Thursday, November 28, 2024
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कर्नाटक के बाद अब मुंबई में निकला कॉलेज में बुर्का का जिन्न: मुस्लिम छात्राएँ अबाया पहनकर क्लास में जाने पर अड़ीं, कॉलेज ने रोका तो किया हंगामा

विधायक अबू आसिम आजमी और पूर्व मंत्री नसीम खान ने पत्र लिखकर कॉलेज पर कार्रवाई की माँग की है। नसीम खान ने कहा कि संविधान ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता और शिक्षा का मौलिक अधिकार देश के हर नागरिक को दिया है। 11वीं और 12वीं क्लास के विद्यार्थियों के लिए शिक्षा विभाग ने कोई ड्रेस कोड निर्धारित नहीं किया है, इसके बावजूद एनजी आचार्य महाविद्यालय ने ड्रेस कोड लादा है।

मुंबई के एक कॉलेज में मुस्लिम छात्राएँ बुर्का पहनकर पहुँच गई। इसके बाद कॉलेज प्रशासन ने उन्हें कॉलेज परिसर में घुसने से रोक दिया। बाद में छात्राओं के परिजनों के हंगामे और पुलिस प्रशासन द्वारा समझाने के बाद उन्हें परिसर में घुसने की इजाजत दी गई।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि चेंबूर स्थित आचार्य मराठे कॉलेज कॉलेज के सुरक्षा गार्डों ने बुधवार यानी 2 जुलाई 2023 को बुर्के में आईं छात्राओं को कॉलेज में घुसने से रोक दिया था। उनसे बुर्का हटाकर कॉलेज में घुसने के लिए कहा गया। सुरक्षा गार्डों ने कहा कि कॉलेज की अपनी ड्रेस है, इसलिए बुर्का पहनकर नहीं जाया जा सकता।

कॉलेज के इस फैसले पर विवाद हो गया। छात्राओं ने बुर्का हटाने से इनकार कर दिया। इसके अलावा, उन्होंने फोन करके अपने परिजनों को कॉलेज बुला लिया। इसके बाद मुस्लिम छात्राओं के परिजन कॉलेज पहुँच गए और जमकर हंगामा किया। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

इसके बाद कॉलेज प्रशासन ने हंगामे की जानकारी पुलिस-प्रशासन को दी। जानकारी मिलते ही पुलिस-प्रशासन मौके पर पहुँची और छात्राओं के परिजनों को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे बुर्का हटाने के लिए तैयार नहीं हुए। इसके बाद पुलिस ने मुस्लिम छात्राओं के माता-पिता और कॉलेज प्रशासन से चर्चा कर हल निकालने की कोशिश की।

एक अधिकारी ने कहा कि मुस्लिम छात्राओं ने कहा कि वे अंदर बुर्का हटाने को तैयार हैं, लेकिन कक्षा में स्कार्फ यानी हिजाब पहनेंगी। कॉलेज प्रबंधन क्लास में हिजाब पनने की छूट देने के लिए तैयार हो गया। इसके बाद तनाव शांत हुआ। लड़कियों को कक्षा में जाने से पहले वॉशरूम में बुर्का उतारना होगा।

कॉलेज के प्रिंसिपल विद्यागौरी लेले ने कहा कि लड़कियों को नकाब, हिजाब और बुर्का में प्रवेश दिया जाएगा। इसके बाद उन्हें वॉशरूम में जाकर नकाब, हिजाब और बुरका बदलना होगा। कॉलेज परिसर में स्टूडेंट्स को यूनिफॉर्म में ही रहना होगा। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जिस किसी छात्रा को कॉलेज का ड्रेस कोड स्वीकार्य नहीं है, वह कॉलेज छोड़ सकता है।

लेले ने कहा कि ड्रेस कोड इस वर्ष से जूनियर कॉलेज में लागू किया गया है। इसके बारे में एक मई को ही पैरेंट्स मीटिंग में जानकारी दे दी गई थी। उसके बाद ही यूनिफॉर्म लागू किया गया है। यह भी बता दिया गया था कि बुर्का, हिजाब, स्कार्फ पहनकर आने पर बैन लगाया जा रहा है। उस समय सभी लोग ड्रेस कोड से सहमत थे, लेकिन अब ये लोग विरोध कर रहे हैं।

उधर, बुर्का को लेकर विरोध प्रदर्शन करने वाली मुस्लिम लड़कियों का कहना था कि वे बुर्का पहने बिना अपने घर से निकलती हैं तो असहज महसूस करती है। उन्होंने यह भी कहा कि बुर्का उनकी धार्मिक प्रथा से भी जुड़ा हुआ मामला है। इसलिए वे क्लास में भी बुर्का पहनना चाहती हैं।

वहीं, विधायक अबू आसिम आजमी और पूर्व मंत्री नसीम खान ने पत्र लिखकर कॉलेज पर कार्रवाई की माँग की है। नसीम खान ने कहा कि संविधान ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता और शिक्षा का मौलिक अधिकार देश के हर नागरिक को दिया है। 11वीं और 12वीं क्लास के विद्यार्थियों के लिए शिक्षा विभाग ने कोई ड्रेस कोड निर्धारित नहीं किया है, इसके बावजूद एनजी आचार्य महाविद्यालय ने ड्रेस कोड लादा है।

बता दें कि बुर्का विवाद की शुरुआत कर्नाटक से हुई थी। इसमें स्कूल-कॉलेज का अपना ड्रेस कोड होने के बावजूद मुस्लिम छात्राएँ क्लास में बुर्का पहनकर बैठने पर अड़ी हुई थीं। हालाँकि, कॉलेज प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी। बाद में मामले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा और लड़कियों को नियमों का पालन करने के लिए कहा गया। इस दौरान कट्टरपंथी इस्लामी संगठन सहित आतंकी संगठन मुस्लिम छात्राओं के साथ खड़े हो गए थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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