Friday, November 15, 2024
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‘भीड़ का मजहब नहीं होता’: हाईकोर्ट जस्टिस फरजंद अली ने 18 कट्टरपंथियों को दी जमानत, हिंदुओं की शोभायात्रा पर हुआ था हमला; कहा- हार्ट अटैक से मरा होगा

'भीड़ का कोई मजहब नहीं होता' - राजस्थान उच्च न्यायालय ने ये टिप्पणी की है। सांप्रदायिक हिंसा के आरोपितों की धर-पकड़ में आने वाली चुनौतियों का जिक्र करते हुए हाईकोर्ट ने ऐसा कहा। मामला बाबू मोहम्मद बनाम राजस्थान सरकार का है।

‘भीड़ का कोई मजहब नहीं होता’ – राजस्थान उच्च न्यायालय ने ये टिप्पणी की है। सांप्रदायिक हिंसा के आरोपितों की धर-पकड़ में आने वाली चुनौतियों का जिक्र करते हुए हाईकोर्ट ने ऐसा कहा। मामला बाबू मोहम्मद बनाम राजस्थान सरकार का है। ये टिप्पणी करने के साथ ही अदालत ने हिंसा के 18 आरोपितों को जमानत भी दे दी। ये सभी 19 मार्च, 2024 को चित्तौड़गढ़ में हिन्दुओं की शोभा यात्रा पर हुए हमले में भीड़ का हिस्सा थे। इस फैसले ने विवादों को जन्म दिया है।

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि 2 अलग-अलग समुदायों के बीच हिंसा भड़की और धार्मिक भावनाएँ भी आहत हुई होंगी, लेकिन ये तय करना मुश्किल है कि विवाद पैदा करने और लोगों को घायल करने के लिए कौन लोग जिम्मेदार हैं। जस्टिस फरजंद अली का कहना है कि भीड़ के हमले में आरोपितों और निर्दोषों को अलग करना बड़ा मुश्किल होता है। जज ने कहा कि भीड़ का कोई मजहब नहीं होता, जब लोगों के एक बड़े समूह ने किसी घटना को अंजाम दिया हो तो ये पता करना बहुत कठिन होता है कि कौन आरोपित हैं और कौन निर्दोष।

जज फरजंद अली ने कहा कि जब भीड़-भाड़ वाले इलाके में कोई हंगामा होता है कई लोग वहाँ पर जुट जाते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ सिर्फ देखने के लिए जाते हैं कि क्या घटनाक्रम चल रहा है तो कुछ डर के मारे जाते हैं, तो कुछ उत्सुकता से जुट जाते हैं। जज ने कहा कि ऐसी अस्त-व्यस्त स्थिति में जो असली अपराधी होते हैं वो भागने में कामयाब हो जाते हैं और जो सिर्फ देखने के लिए आए थे उन पर मामला दर्ज हो जाता है। सोमवार (20 मई, 2024) को ये फैसला सुनाया गया।

हाईकोर्ट ने इस मामले में SC/ST एक्ट लगाए जाने पर भी चर्चा की बात कही। ट्रायल कोर्ट ने इन 18 गिरफ्तार आरोपितों की जमानत याचिका ख़ारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता दोषी हैं या नहीं इस पर कुछ भी टिप्पणी करना फ़िलहाल सुरक्षित नहीं होगा। हाईकोर्ट के जज फरजंद अली ने कहा कि हो सकता है कि मौत हिंसा से नहीं बल्कि हार्ट अटैक से हुई तो क्योंकि मृतक के घुटने पर सिर्फ छोटा सा जख्म था जो मौत का कारण नहीं हो सकता।

जज फरजंद अली ने कहा कि मेडिकल बोर्ड का इस मौत को लेकर कोई ओपिनियन नहीं है, विसरा रिपोर्ट को केमिकल परीक्षण के लिए भेजा गया है। उन्होंने कहा कि आरोपितों को जेल में बंद रखने से कोई फायदा नहीं है, अतः तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए इन्हें जमानत देना उचित रहेगा। बता दें कि मार्च महीने में भगवान चारभुजानाथ की शोभायात्रा के दौरान कट्टरपंथियों ने पत्थरबाजी और मारपीट की थी। गाड़ियों और दुकानों को आग के हवाले आकर दिया गया था। 1 व्यक्ति की मौत हो गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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