लैब में नहीं जाने दिया गया।
इसके अगले दिन मंगलवार को रंगनाथन व उनके साथियों को फिर लैब में घुसने से रोक दिया। रंगनाथन लाख मिन्नतें करते रहे कि विज्ञान विभाग किसी अन्य विभाग की तरह थ्योरेटिकल नहीं है बल्कि यहाँ प्रैक्टिकल होते है, लेकिन छात्र नहीं माने। कई अहम एक्सपेरिमेंट करने होते हैं, इसके लिए महँगे उपकरण मँगाए जाते हैं और इन सभी चीजों के लिए आम नागरिक के टैक्स से मिले रुपयों का इस्तेमाल होता है। सोशल मीडिया पर अपनी आपबीती सुनाते हुए रंगनाथन ने लिखा कि इन हरकतों की वजह से कसी एक व्यक्ति की नहीं बल्कि सबकी हानि होगी।
Barred again today from entering the lab.
— Anand Ranganathan (@ARanganathan72) December 17, 2019
The JNU protesting students must realise wet science departments are unlike other departments that study theoretical fields. Crucial experiments, expensive equipment, running inside. Taxpayers pay for our research. Who loses? All of us. pic.twitter.com/rcFhZoAA3m
आनंद रंगनाथन को परीक्षाएँ भी लेनी थीं, जो छात्रों की गुंडागर्दी के कारण संभव नहीं हो सकी। इसी तरह प्रोफेसर गोवर्धन दास को एक इंटरनेशनल ग्रांट प्रपोजल पर काम करना था, जो संभव नहीं हो सका। उन्हें एक निश्चित समय सीमा के भीतर अपना काम ख़त्म करना है, लेकिन लैब में तालाबंदी कर छात्र उन्हें परेशान कर रहे हैं। इन दोनों के अलावा वैज्ञानिक शैलजा सिंह भी लैब में नहीं जा सकीं। जेएनयू के छात्रों की गुंडागर्दी से आहत रंगनाथन ने कहा कि पता नहीं इस देश में विज्ञान कैसे आगे बढ़ेगा। इस बारे में एक प्रोफेसर ने बताया:
“मुझे सेमेस्टर एग्जाम लेने थे और मेकशिफ्ट वेन्यू कन्वेंशन सेंटर में 10 से 12 बजे तक का समय निर्धारित किया गया था। परीक्षा के लिए 36 में से मात्र 8 विद्यार्थी पहुँचे। मैं अपने साथियों के साथ एग्जाम हॉल में ही मौजूद था। अचानक से 40 छात्रों की एक भीड़ अंदर घुसी और मुझे गालियाँ बकनी शुरू कर दी। उन्होंने मुझसे मोबाइल छीन लिया। मेरे साथ धक्का-मुक्की की और धमकी दी कि अगर मैंने परीक्षा ली तो अच्छा नहीं होगा। यह सब देख कर मेरे बगल के रूम में मौजूद अन्य प्रोफेसर बीच-बचाव के लिए आए। डीन सहित 12 प्रोफेसरों को 1 घंटे तक बंधक बनाकर रखा गया। परीक्षा लेने वाले कर्मचारियों को छात्रों की भीड़ ने खदेड़ डाला।”
प्रोफेसर ने बताया कि छात्रों ने उन्हें व उनके साथियों को 1 घंटे तक बंधक बनाए जाने के दौरान उनके पास से 8 उत्तर-पुस्तिकाएँ व 1 अटेंडेंस शीट छीन ली। यह सब डीन के सामने ही हुआ। इसके बाद एक छात्र ने प्रोफेसर का मोबाइल फोन लौटाया और उन्हें जाने दिया। प्रोफेसर ने इस घटना को याद करते हुए कहा कि वो काफ़ी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस घटना ने उन्हें बुरी तरह डरा दिया है। वे सदमे में हैं। उन्होंने जेएनयू के शिक्षक संगठन से निवेदन किया है कि गुंडागर्दी करने वाले छात्रों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाए और एफआईआर दर्ज कराई जाए।
वैसे ये पहली बार नहीं है जब आनंद रंगनाथन के साथ ऐसी हरकत की गई हो। इससे पहले जब जेएनयू के छात्र हॉस्टल फी बढ़ाने को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, तब भी उन्हें लैब में जाने से रोक दिया गया था। छात्रों ने उनके सामने तालाबंदी कर हंगामा किया था।
इस दौरान छात्रों ने सिक्योरिटी गार्ड को भी धमकी दी थी। जब गार्ड ने छात्रों के बात करने के रवैए पर ऐतराज जताया तो एक छात्रा ने उसे चुप रहने की हिदायत देते हुए कहा था कि सिक्योरिटी गार्ड बात नहीं करेगा। छात्रों ने लैब के एंट्रेंस पर पोस्टर भी चिपका रखे थे।
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