Friday, November 8, 2024
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कभी लड़की का कंकाल, कभी ‘मुस्लिम का शव’… 2 साल से BHU के लापता शिव कुमार की अब ‘मौत’, पिता ने सुनाई पुलिस की हर (झूठी) कहानी

"मेरा बेटा तालाब में डूब गया... लड़की का कंकाल दिखा बेटे का बताया... लापता होने के बाद बेटे के साथ मुझे मंदिर जाते साबित करना चाहा... जब उसकी लाश मिली तो उसे किसी मुस्लिम का बताया" - यह बॉलीवुड की कहानी नहीं है। 2 साल से अपने बेटे को खोजते एक बाप पर पुलिस की प्रताड़ना है।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU: Banaras Hindu University) के छात्र शिव कुमार त्रिवेदी 2 साल से लापता थे। अब उत्तर प्रदेश की पुलिस ने बताया है कि वो जीवित नहीं हैं। इलाहबाद हाईकोर्ट में गुरुवार (21 अप्रैल 2022) को शपथ पत्र देकर 2 साल से लापता शिव कुमार त्रिवेदी (Shiv Kumar Trivedi) के जीवित न होने की जानकारी दी गई।

UP पुलिस के शपथ पत्र में शिव कुमार त्रिवेदी को मानसिक बीमार बताया गया। साथ ही उनकी मौत तालाब में डूबने से बताई गई। BSc के छात्र शिव कुमार के पिता 2 साल से अपने लापता बेटे की जानकारी के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की बेंच ने केस की जाँच कर रहे CBCID के विवेचना अधिकारी को DNA रिपोर्ट के साथ हलफनामा दाखिल करने को कहा है। यह सुनवाई शिव कुमार त्रिवेदी (Shiv Kumar Trivedi) के पिता की याचिका पर की जा रही है।

मृतक छात्र शिव कुमार त्रिवेदी मूल रूप से मध्य प्रदेश के गाँव बड़गढ़ी खुर्द, पन्ना जिला के निवासी थी। पुलिस ने बताया, “शिव कुमार की मृत्यु 15 फरवरी 2020 को हुई थी। उनका पोस्टमॉर्टम 18 फरवरी 2020 को करवाया गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मृतक के शरीर पर कोई चोट का निशान नहीं मिला और मौत की वजह डूबना बताई गई। मृतक के पिता के DNA मिलान से शव की पहचान हुई। इस केस की जाँच CBCID कर रही है।”

पीड़ित पिता की आपबीती

ऑपइंडिया ने मृतक छात्र शिव कुमार के पिता प्रदीप कुमार से बात की। उन्होंने बताया, “घटना 13-14 फरवरी की है। उसी के 2 दिन पहले मेरा बेटा गाँव से ट्रेन पकड़ कर वाराणसी गया था। उसने फोन कर के बताया कि मेरी तबियत ठीक नहीं है। मैंने उसे ट्रेन में लगी ठंडी की वजह से बुखार आना बताया। इसके बाद अगले दिन मेरे बेटे ने फोन पर काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन करने जाने की जानकारी दी। उसके बाद से मेरे बेटे से सम्पर्क नहीं हो पाया।”

प्रदीप कुमार ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि बेटे की जानकारी लेने के लिए इसके बाद वो वाराणसी गए। वहाँ कई थानों में उन्हें दौड़ाया गया। अपने बेटे की खोजबीन के दौरान उन्हें एक ऐसा लड़का मिला, जिसने फोन कर के पुलिस को बुलाया था और उनके बेटे (शिव कुमार त्रिवेदी) को डायल 112 को सौंपने की जानकारी दी।

मृतक छात्र के पिता प्रदीप कुमार बताते हैं कि उस लड़के द्वारा दी गई जानकारी को डायल 112 के सिपाहियों ने SSP प्रभाकर चौधरी के सामने स्वीकारा था। डायल 112 के सिपाहियों ने यह भी स्वीकारा था कि शिव कुमार त्रिवेदी को वो लोग अपने साथ ले गए थे और बाद में लंका थाने के तत्कालीन SHO भारत भूषण ने उसे कस्टडी में लिया था। पूरा वाकया सुनने के बाद SSP ने प्रदीप कुमार के बेटे शिव कुमार त्रिवेदी को खोजने के निर्देश पुलिस को दिए थे।

पुलिस पर हड़काने, झूठा साबित करने, लालच देने का आरोप

ऑपइंडिया से मृतक शिव कुमार त्रिवेदी (Shiv Kumar Trivedi) के पिता ने कहा, “मुझे SHO भारत भूषण द्वारा पहले हड़काया गया। फिर पूरे परिवार को बर्बाद करने की धमकी दी गई। फिर वो मेरे घर तक आए और बेटों की पढ़ाई के लिए गिरवी रखे गए खेत को छुड़वाने का लालच दिया। उनका मकसद था कि मैं केस वापस ले लूँ और जाँच बंद करवा दूँ। मैं उनसे जब अपने बेटे के थाने से निकलने के सबूत माँगता था, तब वो नाराज हो जाते थे। आख़िरकार मुझे गुमराह किया जाने लगा।”

गुमराह वाली बात को आगे बढ़ाते हुए प्रदीप कुमार ने बताया कि वाराणसी कैंट थानाक्षेत्र में मिले एक कंकाल के पास उनके बेटे के कपड़े दिखाए गए। जबकि बाद में वो कंकाल लड़की का निकला। अत्यंत दर्द के साथ उन्होंने यह भी बताया कि उनके ही बेटे के लापता केस में उन्हीं को फँसाया जाने लगा। बेटे के वाराणसी से लापता होने और उसके बाद खुद के बाप के साथ मंदिर जाने वाली कहानी पर प्रदीप कुमार ने कहा:

“मुझे ही फँसाने के लिए मोहित यादव नाम का इंस्पेक्टर झाँसी के एक मंदिर गए। वहाँ से एक बयान ले आए कि लापता होने के बाद शिव कुमार मेरे साथ मंदिर पर आया था, लेकिन बाद में वो बात भी झूठी साबित हुई।”

प्रदीप कुमार को उनके बेटे शिव कुमार त्रिवेदी की लाश लेने के लिए भी कम संघर्ष नहीं करना पड़ा। उस लाश को लेकर भी पुलिस भ्रम फैला रही थी। प्रदीप कुमार बताते हैं कि राम नगर क्षेत्र के एक तालाब में एक लाश मिली थी। शुरू में वहाँ के SHO ने उसे मुस्लिम की लाश बता कर गले में ताबीज आदि मिलने का झूठ बोला, इनको वहाँ से हटा दिया गया था। हालाँकि बाद में वही लाश शिव कुमार की निकली।

‘मानसिक बीमार नहीं था शिव कुमार त्रिवेदी’

मृतक के पिता ने आगे बताया, “मेरा बेटा हाईस्कूल और इंटर फर्स्ट डिवीजन में पास है। वो कानपुर में कोचिंग भी कर चुका और 1 साल हैदराबाद के पास एक शहर में पढ़ाई की। मेरा बेटा मानसिक बीमार नहीं था। पुलिस ने बेटे के कस्टडी से खुद ही थाने से चले जाने का बहाना बनाया पर उसकी CCTV रिकॉर्डिंग माँगने पर गाली दी जाती थी।”

CCTV को लेकर प्रदीप कुमार ने बहुत ही तार्किक सवाल दागते हुए कहा कि CCTV खराब कैसे हो सकती है… अगर उसी शहर में कुछ दिन के बाद प्रधानमंत्री दौरा करने वाले हों तो। डूबने को लेकर भी उनके तर्क में दम है क्योंकि वो पूछते हैं कि अगर उनके बेटे को डूबना ही होता तो रास्ते में गंगा नदी पड़ी थी। उसके बजाय वो तालाब में क्यों डूबेगा?

6 महीने तक कोई जाँच या कार्रवाई नहीं: पीड़ित के वकील

ऑपइंडिया ने इस घटना की जानकारी पीड़ित पिता के वकील सौरभ तिवारी से भी ली। उन्होंने बताया, “दिन रात अपने बेटे को तलाशते एक पिता को 2 साल बाद बताया जाता है कि उनका बेटा दुनिया में नहीं है। जबकि उसी जिले के एक अन्य थानाक्षेत्र में उसी लड़के का पोस्टमॉर्टम तक करवाया जा चुका था।”

वकील सौरभ तिवारी के अनुसार पुलिस ने इस मामले में काफी लीपापोती का प्रयास किया है। उन्होंने पूछा कि देश भर में खोजने का दावा करने वाली पुलिस क्या अपने बगल वाले थाने में मिली लाश की जानकारी नहीं जुटा पाई होगी?

शिव कुमार त्रिवेदी (Shiv Kumar Trivedi) के पिता प्रदीप कुमार के वकील के अनुसार इस केस में लापरवाही करने वाले 5 पुलिसकर्मियों को पूर्व SSP वाराणसी IPS अमित पाठक सस्पेंड कर चुके हैं। उन्होंने यह भी बताया कि फरवरी 2020 में दर्ज गुमशुदगी के केस में पहली जाँच लंका थाने के विवेचक ने लगभग 6 माह बाद 12 अगस्त 2020 को शुरू की थी। उनके अनुसार जुलाई 2022 में कोर्ट इस मामले में फैसला सुना सकता है।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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