Sunday, November 17, 2024
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‘हिंदू धर्म जैसी कोई चीज नहीं’: भरूच में 100+ आदिवासियों को बनाया मुस्लिम, लालच-फरेब के सहारे चल रहा धर्मान्तरण का व्यवसाय

“आदिवासी गरीब लोग हैं। अगर कोई हमें थोड़ा अनाज भी देता है, तो हम मानते हैं कि वे अच्छे लोग हैं। यही कारण है कि लोग धर्म परिवर्तन का लालच देते हैं। धर्म परिवर्तन के अन्य वादों में व्यापार, रोजगार, विवाह, दूसरी शादी, पक्का घर, खाद्यान्न से लेकर रुपए-पैसे की मदद भी शामिल है।"

आमोद, भरूच के प्रवीण वसावा ने 2018 में इस्लाम अपना लिया। प्रवीण वसावा, वसावा हिंदू आदिवासी समुदाय से थे। उनको इस्लाम अपनाने के बाद सलमान पटेल नाम दिया गया।

प्रवीण वसावा का सलमान पटेल के रूप में आधार कार्ड

2018 में सूरत में दाखिल नोटरीकृत दस्तावेजों में, उनके हवाले से कहा गया था कि वह एक साल से मुस्लिम समुदाय के लोगों के संपर्क में थे और आश्वस्त थे कि इस्लाम शांति और सच्चे धर्म का मजहब है। दावा किया गया कि वह खुद इस्लाम में परिवर्तित होना चाहते थे और इसमें उनके किसी भी रिश्तेदार को कोई आपत्ति नहीं थी।

अपने हलफनामे में उन्होंने कहा, “उसके कारण, मैंने पाँच कलमा पढ़े और इस्लाम में परिवर्तित होने पर शरीयत के अनुसार अपना जीवन जी रहे हैं। मैं अपना शेष जीवन शरिया के अनुसार मुस्लिम के रूप में बिताऊँगा।” उन्होंने कहा कि इस्लाम अपनाने के बाद उन्हें सलमान पटेल के नाम से जाना जाएगा। उसमें यह भी दावा किया गया था कि उसे इस्लाम अपनाने के लिए कोई लालच नहीं दिया गया था बल्कि उसने अपनी मर्जी से ऐसा किया था।

जबरन इस्लामीकरण

हालाँकि, ऐसा नहीं था। ऑपइंडिया से बात करते हुए, प्रवीण वसावा, जिन्होंने अब इस धर्मांतरण के खिलाफ ही पुलिस शिकायत दर्ज की है, ने कहा कि आदिवासी परिवारों को बड़े-बड़े वादे करके इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया था। “हमें बताया गया था कि हिंदू धर्म जैसा कोई धर्म नहीं है, इस्लाम ही सच्चा धर्म है। अब्दुल अजीत, जिसने खुद इस्लाम कबूल कर लिया था, ने हमसे ऐसे वादे किए। हमें नहीं बताया गया था कि हमारे आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्र भी बदल दी जाएगी। हालाँकि, वह हमें सूरत ले गए और नए कानूनी दस्तावेज बनवाए। उसने हमसे दस्तखत करवाए और यहाँ तक कि हमारा आधार भी बदलवा दिया।

वसावा ने बताया कि एक मारुति एक्को कार किराए पर ली गई थी और लगभग 7-8 लोगों को भरूच से सूरत 2-3 बार भेजा गया था ताकि लोग कागजात पर हस्ताक्षर करवा सकें। वसावा ने आगे कहा, “आदिवासी गरीब लोग हैं। अगर कोई हमें थोड़ा अनाज भी देता है, तो हम मानते हैं कि वे अच्छे लोग हैं। यही कारण है कि लोग धर्म परिवर्तन का लालच देते हैं।” उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन के अन्य वादों में व्यापार, रोजगार, विवाह, दूसरी शादी, पक्का घर, खाद्यान्न से लेकर रुपए-पैसे की मदद भी शामिल है।

वसावा ने बताया, “मैं अब्दुल अजीत के साथ जाता था। वह इंग्लैंड जैसे विदेशों में बसे लोगों से संपर्क कर इस्लाम में परिवर्तित लोगों की संख्या के बारे में बढ़ा-चढ़ा कर बताता था। उसी के हिसाब से उसे फंड्स मिलते थे। तभी मुझे एहसास हुआ कि यह उसके लिए व्यवसाय था। यही कारण है कि मैंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई ताकि दूसरे लोग भी हमारे जैसे ठगे न जाएँ।”

बता दें कि अब्दुल अजीत भी FIR में नामजद नौ आरोपितों में से एक है।

फेफड़ावाला हाजी अब्दुल्ला और लंदन से फंडिंग

प्राथमिकी में नामजद एक अन्य आरोपित फेफड़ावाला हाजी अब्दुल्ला है, जो मूल रूप से भरूच के नबीपुर का रहने वाला है, लेकिन अभी लंदन, यूके में रह रहा है। कुछ साल पहले के एक वीडियो में उसे हिंदुओं के इस्लाम में धर्मांतरण के बारे में ब्रेनवॉश करते देखा जा सकता है।

उपरोक्त वीडियो में फेफड़ावाला कहता है कि वह लंदन से हैं। उसने आगे कहा, “मुझे आप लोगों के बारे में पता चला कि आपने इस्लाम कबूल कर लिया है। इसलिए मैं आपसे विशेष रूप से मिलने आया हूँ। मैं लंदन में इस बात को फैलाऊँगा कि अल्लाह ने आपको स्वीकार कर लिया है। अब आप कलमा के अनुसार हमारे भाई हो। हम आपको हर संभव मदद प्रदान करेंगे।”

इसके बाद वह वीडियो में लंदन के नाम एक संदेश भेजता है कि वह वर्तमान में आमोद तालुका के कांकरिया गाँव में है जहाँ 37 परिवारों ने इस्लाम अपना लिया। उन्होंने मदद के लिए ‘अजीत भाई’ का शुक्रिया अदा किया। फिर वह पूछता है कि क्या उन्हें भोजन, घर या ऐसी किसी वित्तीय सहायता के संबंध में किसी मदद की ज़रूरत है।

अब्दुल अजीत, फिर अपना परिचय देता है और खुद के बारे में बताता है कि उसने कैसे धर्म परिवर्तन किया। वह किसी समीर के बारे में बात करता है जिसने उसे इस्लाम अपनाने के लिए ‘प्रोत्साहित’ किया। उसने दावा किया कि वह शराब पीता था लेकिन समीर ने उससे कहा कि शराब पीना अच्छा नहीं है। यह इस्लाम के साथ-साथ हिंदू धर्म में भी हराम है। हिंदू धर्म शास्त्रों में मोहम्मद साहब के बारे में भी बताया गया है। लेकिन किसी ब्राह्मण ने हमें इसके बारे में कभी नहीं बताया।

उसने आगे बताया, “जैसे हमें छत बनाने के लिए ये चार स्तंभ मिले हैं। लेकिन अल्लाह ने ब्रह्मांड को बिना किसी दीवार के बनाया। इस बात ने मुझे चौंका दिया और मुझे लगा कि यह सच है।” फिर वह दावा करता है कि अल्लाह एक है, चाहे आप उसे भगवान कहें, ईश्वर कहें या गॉड। फिर वह कहता है कि कैसे उसने समीर के साथ मेल-जोल बढ़ाईं जिसने उसे पढ़ने के लिए एक किताब दी। “हर दिन शाम 5 बजे मुझे शराब पीनी पड़ती थी। उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं नशे में था और मुझे सुबह उसके पास जाने के लिए कहा जब मैंने शराब नहीं पी हो, तब वह मुझे किताब देगा।”

अजीत अब्दुल ने फिर बताया कि कैसे उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया।

वहीं इस कहानी से वाकिफ सूत्रों का कहना है कि गाँव में हिंदुओं को इस्लाम में परिवर्तित करने की प्रक्रिया 2009-2010 में शुरू हुई थी, लेकिन जो लोग धर्मांतरित हुए वे या तो हिंदू धर्म में लौट रहे थे या वास्तव में सक्रिय नहीं थे। यही कारण है कि उन्होंने धर्म परिवर्तन को आधिकारिक बनाना शुरू कर दिया ताकि मिल रहा फंड्स सुरक्षित किया जा सके। एक बार धर्मांतरित होने के बाद, वे बच्चों को हजीरा और जंबूसर के पास स्थित मदरसे में भेज देते थे।

हमारे एक सूत्र ने बताया, “उन्हें कुछ बार तब्लीगी जमात में भी ले जाया गया जहाँ उन्होंने मालेगाँव और मुंबई में कुछ दिन बिताए। पहले वे अहल-ए-हदीस जमात का हिस्सा थे, लेकिन बाद में बरेलवी आंदोलन में चले गए।” बता दें कि बरेलवी देवबंदी आंदोलन एक सुन्नी आंदोलन है। ऐसा माना जाता है कि भारत में लगभग दो-तिहाई मुसलमान बरेलवी आंदोलन का पालन करते हैं। जिनमें से महाराष्ट्र में हाल ही में हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार इस्लामी संगठन रजा अकादमी एक प्रमुख संगठन है।

9 लोगों के खिलाफ FIR

गौरतलब है कि पुलिस ने गुजरात धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2021 अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत नौ लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की है। आरोपितों की पहचान शब्बीर बेकरीवाला, समद बेकरीवाला, अब्दुल अजीज पटेल, यूसुफ पटेल, अयूब पटेल, इब्राहिम पटेल, फेफड़ावाला हाजी अब्दुल्ला, हसन टिसली और इस्माइल अछोड़वाला के रूप में हुई है। लंदन में रहने वाले फेफड़ावाला हाजी अब्दुल्ला को छोड़कर बाकी सभी आरोपित स्थानीय निवासी हैं।

वहीं भरूच पुलिस ने आमोद तालुका के कांकरिया गाँव में सामूहिक धर्म परिवर्तन रैकेट की जाँच शुरू कर दी है। हिंदुओं का बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कराने के लिए विदेशों से धन प्राप्त करने वाले इस्लामवादियों पर हिन्दुओं को अवैध रूप से धर्मान्तरित करने के आरोप हैं। यह धर्मांतरण हिंदुओं को नकद देकर या आर्थिक रूप से जरूरतमंद लोगों को वित्तीय सहायता का वादा करके और उनकी जानकारी की कमी का फायदा उठाकर होता है, ऐसा इन पर आरोप है।

आगे यह भी आरोप लगाया गया है कि सामूहिक धर्मांतरण के तहत 37 हिंदू परिवारों के 100 से अधिक लोगों को पैसे और अन्य प्रोत्साहनों का लालच देकर इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया है।

भरूच पुलिस द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, “भरूच के नबीपुर के मूल निवासी फेफड़ावाला हाजी अब्दुल्ला, जो वर्तमान में लंदन में रह रहा है, जिन पर उत्तर प्रदेश और वडोदरा में इसी तरह के जबरन धर्मांतरण में लिप्त होने का आरोप लगाया गया है। भरूच और भारत के अन्य हिस्सों में उस पर जबरन धर्म परिवर्तन के लिए धन जुटाने का आरोप लगाया गया है।”

पुलिस के बयान में आगे लिखा गया है कि विदेशों से जुटाए गए इस पैसे का इस्तेमाल हिंदू पुरुषों और महिलाओं को इस्लाम में धर्मान्तरित होने के लिए लुभाने में किया गया। इसके बाद खबर लगते ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई। उस शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की जाँच शुरू कर दी गई है।

उत्तर प्रदेश धर्मान्तरण रैकेट से जुड़े तार

ऐसा माना जाता है कि भरूच में सामूहिक धर्मांतरण का संबंध उत्तर प्रदेश में हाल ही में सामने आए सामूहिक धर्म परिवर्तन रैकेट से भी है। उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने इस साल जून में दो मौलवियों को गिरफ्तार किया था, जहाँ उन पर कम से कम 1,000 लोगों को इस्लाम में परिवर्तित करने का आरोप लगाया गया था।

आरोपितों की पहचान बाद में मुफ्ती काजी जहाँगीर कासमी और मोहम्मद उमर गौतम के रूप में हुई और वे दक्षिणी दिल्ली के जामिया नगर के रहने वाले थे। इस्लामिक दावा सेंटर (IDC) नामक एक संगठन चलाने वाले दो आरोपितों पर उनके अन्य सहयोगियों के साथ शादी, नौकरी और पैसे और मानसिक दबाव जैसे प्रलोभनों के माध्यम से बड़े पैमाने पर इस्लाम में धर्मांतरण का आरोप लगाया गया था।

कई रिपोर्टों में यह बात भी सामने आई थी कि बच्चों को ‘मानव बम’ के रूप में इस्तेमाल करने के लिए परिवर्तित और ब्रेनवॉश किया गया था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अपराधियों ने विकलांग बच्चों को गैर-मुस्लिमों से नफरत करने, इस्लाम स्वीकार करने और उन्हें आत्मघाती हमलावरों के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बना रहे थे, क्योंकि ऐसे बच्चों में प्रतिशोध की गुंजाइश सीमित है।

बता दें कि जब इस रैकेट का भंडाफोड़ हुआ तो धर्म परिवर्तन की कई कहानियाँ सामने आईं, इनमें से कुछ गुजरात की भी थीं।

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Nirwa Mehta
Nirwa Mehtahttps://medium.com/@nirwamehta
Politically incorrect. Author, Flawed But Fabulous.

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