उत्तर प्रदेश के बदायूँ जिले में हिन्दू संगठनों ने वहाँ की जामा मजिस्द में नीलकंठ महादेव के होने का दावा किया है। इस दावे के साथ जिले की सिविल कोर्ट में एक याचिका भी दायर हुई है, जिसे कोर्ट ने स्वीकार भी कर लिया है। इसमें नीलकंठ महादेव की तरफ से हिन्दू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल खड़े हुए हैं। मामले की अगली सुनवाई 15 सितम्बर 2022 को तय की गई है। 2 अगस्त 2022 को दायर इस याचिका पर आदेश शुक्रवार (2 सितम्बर 2022) को हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नीलकंठ महादेव की तरफ से कुल 5 पक्षकार कोर्ट में पेश हुए हैं। मामले में मुख्य पक्षकार स्वयं भगवान नीलकंठ महादेव को बनाया गया है। उनके अलावा अन्य पक्षकारों में मुकेश पटेल, एडवोकेट अरविन्द परमार, ज्ञान प्रकाश, डॉक्टर अनुराग शर्मा और उमेश चंद्र शर्मा शामिल हैं। पेश हुए पक्षकारों ने जामा मस्जिद को इतिहास में पहले हिन्दू राजा महीपाल का किला और उसी जगह पर भगवान शिव का नीलकंठ मंदिर होने का दावा किया है।
उत्तर प्रदेश जनपद बदायूं में
— rajeev pal (@rajeevpal94) September 3, 2022
जामा मस्जिद या नीलकंठ मंदिर ?? इस पर कोर्ट में 15 सितंबर से होगी सुनवाई pic.twitter.com/LtxiVYkL41
याचिकाकर्ता मुकेश पटेल का दावा है कि उन्हें इस जगह के इतिहास की जानकारी है। उन्होंने कोर्ट से जामा मस्जिद का सर्वे करवाने की माँग की है। पटेल का दावा है कि भगवान शिव के मंदिर को तोड़ कर जामा मस्जिद बनाई गई है।
याचिकाकर्ताओं के वकील वेद प्रकाश गुप्ता ने कहा कि उन्होंने सभी सबूत कोर्ट में पेश किए हैं, जो उस स्थान को प्राचीन हिन्दू मंदिर साबित करती है। मुकेश पटेल के मुताबिक:
“1192 में भारत पर मोहम्मद गोरी के आक्रमण के दौरान उसके सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने बदायूँ आकर राजा महिपाल को मार डाला था। बाद में कुतुबुद्दीन ऐबक के दामाद इल्तुतमिश ने यहाँ के मंदिर को तोड़ कर उस पर जामा मस्जिद बनवाई है।”
इस मामले में मुस्लिम पक्ष इस जामा मस्जिद को सन 1222 में शाशुद्दीन इल्तुतमिश द्वारा बनावाई गई मानता है। आपको बता दें कि बदायूँ की जामा मस्जिद मौलवी टोला इलाके में बनी है, जिसमें एक साथ लगभग 23000 लोगों के नमाज पढ़ने की जगह है।
मामले में सुनवाई कर रहे सीनियर डिवीजन जज विजय कुमार गुप्ता की कोर्ट से अब विपक्षियों को भी उनका पक्ष रखने के लिए नोटिस भेजी जाएगी। बताया जा रहा है कि इस वाद में विपक्षी के तौर पर जामा मस्जिद की इंतजामिया कमिटी है। उनके अलावा उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड, उत्तर प्रदेश पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार को अपना-अपना पक्ष रखना है।
गौरतलब है कि कुछ समय पूर्व वाराणसी में हुए ज्ञानवापी ढाँचे के सर्वे में हिन्दू पक्षकारों ने प्राचीन शिवलिंग मिलने का दावा किया था। हालाँकि मुस्लिम पक्षकारों ने उसे फव्वारा बताया था और TV डिबेट के दौरान भी कई इस्लामी स्कॉलरों ने उसके लिए अपमानजनक शब्द बोले थे।