111 पन्नों की उस रिपोर्ट के 6 पन्नों में प्रताड़ना की ऐसी कहानियॉं दर्ज हैं कि आप जितनी भी बार पढ़ें रोंगेटे खड़े हो जाते हैं। बात हो रही है टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) के प्रोजेक्ट ‘कोशिश’ की उस रिपोर्ट की जिसने 2018 में पूरे देश को झकझोर दिया था। यह रिपोर्ट बिहार के बालिका गृह, बाल गृह, वृद्धाश्रम, अल्पावास वगैरह की सोशल ऑडिट पर थी। मुजफ्फरपुर बालिका गृह में बच्चियों के यौन शोषण की दास्तानें इसी रिपोर्ट की वजह से सामने आ पाई थी। लेकिन, इस रिपोर्ट में कुल 17 संस्थान थे जिनकी स्थिति बेहद चिंतनीय बताते हुए तत्काल ध्यान देने की जरूरत बताई गई थी। इनमें लड़के-लड़कियों के चिल्ड्रेन होम, शॉर्ट स्टे होम, सेवा कुटीर, स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी, ऑब्जर्वेशन होम शामिल थे। इन संस्थाओं का जिक्र GRAVE CONCERNS– INSTITUTIONS REQUIRING IMMEDIATE ATTENTION के साथ किया गया था। इस रिपोर्ट की कॉपी ऑपइंडिया के पास भी है।
शुरुआती लीपापोती के बाद इस मामले की जॉंच सीबीआई को सौंप दी गई थी। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर बताया है कि उसने सभी 17 मामलों की जॉंच पूरी कर ली है। 13 मामलों में चार्जशीट दाखिल कर दी गई है। चार मामलों में सबूत नहीं मिल पाए हैं। हलफनामे में जॉंच एजेंसी ने बताया है कि बच्चों का उत्पीड़न रोकने में सरकारी अधिकारी नाकाम रहे। कुल 71 अधिकारियों के खिलाफ एजेंसी ने कार्रवाई करने की सिफारिश बिहार सरकार से की है। इनमें 25 डीएम हैं। साथ ही 52 एनजीओ और निजी व्यक्तियों के खिलाफ भी कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। उन एनजीओ पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को भी कहा गया है जिनके नाम रिपोर्ट में दर्ज हैं। मुजफ्फरपुर शेल्टर होम के मुख्य मामले में 14 जनवरी को दिल्ली के साकेत कोर्ट द्वारा फैसला सुनाए जाने की उम्मीद है।
टिस की रिपोर्ट में मोतिहारी के ब्वायज चिल्ड्रेन होम में भयावह शारीरिक और यौन हिंसा की बात कही गई थी। इसका संचालन ‘निर्देश’ नामक एनजीओ करता था। विवरण आप नीचे पढ़ सकते हैं,
इस मामले में दो जिलाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा सीबीआई ने की है। ब्वायज चिल्ड्रेन होम (गया) के मामले में 2 डीएम के अलावा एक अन्य सरकारी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है। साथ ही चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के सदस्यों सहित 13 लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। डीओआरडी द्वारा संचालित इस ब्वायज होम में महिला कर्मचारी लड़कों से गंदी बातें लिखवाती थीं। इस संस्थान के बारे में टिस की रिपोर्ट में कहा गया था,
टिस की रिपोर्ट में शॉर्ट स्टे होम (पटना) में एक लड़की द्वारा आत्महत्या करने की कोशिश किए जाने का जिक्र था। इसके अलावा बताया गया था कि लड़कियों को कपड़ा, दवाइयाँ वगैरह भी नहीं दी जाती। इसको लेकर एक डीएम और दो अन्य अधिकारी पर कार्रवाई को कहा गया है। तीन संस्थाओं को भी ब्लैकलिस्ट करने की सीबीआई ने सिफारिश की है।
शॉर्ट स्टे होम, कैमूर में रहने वाली लड़कियों और महिलाओं ने सोशल ऑडिट के दौरान सुरक्षाकर्मी के यौन दुर्व्यवहार को लेकर शिकायत की थी। उन पर फब्तियाँ कसता था और उनके निजी अंगों को छूने की कोशिश करता था। ग्राम स्वराज सेवा संस्थान की ओर से इसे शॉर्ट स्टे होम का संचालन किया जाता था। इस मामले में 7 डीएम और 11 सरकारी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए जाँच एजेंसी ने राज्य सरकार से कहा है।
हलफनामे में जिन चार संस्थाओं के खिलाफ सबूत नहीं मिलने की बात कही गई है, उनमें स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी (मधुबनी), स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी (पटना), स्पेशलाइल्ड एडॉप्शन एजेंसी (कैमूर) और सेवा कुटीर (गया) है। सबूत नहीं मिलने के कारण भले इन मामलों में केस नहीं दर्ज किया गया है, लेकिन जॉंच एजेंसी ने यहॉं भी सरकारी अधिकारियों द्वारा लापरवाही दिखाए जाने की बात कही है। इसको लेकर डीएम सहित कई अधिकारियों और संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
टिस की रिपोर्ट में मोतिहारी बाल गृह में भी यौन शोषण की बात कही गई थी। रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम में शामिल रही अपूर्वा विवेक ने अगस्त 2018 में इस संवाददाता को बताया था कि जब उनकी टीम निरीक्षण करने पहुँची तो छोटे बच्चों ने बड़े बच्चों द्वारा यौन शोषण की शिकायत की थी। टिस की टीम को इस चिल्ड्रेन होम में करीब 25 बच्चे मिले थे। लेकिन, बाद में जब पुलिस जॉंच के लिए गई तो चार बच्चे ही मिले। बाकी बच्चे अन्य सेंटर में भेज दिए गए थे। इस मामले में सीबीआई ने 2 डीएम के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है।
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस: कौन है ‘तोंद वाला नेता और मूँछ वाला अंकल’, CBI पर भी लगे आरोप
बिहार की बच्चियों का कोई माय-बाप नहीं: बलात्कार से हत्या तक सिर्फ़ एक चुप्पी है
मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टरहोम केस में मिली हड्डियों की पोटली: CBI ने जताई लड़कियों की हत्या की आशंका