पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार (1 अगस्त 2023) बिहार की नीतीश कुमार की सरकार द्वारा राज्य में कराई जा रही जातीय सर्वे को हरी झंडी दे दी है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने जाति गणना को रोकने की माँग करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इस फैसले के बाद जाति गणना का काम जारी रहेगा।
बिहार में जाति जनगणना के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट ने 6 जनहित याचिकाएँ दाखिल की गई थीं। इन याचिकाओं में जनगणना पर रोक लगाने की माँग की गई थी। इस राज्य सरकार ने कहा कि सरकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए जाति जनगणना जरूरी है।
हाईकोर्ट में बिहार सरकार ने दलील दी है कि नगर निकाय एवं पंचायत चुनावों को लेकर कहा कि ओबीसी को 20 प्रतिशत, एससी को 16 फीसदी और एसटी को एक फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तक निर्धारित की है। राज्य सरकार ने तर्क दिया कि वह नगर निकाय और पंचायत चुनावों में 13 प्रतिशत और आरक्षण दे सकती है।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया था कि यह सर्वेक्षण है और इसका मकसद आम नागरिकों के बारे में सामाजिक अध्ययन के लिए आँकड़े जुटाना है। इन आँकड़ों का उपयोग आम लोगों के कल्याण और हितों के लिए किया जाएगा।
महाधिवक्ता ने कहा था कि जाति संबंधी सूचना शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश या नौकरियों के लिए आवेदन या नियुक्ति के समय भी दी जाती है। जातियाँ समाज का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण के दौरान जानकारी देने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा रहा है। यह स्वैच्छिक सर्वेक्षण है, जिसका लगभग 80 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है।
जनगणना को लेकर राज्य सरकारों के अधिकार पर उठाए गए सवाल पर उन्होंने कोर्ट में तर्क दिया था कि ऐसा सर्वेक्षण राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। सर्वेक्षण से किसी की निजता का कोई उल्लंघन नहीं हो रहा है। शाही ने कोर्ट को बताया कि बहुत सी सूचनाएँ पहले से ही सार्वजनिक हैं।
बताते चलें कि पटना हाईकोर्ट ने सभी पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद 7 जुलाई 2023 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। जातीय जनगणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने लगातार पाँच दिनों तक सुनवाई की। अब 25 दिन बाद कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाया है।
सर्वे दो चरणों में शुरू किया गया था। पहला चरण 7 जनवरी से 21 जनवरी 2023 तक चला था। वहीं, दूसरा चरण 15 अप्रैल को शुरू हुआ था और मई 2023 तक जारी रहनी थी। हालाँकि, यह प्रक्रिया पूरी होती इससे पहले ही मामला कोर्ट में चला गया था।