मध्य प्रदेश के असलम ने समीर खान के साथ मिलकर मध्य प्रदेश में एक की जान ले लेता है और दो को घायल कर देता है, वो भी बकरे हलाल करने वाले हथियारों से, और पत्रकारिता के समुदाय विशेष द्वारा इसमें ज़बरदस्ती ‘मॉब-लिंचिंग’ का एंगल निकाल लिया जाता है।
मध्य प्रदेश के चंदेरी थाना क्षेत्र के डुंगासरा गाँव में राखी वाले दिन शाम को चार युवक गोविंद कुशवाह, जानू उर्फ प्रमोद, नंदलाल कोली और संजू परमार सोनाई गाँव जा रहे थे। अधिकाँश मीडिया आउटलेट्स के अनुसार डुंगासरा गाँव के पास सड़क किनारे स्थित दुकान पर पर वे जब गुटखा लेने के लिए रुके तो वहीं पर मुंगावली निवासी असलम और पुरा निवासी समीर खान भी खड़े थे जिन्होंने इन चारों पर धारदार हथियारों से हमला कर दिया। एक की मौके पर मौत हो गई, दो को अस्पताल में पहुँचाया गया, और एक गोविन्द किसी तरह जान बचाकर भागने में सफल रहा। हमले का कारण लल्लनटॉप जैसे बड़े समाचार पोर्टलों, पत्रिका और भास्कर जैसे बड़े समाचारपत्रों से लेकर स्थानीय मीडिया तक निजी रंजिश ही बता रहे हैं।
लेकिन इस बीच उर्दू मॉनिटर नामक (नाम से ही झुकाव समझा जा सकता है) अख़बार और कारवाँ डेली नामक पोर्टल (जिसका कारवाँ मैगज़ीन से कोई सरोकार नहीं है) मामले को नया ‘एंगल’ देने के लिए ज़बरदस्ती मारे गए युवकों पर ही पकड़े गए आरोपित असलम और फ़रार समीर पर हमला करने का आरोप लगा रहे हैं। उनके अनुसार जिन युवकों की हत्या हुई, उनमें से एक ने असलम की बहनों को छेड़ा था, जिसके चलते कहासुनी हुई, और उसका बदला बाद में लेने के लिए तीनों पीड़ितों और गोविन्द ने असलम पर टेम्पो में हमला कर दिया। ‘सेल्फ़-डिफेंस’ में असलम को उन्हें मारना और घायल करना पड़ा, और ग्रामीणों ने पहले तो असलम की मॉब-लिंचिंग की कोशिश की और बाद में उसे हत्या के झूठे आरोप में पुलिस के सामने फँसा दिया।
फेक न्यूज़ फ़ैलाने में एक हो चुका है गिरफ़्तार
निजी रंजिश के इस मामले को मॉब-लिंचिंग और हिन्दू-मुस्लिम एंगल से प्रस्तुत करना साफ़ तौर पर साम्प्रदायिक तनाव फ़ैलाने का प्रयास है। और इसमें गुना निवासी अंसार मिर्ज़ा को आईपीसी की धारा 550(2) के तहत गिरफ्तार भी किया गया 17 अगस्त को। इसके बावजूद इसी महीने की 21 तारीख को कारवाँ डेली में उर्दू मॉनिटर के हवाले से यही चीज़ प्रकाशित की गई है।
‘निजी रंजिश; बेवजह फैलाई जा रही कम्युनल एंगल की बात’
ऑपइंडिया ने इस मामले में मध्य प्रदेश पुलिस में इस मामले की जाँच कर रहे इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर से बात की है। उन्होंने ऑपइंडिया से यह साफ कहा कि मामला किसी प्रकार की साम्प्रदायिकता या भीड़-हत्या का नहीं है, और यह बातें ज़बरदस्ती फैलाई जा रहीं हैं। मामला निजी रंजिश का है, जिसमें मृतक प्रमोद रायकवार और आरोपित के घर आगे-पीछे ही हैं। यही नहीं, डेली कारवाँ की मृतकों की संख्या भी गलत है। उन्होंने तीन मृतक बताए थे, जबकि पुलिस ने जो ऑपइंडिया को बताया, उसके अनुसार मृतक फ़िलहाल केवल प्रमोद है। बाकी दोनों में एक ठीक हो गया है और उसे अस्पताल से भी छुट्टी मिल गई है, और एक अभी भी अस्पताल में है।
नोट- स्टोरी पुलिस के जाँच अधिकारी से बात करने के बाद अपडेट की गई है।