उत्तर प्रदेश के बदायूँ जिले में गुरुवार (19 मार्च 2024) को 2 हिन्दू बच्चों की गला रेत कर निर्ममता से हत्या कर दी गई थी। इस हमले में तीसरा बच्चा घायल हो गया था। पुलिस ने इस मामले में 20 मार्च को आरोपित साजिद को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था वहीं फरार चल रहे 25 हजार के इनामी जावेद को इसी दिन बरेली से दबोच लिया गया था। दोनों हमलावर सगे भाई ही हैं। ऑपइंडिया इनके बारे में जानकारी जुटाने इनके गाँव तक गया जहाँ बातचीत के दौरान जावेद-साजिद के परिवार वालों ने और आसपास वाले लोगों ने पत्रकारों और आम लोगों को भ्रमित करने की हर सम्भव कोशिश की।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 22 मार्च 2024 को जावेद को बदायूँ के चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया था। यहाँ से उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। अब पुलिस उससे और अन्य लोगों से पूछताछ के जरिए ये जानने में जुटी है कि आखिर दोनों हिंदू बच्चों की इतनी निर्ममता से की गई हत्या के पीछे मुख्य कारण क्या था। घटना के 4 दिन बीत जाने के बाद भी इस सवाल का जवाब इसलिए नहीं मिल पाया है क्योंकि जावेद और उसके परिजन लगातार अपने अलग-अलग बयान देकर पुलिस, मीडिया और आमजन को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं।
बुजुर्ग दादी तक के दावे पुलिस के बयान से अलग
ऑपइंडिया की टीम 21 मार्च को साजिद के गाँव में पहुँची थी। यहाँ हमें साजिद की दादी मिलीं जिनकी उम्र लगभग 70 साल है। साजिद की दादी ने हमें देखते ही खुद के खानदानी परिवार से होने और जावेद की बेगुनाही की बातें करनी शुरू कर दीं। उन्होंने दावा किया कि घटना के समय जावेद मौके पर था ही नहीं और वो घर के पास मिट्टी खोद रहा था। हमें घर से सटी वो जगह भी दिखाई गई जहाँ मिट्टी खुदी हुई थी। जावेद की दादी के अलावा गाँव मुज़फ्फर ने भी यही बात दोहराई। रुखसाना ने तो जावेद और यहाँ तक कि साजिद की शान में कसीदे तक गढ़ने शुरू कर दिए। इन सभी ने एक स्वर में कहा कि बच्चों की हत्या होने के बाद घर पर फोन आया। तब जावेद अपने भाई साजिद की खोज-खबर लेने गाँव से बदायूँ शहर गया था।
हालाँकि FIR की कॉपी और IG राकेश कुमार सिंह के बयान से साजिद की कथित खानदानी दादी, मुज़फ्फर और रुखसाना की पोल खुल गई। FIR कॉपी, मृतक बच्चों की माँ और पुलिस के बयान में यह दावा किया गया है कि घटना के समय जावेद घर के नीचे मौजूद था। ऑपइंडिया ने मृतकों के मोहल्ले में भी स्थानीय लोगों से बातें की तो उन्होंने बताया कि दोनों साजिद और जावेद दोनों ही कत्ल से पहले और बाद में एक साथ देखे गए थे। इसमें सबसे सनसनीखेज दावा यह था कि रात 10 बजे तक दुकान खोल कर रखने वाले और जावेद ने घटना के दिन लगभग 1 बजे ही शटर गिरा दिए थे।
रोजा था तो रोटी क्यों माँगी ?
इसके बाद दादी ने दावा किया कि साजिद ने 5 बजे के करीब अपनी बीवी से रोटी माँगी थी जबकि जावेद ने पुलिस को दी जानकारी में खुद बताया कि वो दोनों रोजा रखे हुए थे। इसके अलावा जैसा कि साजिद की दादी दावा करती है कि उसकी बीवी घर पर थी और कहीं से फोन आने के बाद साजिद ने उससे खाना माँगा था, वो दावा भी झूठा लगता है क्योंकि आज तक ने एक रिपोर्ट में साजिद की बीवी तक पहुँचकर उनसे बात की थी।
उस रिपोर्ट में सना और उसकी अम्मी ने दावा किया था कि वो घटना से 15 दिन पहले से अपने मायके में है। ऐसे में न तो बदायूँ में और न साजिद के गाँव सखानू में सना और साजिद के साथ होने की बात साबित होती है… तो फिर सोचने की बात है कि दादी ने ऐसा क्यों कहा? क्या ये सारे बयान बनावटी हैं?
तुरंत घटनास्थल पर कैसे पहुँच गया जावेद
जावेद और उसके घर वालों का दावा है कि मिट्टी खोदने के दौरान उसे अपने भाई के झगड़े की सूचना मिली तो वो बाइक से भाग कर गाँव से बदायूँ शहर गया। मगर, ऑपइंडिया ने पाया कि जावेद के गाँव से घटनास्थल तक पहुँचने में लगभग 35-40 मिनट का समय लगता है। अगर परिवार की बातें सहीं हैं तो फिर जावेद फौरन कैसे अपने गाँव से बदायूँ घटनास्थल पर पहुँच गया जैसा कि उसने खुद बताया है।
खुद जावेद ने कहा है कि उसने अपने भाई को जब छत से खून से सने हाथ लेकर उतरते देखा तो वो वहाँ से भाग गया। इसके अलावा कहीं कहीं मौजूद जानकारी के अनुसार उसने ये भी कहा है कि वो घटना की जानकारी होने पर तुरंत घटनास्थल पर आया था और फिर भीड़ जमा देखकर वहाँ से भागा था।
जो कभी मिले नहीं वो भी ले रहे अच्छाई की गारंटी
परिजनों के अलावा साजिद के गाँव सखानू में एक शाहनवाज नाम का शख्स मिला। शाहजवाज से जब दोनों लड़कों की जानकारी हमने माँगी तो उन्होंने जावेद और साजिद को निहायत नेक और शरीफ बताया। हमने पूछा कि वो कितनी बार इन दोनों से मिल चुके हैं। जवाब में उन्होंने कहा, “एक बार भी नहीं।” हालाँकि शाहनवाज हमें यह नहीं बता पाए कि उनके द्वारा किस आधार पर साजिद और जावेद को शरीफ बोला जा रहा है। सिर्फ उन्होंने उनको शरीफ बताया और अपनी बात वही बात कहते रहे। इसी तरह मुजफ्फर ने साजिद को सीधा-सादा बताया और रुखसाना ने तो दो कदम आगे बढकर यह भी कहा कि वह औरतों और बच्चों की कदर करता था।