जयपुर के राजा मानसिंह की हत्या मामले में मथुरा कोर्ट ने 11 पुलिसकर्मियों को दोषी माना है और 3 को बरी कर दिया। इस मामले में अदालत ने बुधवार (जुलाई 22, 2020) को दोषियों को सज़ा सुनाई। आरोपित पुलिसकर्मी फिलहाल जेल में हैं। राजा मानसिंह की हत्या 1985 में हुई थी। इस हिसाब से घटना के 35 साल बाद कोर्ट सज़ा सुनाने जा रही है। आइए, समझते हैं क्या है पूरा घटनाक्रम।
कोर्ट ने इस मामले में 11 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है। 35 सालों बाद इस फेक एनकाउंटर केस में न्याय हुआ है, जिसके लिए राजा मानसिंह की बेटी और उनके दामाद संघर्ष कर रहे थे। दोषी पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास मिला है।
#Breaking | Raja Maan Singh’s murder case: 11 cops have been punished after 35 years, life imprisonment has been pronounced. pic.twitter.com/tdt7lBLaUI
— TIMES NOW (@TimesNow) July 22, 2020
इसकी शुरुआत होती है फ़रवरी 20, 1985 से। राजा मानसिंह तब भरतपुर के पूर्व राजा और तत्कालीन मानद राजा थे। उन्होंने तत्कालीन राजस्थान सीएम और कॉन्ग्रेस नेता शिवचरण माथुर की हैलिकॉप्टर को अपनी शाही जीप से टक्कर मार दी थी, जिसके बाद पूरा विवाद शुरू हुआ। दरअसल, माथुर के समर्थकों ने जहाँ सीएम की सभा थी, वहाँ राजा की रियासत के झंडे उखाड़ दिए थे। ये मामला कोर्ट भी पहुँचा था।
भरतपुर के डीग में मानसिंह की अच्छी-ख़ासी धाक थी। उन्होंने जैसे ही कॉन्ग्रेसियों द्वारा अपना झंडा उखाड़े जाने की खबर सुनी, वो अपनी जोंगा जीप से सभास्थल की ओर कूच कर गए। वो सीधे वहाँ पहुँच गए जहाँ मुख्यमंत्री का हैलीकॉप्टर लगा हुआ था और जीप से उसे टक्कर मार दी। हैलीकॉप्टर जीप की टक्कर से क्षतिग्रस्त भी हो गया। हालाँकि, तब तक मुख्यमंत्री वहाँ से निकल चुके थे। वो मंच की ओर थे।
इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री के मंच तक पहुँचने से पहले ही जीप से उनके मंच को क्षतिग्रस्त कर दिया। उन्होंने इसके लिए सीएम के सुरक्षा घेरे को भी तोड़ दिया। इसके बाद माथुर ने टूटे जीप से ही सभा को संबोधित किया। पुलिस ने राजा मानसिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। अगले दिन वो जैसे ही कुंडा चुनाव कार्यालय से डीग थाने के सामने से गुजरे, सीओ कान सिंह भाटी के चालक महेंद्र द्वारा पुलिस वाहन को जोगा जीप के सामने खड़ा कर मार्ग अवरुद्ध दिया गया।
इसके बाद लोगों को सिर्फ़ फ़ाइरिंग की आवाज सुनाई दी, क्या हुए ये किसी ने नहीं देखा। तब तक पुलिसकर्मियों ने राजा मानसिंह की हत्या कर दी थी। शाही जोगा जीप में राजा मान सिंह, सुम्मेर सिंह और हरी सिंह की लाशें पड़ी हुई मिली थीं। एसएचओ वीरेंद्र सिंह ने इस हत्याकांड के बाद उल्टा राजा के दामाद विजय सिंह सिरोही के खिलाफ धारा-307 (हत्या की कोशिश) की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी।
राजा ने जीप से CM के हेलीकॉप्टर को मारी थी टक्कर, 35 साल बाद खुलासा-पुलिस ने किया था फेक एनकाउंटर ,इस फैसले में 11 पुलिस कर्मियों को हत्या का दोषी मान लिया गया है। सजा कल सुनाई जाएगी भरतपुर राजपरिवार के सदस्य राजा मानसिंह जो डीग से 7 बार निर्दलीय विधायक रहे थे ।@vishvendrabtp pic.twitter.com/UnhiEJ6FBB
— DU JAT STUDENTS UNION (@du_jat) July 21, 2020
उनके दामाद और साथी बाबूलाल को गिरफ्तार तक कर लिया गया था। हालाँकि, उसी रात उनकी जमानत भी हो गई थी। राजा का अंतिम-संस्कार भी महल के भीतर ही किया गया था। कहा जाता है कि जब उनकी हत्या की गई, तब वो कोर्ट में आत्मसमर्पण करने जा रहे थे। सिरोही ने ही अगले दिन राजा की हत्या का मामला दर्ज कराया था। जयपुर की सीबीआई अदालत में इस मामले की सुनवाई चली।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले को मथुरा हस्तांतरित कर दिया गया था। 1990 से ये मामला मथुरा में ही चल रहा है। 1985 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने थे, जब ये घटना हुई। उस समय मुख्यमंत्री को सभा बीच में भी छोड़ कर जाना पड़ा था, जिस कारण उन्होंने पुलिसकर्मियों को खूब खरी-खोटी सुनाई थी। ये मामला काफी दबाव के बाद भरतपुर से निकल कर जयपुर और फिर मथुरा पहुँचा था।
‘जाटलैंड‘ की मानें तो मुख्यमंत्री माथुर ने राजपरिवार पर कटाक्ष किया था और साथ ही प्रतिकूल टिप्पणी करनी प्रारम्भ कर दी थी, जिससे राजा आग-बबूला हुए थे। साथ ही वो अपना झंडा-बैनर फाड़े जाने के कारण अपमानित भी महसूस कर रहे थे। मुख्यमंत्री के समर्थकों ने उन पर बेहूदा टिप्पणी की थी। इसके बाद सीएम माथुर की इतनी किरकिरी हुई थी कि उनसे आलाकमान ने इस्तीफा ले लिया।