अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला आने में थोड़ा वक्त लगेगा। पॉंच सदस्यीय पीठ ने सर्वसम्मति से शिया वक़्फ़ की याचिका को रद्द कर दिया है।
सुनवाई के मद्देनज़र भारत के कई हिस्सों में स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया है और संवेदनशील इलाक़ों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। पुलिस सोशल मीडिया पर लगातार नज़र रख रही है और अफवाह फैलाने वाले तत्वों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपील कर चुके थे कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को शांति से स्वीकार किया जाना चाहिए। आज सीजेआई कोर्टरूम का दरवाजा जैसे ही खुला, तभी वकीलों और पत्रकारों की भीड़ अंदर जाने के लिए बेचैन हो उठी। सुप्रीम कोर्ट के इर्द-गिर्द भारी संख्या में सुरक्षा बलों तैनात किए गए थे।
राम मंदिर मामले में चल रही सुप्रीम कोर्ट की नियमित सुनवाई 6 अगस्त को शुरू हुई थी। 40 दिनों की नियमित सुनवाई के बाद सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय पीठ ने 16 अक्टूबर को फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। सीजेआई गोगोई 17 नवम्बर को रिटायर होने वाले हैं, ऐसे में तय था कि फ़ैसला उससे पहले ही सुनाया जाएगा। इस पीठ में उनके अलावा भावी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बोड़बे, जस्टिस अब्दुल नज़ीर, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस वाई चंद्रचूड़ शामिल थे। अब सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के साथ ही तस्वीर साफ़ हो गई है।
Chief Justice of India Ranjan Gogoi: We have dismissed the Special Leave Petition(SLP) filed by Shia Waqf Board challenging the order of 1946 Faizabad Court #AyodhyaJudgment pic.twitter.com/hbwibSA3ov
— ANI (@ANI) November 9, 2019
राम मंदिर मामले पर कई बार मध्यस्तथा की भी कोशिश की गई लेकिन वो सफल नहीं हो सकी। श्री श्री रविशंकर सहित कई अन्य प्रबुद्ध जनों ने मध्यस्तथा की पहल की लेकिन उसके असफल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 5 सदस्यीय पीठ का गठन कर नियमित सुनवाई शुरू की। सुनवाई के दौरान हिन्दू पक्ष की तरफ़ से 92 वर्षीय के पराशरण और वैद्यनाथन ने दलीलें रखीं। वहीं राजीव धवन सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के वकील थे। पूरी सुनवाई के दौरान हिन्दू पक्ष दलीलों और तथ्यों के मामले में मुस्लिम पक्ष पर भारी पड़ा। राजीव धवन कई बार कोर्ट में झल्लाते हुए भी नज़र आए।