सीमापुरी हिंसा मामले में ख़ुद को नाबालिग बता कर बच निकलने की कोशिश करने वाले व्यक्ति को कोर्ट से तगड़ा झटका मिला है। आरोपित के Ossification जाँच के बाद पता चला है कि वो नाबालिग नहीं है। इस प्रक्रिया के तहत हड्डियों के सेल्स की जाँच की जाती है, जिससे व्यक्ति की उम्र का अंदाज़ा लग जाता है। इस जाँच में पता चला है कि वो व्यक्ति नाबालिग नहीं है। इस जाँच रिपोर्ट को सोमवार (दिसंबर 30, 2019) को अदालत में पेश किया गया। नाबालिग होने के आधार पर आरोपित ने जमानत की माँग की थी। फ़िलहाल 6 जनवरी तक सुनवाई स्थगित कर दी गई है।
अदालत ने आरोपित को नाबालिग नहीं माना है। अब उसकी जमानत याचिका पर अगली तारीख पर बालिग़ मान कर सुनवाई की जाएगी। इससे पहले उसे बाकि आरोपितों से अलग रखने का निर्देश दिया गया था क्योंकि उसने ख़ुद को नाबालिग बताया था। नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के सीमापुरी में हुई हिंसा को लेकर अदालत ने 11 आरोपितों को पुलिस कस्टडी में भेजा था। इन सभी लोगों ने नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के नाम पर आगजनी, हिंसा और दंगे किए थे।
सीमापुरी केस में आरोपितों पर धारा 307 (हत्या का प्रयास) का मामला भी लगाया गया है, इसीलिए इसे गंभीर मानते हुए कोर्ट ने आरोपितों को जमानत देने से इनकार कर दिया था। सीमापुरी में हुई हिंसा में एडिशनल डीसीपी रोहित राजबीर सिंह पर हमला किया गया था, जिसके बाद वो गंभीर रूप से घायल हो गए थे। ये वारदात शुक्रवार (दिसंबर 27, 2019) को हुई थी। हिंसा होने के बाद उस दिन शाम से ही क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया था। पुलिस ने फ्लैग मार्च कर के स्थिति को सम्भाला था।
Seemapuri violence case: After the bone ossification test of the accused, Delhi Court has found that the accused is not a minor. https://t.co/ZHT3hyFcA5
— ANI (@ANI) December 30, 2019
पूरे नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में विभिन्न शांति समितियों और दोनों समुदायों के प्रबुद्ध जनों से बातचीत कर स्थिति को सम्भाला गया था। सीएए विरोधियों ने न सिर्फ़ सीमापुरी, बल्कि दरियागंज में भी पुलिस पर हमला कर दिया था।
दरियागंज में भी काफ़ी हिंसा भड़क गई थी। वहाँ से पुलिस ने 15 आरोपितों को गिरफ़्तार किया था, जिन्होंने पुलिस पर पत्थरबाजी की थी और आगजनी की थी। इस मामले में 9 आरोपितों ने जमानत याचिका दाखिल की थी, जिसका दिल्ली पुलिस ने विरोध किया था। दिल्ली पुलिस ने बताया है कि उसके पास 19 गवाह हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि सभी आरोपित पुलिस के ख़िलाफ़ हुई हिंसा में संलग्न थे और मौक़ा-ए-वारदात पर मौजूद थे। दिसंबर 23 को मजिस्ट्रेट द्वारा बेल दिए जाने से इनकार करने के बाद सभी आरोपित सेशन कोर्ट पहुँचे थे। एक आरोपित ने ख़ुद को कोर्ट में नाबालिग बताया था लेकिन पुलिस को उसने अपनी उम्र 23 साल बताई थी।